प्रकृति पूजन और वातावरणीय चेतना का संकल्प – लिंबोल गाँव (जिला धार) में वृक्षारोपण

मध्यप्रदेश के धार जिले की पावन धरती पर स्थित लिंबोल गाँव में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने द्विदिवसीय प्रवास के अगले चरण में पर्यावरणीय जागरूकता को समर्पित कार्यक्रम में सहभागिता की। वृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत उन्होंने नीम, बबूल और पीपल जैसे जीवनदायी वृक्षों का रोपण किया तथा निमाड़ क्षेत्र में विगत वर्षों में हरित की गई पहाड़ियों का अवलोकन भी किया और दिवंगत परिजन की आत्मा की शांति हेतु सामूहिक प्रार्थना भी की।
इस अवसर पर दिए गए अपने उद्बोधन में आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने कहा—
“आस्तिकता, श्रद्धा और पवित्रता यदि हमारे व्यक्तित्व में समाहित हो जाएं, तो गायत्री मंत्र स्वतः जीवन में उतर आता है। जीवन में नीचे गिरने के लिए किसी सहयोग की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन जीवन को ऊपर उठाने के लिए दिव्य अनुग्रह और आशीर्वाद की आवश्यकता पड़ती है।”
उन्होंने ऋषि परंपरा की व्याख्या करते हुए बताया—
“हमारे ऋषियों ने जीवन भर के तप से यह चिंतन दिया कि यह सृष्टि दो रूपों में प्रकट होती है – एक है पर्यावरण (जो दृश्य है) और दूसरा है वातावरण (जो सूक्ष्म है)। आज न केवल प्रकृति, जल और वायु दूषित हुए हैं, बल्कि मनुष्य की सोच और भावनाएँ भी विकृत हुई हैं।”
समाधान स्वरूप उन्होंने पूज्य गुरुदेव के विचार क्रांति अभियान का उल्लेख करते हुए कहा—
“विचारों का परिष्कार और भावनाओं का शुद्धिकरण ही आज की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान है। प्रकृति और वातावरण के प्रति हमारे दृष्टिकोण का परिवर्तन और इनके संरक्षण का संकल्प ही हमारा आज का पुनीत कर्तव्य होना चाहिए।”
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