कबीर जयंती पर ऋषिकेश में आध्यात्मिक सम्मेलन: संतों और साधकों का दिव्य संगम

ऋषिकेश, उत्तराखण्ड
पावन गंगा के तट पर स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश में आध्यात्मिक सम्मेलन के पावन उपलक्ष्य में एक भव्य एवं भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। पूर्णिमा के इस दिव्य दिन, जो कबीर जयंती का भी प्रतीक है, संतों और साधकों का समागम एक दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभूति का केंद्र बना।
इस विशेष अवसर अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी, परमार्थ निकेतन आश्रम के वर्तमान अध्यक्ष मुनि चिदानंद सरस्वती जी, हरि सेवा आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी हरिचेतनानंद महाराज जी, पतंजलि योगपीठ के बाबा रामदेव जी एवं आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण जी सहित अनेक गणमान्य संतों और अतिथियों ने अपनी स्नेहमयी उपस्थिति दी। सभी ने इस पावन अवसर पर आशीर्वचन और मंगलकामनाएँ प्रेषित की। इस पावन अवसर पर डॉ. पंड्या जी ने भारत की संत परंपरा, संस्कृति और परम पूज्य गुरुदेव के संदेशों को बताते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से सभी संत-महापुरुषों और साध्वी जी को परम पूज्य गुरुदेव का साहित्य भेंट कर शुभकामनाएं अर्पित की।
Recent Post

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 63): प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
जो...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 62) प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
&l...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 61)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
चर...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 60)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
गु...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 59)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
गु...
_(1).jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 58)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
उत...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 57)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
सत...
.jpeg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 56)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
पि...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 55)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
प्...
.jpg)