5100 तरुपुत्रों के रोपण से प्रकृति को समर्पित महायज्ञ सम्पन्न- निमाड़ प्रवास की प्रेरणास्पद वृक्षगंगा अभियान में सहभागिता

निमाड़ प्रवास के अंतर्गत देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का अगला पड़ाव रहा — मध्यप्रदेश के खरगोन जनपद स्थित ग्राम पिपलिया बुजुर्ग (झिरनिया), जहाँ दिनांक 6 जुलाई 2025 (रविवार) को 5100 तरुपुत्र रोपण महायज्ञ का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
यह आयोजन अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा संचालित वृक्षगंगा अभियान की प्रेरणा से, अखंड ज्योति दीपक एवं परम वंदनीया माता जी के जन्म शताब्दी वर्ष को समर्पित रहा।
इस महायज्ञ में 2400 जोड़ों ने भागीदारी कर 5100 पौधों का रोपण किया।
खरगोन जिले के लगभग 50 गांवों से पधारे 8,000 से अधिक परिजनों की सहभागिता ने इसे एक जन-अभियान का रूप दे दिया।
कार्यक्रम के दौरान जैसे ही वृक्षारोपण प्रारंभ हुआ, इंद्रदेव ने प्रसन्न होकर वर्षा की अमृतवर्षा से वातावरण को पवित्र कर दिया। प्रकृति की छटा देखते ही बनती थी — चारों ओर हरियाली, भाव-भरे जनसमूह, और भूमि की भीनी सौंध — यह दृश्य निमाड़ की पुण्यभूमि की दिव्यता को अभिव्यक्त कर रहा था।
इस अवसर पर आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने कहा—
“हम आज यहाँ केवल पेड़ लगाने नहीं आए हैं, हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का रोपण करने आए हैं। हमारे देवता हमारी प्रकृति में हैं – पेड़, नदी, मिट्टी – यदि ये सुरक्षित हैं तो समस्त मानवता सुरक्षित है। यही वर्तमान समय की सबसे महत्वपूर्ण पुकार है जिसे हमें सुनना ही होगा।”
उन्होंने यह भी कहा—
“गायत्री मंत्र हमारे जीवन और सौभाग्य का मंत्र है। जो यह बोध करा दे कि हमारा आराध्य हमारे भीतर है, वही मंत्र है – और वह चेतना हम सबको ‘देवता’ बनने का आह्वान देती है। भारत समस्याओं की नहीं, समाधान की भूमि रही है।”
वृक्षगंगा अभियान के इस महायज्ञ ने सिद्ध किया कि जब भावनाएं पवित्र होती हैं, तो प्रकृति स्वयं आशीर्वाद देने हेतु वर्षा रूपी पुष्पवर्षा करने लगती है।
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