सांस्कृतिक उन्नयन हेतु दो और ज्योति कलश रथ रवाना

हरिद्वार १० जून।
अखिल विश्व गायत्री परिवार की ज्योति कलश रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अभियान है, यह यात्रा परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी तथा सिद्ध अखण्ड दीपक का शताब्दी वर्ष २०२६ के अवसर पर आयोजित की जा रही है। गायत्री परिवार की संस्थापिका परम वंदनीया माताजी की जन्मशताब्दी वर्ष के अंतर्गत दो और ज्योति कलश रथ का पूजन कर उप्र के लिए रवाना किया गया। ये ६ जून को विदा की गयी दो ज्योति कलश रथ के अलावा हैं। ये चारों ज्योति कलश रथ उप्र के सम्पूर्ण ७५ जनपदों में आध्यात्मिक चेतना व सांस्कृतिक संवर्धन के लिए घर-घर प्रकाश पहुंचायेगी।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या एवं व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि ने दो और ज्योति कलश रथ का वैदिक कर्मकाण्ड के साथ पूजन किया। ये रथ उप्र के सभी जिलों में एक वर्ष तक भ्रमण करेंगे।
इस अवसर पर युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह ज्योति कलश रथ शांतिकुंज स्थित सिद्ध अखण्ड दीप से प्रकाश पुंज लेकर सम्पूर्ण उप्र में जायेगा और जन जन को आलोकित करेगा। ये रथ गाँव-गाँव, नगर-नगर जाकर परम वंदनीया माताजी के जीवन-संदेश, सिद्ध अखंड दीप की आभा तथा पवित्रता, सद्भावना व दिव्यता की प्रेरणा लेकर जनमानस से सीधे संवाद करेंगे। इन ज्योति कलश रथों के माध्यम से न सिर्फ परम वंदनीया माताजी के जीवन-मूल्यों और सिद्ध अखण्ड दीप की दिव्यता का प्रसार होगा, बल्कि समाज में सकारात्मकता, एकता, एवं सांस्कृतिक जागरण की भावना को भी बल मिलेगा। युवा आइकॉन ने अपने संदेश में कहा कि यह अभियान केवल धार्मिक या आध्यात्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की मुहिम है, जो लोगों को आत्मबोध, सेवा, संस्कार और समाजनिर्माण की ओर उन्मुख करेगा। व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि ने बताया कि आज रवाना हुए रथ में से एक अयोध्या, सुल्तानपुर, बहराइच, लखनऊ, कानपुर बाराबंकी एवं निकटवर्ती जनपदों तथा दूसरा रथ वाराणसी, गोरखपुर, चित्रकुट, देवरिया आदि जनपदों में भ्रमण करेगा और जन जागरण का कार्यक्रम चलाएगा।
इस अवसर पर शांतिकुंज स्थित उप्र जोन समन्वयक श्री नरेन्द्र ठाकुर सहित उप्र से आये अनेक कर्मठ कार्यकत्र्ता एवं ज्योति कलश रथ यात्रा से जुड़े परिजन भी उपस्थित रहे।
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