सभी जीवों में शिव की सेवा करो

जो शिव की सेवा करना चाहता है, उसे पहले उनकी सन्तानों - विश्व के प्राणियों की सेवा करनी होगी। शास्त्रों में कहा है कि जो भगवान के दासों की सेवा करता है वही भगवान का सर्वश्रेष्ठ दास है। यह बात सदा ध्यान में रखनी होगी। निःस्वार्थपरता ही धर्म की कसौटी है। जिसमें जितनी अधिक निःस्वार्थपरता है, वह उतना ही अध्यात्मिक और उतना ही शिव के समीप है। चाहे वह विद्वान हो गया मूर्ख, शिव का सामीप्य दूसरों की अपेक्षा उसे ही प्राप्त है, चाहे उसे इसका ज्ञान हो या न हो। और इसके विपरीत यदि कोई स्वार्थी है, तो चाहे अपनी शक्ल चीते जैसी क्यों न बना ली हो, शिव से वह बहुत दूर है।
रामकृष्ण परमहंस
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