सिंघाना, धार में श्रद्धा और आत्मविश्वास का दिव्य जागरण — ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ का लोकार्पण

द्विदिवसीय प्रवास की अगली कड़ी में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का शुभागमन मध्यप्रदेश के धार ज़िले के सिंघाना स्थित गायत्री शक्तिपीठ में हुआ, जहाँ ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ की प्रतिमाओं का लोकार्पण हजारों साधकों की उपस्थिति में श्रद्धा एवं भक्ति के साथ सम्पन्न हुआ।
गायत्री मंत्र के गूढ़ रहस्यों, श्रद्धा की महिमा और गुरुकृपा की अनुभूति से ओतप्रोत अपने भावपूर्ण संबोधन में आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने कहा—
“वेदों को जन्म देने वाली, पापों का नाश करने वाली, हमारे व्यक्तित्व को पवित्र बनाने वाली और भावनाओं को उदात्त करने वाली मंत्र शक्ति को हम ‘माँ गायत्री’ कहते हैं। यह केवल शब्द नहीं, चेतना है—जो जीवन को दिशा देती है।”
गुरु-शिष्य संबंध की आत्मीयता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा—
“जो वचन गुरु कहे, वही शिष्य का धर्म बन जाता है। जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी यदि शिष्य गुरु आज्ञा का पालन करता है, तो वही सच्ची श्रद्धा कहलाती है। जब यह भाव जागृत होता है कि ‘गुरुदेव और माताजी हमें देख रहे हैं, हमारा संरक्षण कर रहे हैं’—तो यही विश्वास हमारे भीतर श्रद्धा का दीप जलाता है।”
उन्होंने पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रदत्त आत्मबल के वरदान का स्मरण कराते हुए कहा—
“गुरुदेव ने हम सबको आत्मविश्वास का जो उपहार दिया है, वही हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है।”
कार्यक्रम में परिजनों ने माँ गायत्री के पावन स्वरूप का पूजन कर भावविभोर वातावरण में एक स्वर से प्रार्थना की। गायत्री शक्तिपीठ का संपूर्ण परिसर मंत्रों की दिव्य ध्वनि, श्रद्धा की ऊष्मा और आत्मिक ऊर्जा से आलोकित हो उठा।
Recent Post

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 63): प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
जो...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 62) प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
&l...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 61)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
चर...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 60)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
गु...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 59)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
गु...
_(1).jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 58)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
उत...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 57)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
सत...
.jpeg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 56)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
पि...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 55)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
प्...
.jpg)