प्रेम का अर्थ
.jpg-2a9DHfE9D8YZj)
“प्रेम करने का अर्थ है विश्व के सब जीवों और वस्तुओं से आत्मीयता, बन्धुत्व और एकता का अनुभव करना, और इतना गहरा अनुभव करना कि अपने आस-पास के सब लोगों पर उसका प्रभाव पड़े ओर उन्हें अधिक सुरक्षा और एकता की प्रतीति हो। प्रेम से सब के कल्याण और उन्नति की भावना उत्पन्न होती है। प्रेम से निर्भीकता, स्पष्टता, स्वतंत्रता और सत्यता बढ़ती है। प्रत्येक माता जानती है कि प्रेम देश और काल से सीमित नहीं होता। प्रेम से हमें अपनी अनन्तता और असीमता का अनुभव होने में सहायता मिलती है। प्रेम द्वारा ऐसी भावना बनाने से घृणायुक्त व्यक्ति में भी अच्छाई और प्रेम का जीवन भरा जा सकता है। प्रेम में महान उत्पादक शक्ति है। इसका परिणाम प्रारम्भ में चाहे धीरे-धीरे हो किन्तु स्थायी होता है। यह प्रभाव जिस व्यक्ति से प्रेम या विश्वास किया जाता है, उसके हृदय और चरित्र में बैठ जाता है।”
बी-ग्रेग
Recent Post

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 63): प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
जो...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 62) प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
&l...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 61)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
चर...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 60)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
गु...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 59)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
गु...
_(1).jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 58)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
उत...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 57)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
सत...
.jpeg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 56)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
पि...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 55)— प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
प्...
.jpg)