भारत, भारतीयता और करवाचौथ पर्व

करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक विशेष और पवित्र पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए मनाती हैं। इस व्रत का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक है। प्राचीन काल से ही यह पर्व दाम्पत्य जीवन में प्रेम, त्याग, और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है, लेकिन इसके धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव का विस्तार सम्पूर्ण भारत में देखा जा सकता है।
इस दिन स्त्रियाँ सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जल व्रत रखती हैं। वे करवा नामक एक छोटे घड़े का उपयोग करती हैं, जो अखंड सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है। चंद्रमा के दर्शन और पति द्वारा जल ग्रहण कराने के पश्चात व्रत को पूर्ण किया जाता है। इस व्रत का धार्मिक पक्ष स्त्रियों को मानसिक और शारीरिक धैर्य का अभ्यास कराता है, जिससे वे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और समर्पण का भाव बनाए रखती हैं।
आज के आधुनिक युग में, जहाँ जीवन की गति अत्यधिक तेज हो गई है और पारिवारिक संबंधों में संवाद की कमी होती जा रही है, करवा चौथ का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह व्रत न केवल पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करता है, बल्कि दाम्पत्य जीवन में प्रेम और विश्वास की नींव को भी सशक्त करता है। आधुनिक समाज में इस पर्व को मनाने की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि यह पति-पत्नी के बीच सामंजस्य और समर्पण के महत्व को पुनः स्मरण कराता है।
सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो करवा चौथ जैसे त्योहार भारतीय परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित और संचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह पर्व परिवारों को एक साथ लाने और सामूहिकता की भावना को प्रोत्साहित करने का माध्यम भी है।
अतः, करवा चौथ न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि भारतीय समाज में पारिवारिक प्रेम, एकता, और संस्कारों की समृद्धि का पर्व है। आधुनिक जीवन की चुनौतियों के बीच यह त्योहार हमें पारंपरिक मूल्यों के प्रति जागरूक और संवेदनशील रहने की प्रेरणा देता है।
Recent Post

"हमारी वसीयत और विरासत" (भाग 2)
इस जीवन यात्रा के गम्भीरता पूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
हमारी जीवनगाथा सब जिज्ञासुओं के लिए एक प्रकाश-स्तंभ का काम कर सकती है। वह एक बुद्धिजीवी और यथार्थवादी द्वारा अपनाई ...
.jpg)
"हमारी वसीयत और विरासत" (भाग 1)
इस जीवन यात्रा के गम्भीरता पूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
जिन्हें भले या बुरे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्ति समझा जाता है, उनकी जीवनचर्या के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों को भी जानने की इच्छा...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 1)
इस जीवनयात्रा के गंभीरतापूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
जिन्हें भले या बुरे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्ति समझा जाता है, उनकी जीवनचर्या के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों को भी जानने की इच्छा हो...

गहना कर्मणोगति: (अन्तिम भाग)
दुःख का कारण पाप ही नहीं है
दूसरे लोग अनीति और अत्याचार करके किसी निर्दोष व्यक्ति को सता सकते हैं। शोषण, उत्पीड़ित...

युवा प्रकोष्ठ कौशाम्बी के माध्यम से विद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में युवा प्रकोष्ठ कौशाम्बी की टीम ने कौशाम्बी जनपद के एन डी कॉन्वेंट स्कूल एंड स्वर्गीय श्री समाधि महाराज बाबा सूरजपाल दास इंटर कॉलेज, नसीर...

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में उत्कृष्ट प्रतिभागियों के सम्मान के साथ गायत्री चेतना केंद्र का हुआ शुभारंभ
कौशाम्बी जनपद के भरवारी नगर में नव निर्मित गायत्री चेतना केंद्र भरवारी में सोमवार को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के उत्कृष्ट प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। जनपद के अनेक विद्यालयों के बच्चों न...

पचपेड़वा में प. पू. गु. का आध्यात्मिक जन्म दिवस/बसंत पंचमी पर्व मनाया गया
आज *बसंत पंचमी* (गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्म दिवस) के पावन पर्व पर गायत्री शक्तिपीठ पचपेड़वा में यज्ञ हवन के साथ सरस्वती पूजन उल्लास पूर्ण/बासंती वातावरण में संपन्न हुआ. श...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी 2025 तक रहेगा। महाकुम्भ क्...

वीर बाल दिवस के अवसर पर साहिबजादे क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
कौशाम्बी: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में भरवारी नगर पालिका के सिंधिया में गुरुवार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के अवसर पर बाल संस्कारशाला सिंघिया द्वारा सामूहिक प्रश्नोत्तरी (क्विज) प्रतियोगिता का ...
