हमारी वसीयत और विरासत (भाग 18)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश

मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:—
‘‘जब तक तुम्हारे स्थूलशरीर की उपयोगिता रहेगी, तभी तक वह काम करेगा। इसके उपरांत इसे छोड़कर सूक्ष्मशरीर में चला जाना होगा। तब साधनाएँ भिन्न होंगी; क्षमताएँ बढ़ी-चढ़ी होंगी। विशिष्ट व्यक्तियों से संपर्क रहेगा। बड़े काम इसी प्रकार हो सकेंगे।’’
गुरुदेव ने कहा— ‘‘उचित समय आने पर तुम्हारा परिचय देवात्मा हिमालय-क्षेत्र से कराना है। गोमुख से पहले संत-महापुरुष स्थूलशरीर समेत निवास करते हैं। इस क्षेत्र में भी कई प्रकार की कठिनाइयाँ हैं। इनके बीच निर्वाह करने का अभ्यास करने के लिए, एक-एक साल वहाँ निवास करने का क्रम बना देने की योजनाएँ बनाई हैं। इसके अतिरिक्त हिमालय का हृदय जिसे ‘अध्यात्म का ध्रुवकेंद्र’ कहते हैं, उसमें चार-चार दिन ठहरना होगा। हम साथ रहेंगे। स्थूलशरीर जैसी स्थिति सूक्ष्मशरीर की बनाते रहेंगे। वहाँ कौन रहता है; किस स्थिति में रहता है; तुम्हें कैसे रहना होगा, यह भी तुम्हें विदित हो जाएगा। दोनों शरीरों का— दोनों क्षेत्रों का अनुभव क्रमशः बढ़ते रहने में तुम उस स्थिति में पहुँच जाओगे, जिसमें ऋषि अपने निर्धारित संकल्पों की पूर्ति में संलग्न रहते हैं। संक्षेप में यही है तुम्हें चार बार हिमालय बुलाने का उद्देश्य। इसके लिए जो अभ्यास करना पड़ेगा; जो परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ेगी, यह उद्देश्य भी इस बुलावे का है। तुम्हारी यहाँ पुरश्चरण साधना में इस विशिष्ट प्रयोग से कोई विघ्न न पड़ेगा।”
“सूक्ष्मशरीरधारी उसी क्षेत्र में इन दिनों निवास करते हैं। पिछले हिमयुग के बाद परिस्थितियाँ बदल गई हैं। जहाँ धरती का स्वर्ग था, वहाँ का वातावरण अब देवताओं के उपयुक्त नहीं रहा, इसलिए वे अंतरिक्ष में रहते हैं।”
क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Recent Post
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 33)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 33)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 32)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 31)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:—
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 30)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:Read More
.gif)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 29)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:—

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 28)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 27)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 26)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से ...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 25)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:&mdas...
View count
Popular Post

मौनं सर्वार्थ साधनम
मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बतायी गयी है। कहा गया है “मौनं सर्वार्थ साधनम्।” मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। महात...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी स...

अध्यात्मवाद
वर्तमान की समस्त समस्याओं का एक सहज सरल निदान है- ‘अध्यात्मवाद’। यदि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक जैसे सभी क्षेत्रों में अध्यात्मवा...

आद डॉ पंड्या आबूधाबी UAE में -संयुक्त राष्ट्र के अंग AI Faith & Civil Society Commission के मुख्य प्रवक्ता
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ के सफल आयोजन के उपरान्तअखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्य...

आत्मबल
महापुरुष की तपस्या, स्वार्थ-त्यागी का कष्ट सहन, साहसी का आत्म-विसर्जन, योगी का योगबल ज्ञानी का ज्ञान संचार और सन्तों की शुद्धि-साधुता आध्यात्मिक बल...

देश दुनिया में हो रहा युग चेतना का विस्तार ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौटे।
हरिद्वार 12 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प...

जहर की पुड़िया रखी रह गई
मेरे दादा जी की गिनती इलाके के खानदानी अमीरों में होती थी। वे सोने-चाँदी की एक बड़ी दुकान के मालिक थे। एक बार किसी लेन-देन को लेकर दादाजी और पिताजी ...

स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है।...

श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
Read More

मुंबई अश्वमेध महायज्ञ से नई ऊर्जा लेकर वापस पहुंचे टाटानगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या एवं स्नेहसलीला परम श्रद्धेया दीदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं दलनायक परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व मे...