• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • सेवा से सत्य-प्राप्ति
    • बैडूर्य कमी कांच नहीं हो सकता
    • Quotation
    • कला और संस्कृति की मूल प्रेरणा-प्रेम
    • प्रेम का प्रताप
    • अद्भुतः अश्रुतोऽहम्- “मैं अद्भुत हूँ-अश्रुत हूँ”
    • परमेश्वर एक ही है
    • पदार्थ और चेतना-दो भिन्न अस्तित्व
    • आत्म-ज्ञान के बिना अभाव दूर नहीं हो सकते
    • उपासना में संयम के चमत्कार
    • निदक नियरे राखिये
    • वैराग्य से सत्य सिद्धि
    • स्वप्न द्वारा मन का आत्मा से मेल-मिलाप
    • बाल्यावस्था की नींद वृद्धावस्था में टूटी
    • नाभि में बैठा हुआ सूर्य
    • Quotation
    • आत्म एवं सनातनो
    • सेठ का अभिमान
    • हम निकृष्ट स्तर का जीवन न जिएं
    • शराब जितना आप जानते हैं उससे भी खराब
    • शाह वजिद्दौला
    • भूत की मान्यता निराधार भी साधारण भी-
    • तुलसी भूर्महादेवी-अमृतत्वप्रदायिनी
    • पुरुषार्थ और परिश्रम ही सजीवता का चिन्ह है।
    • काम करने से आदमी छोटा नहीं बनता
    • छूत अछूत का भेद
    • जल उठ रहीं आग की लपट
    • परमार्थ से बढ़कर यज्ञ नहीं
    • भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ
    • क्रान्ति विश्वव्यापी होगी-होगी किन्तु बौद्धिक
    • भविष्य को ध्यान में रखकर विचार करना
    • फिर न भटकना पड़े इतर मानव योनियों में
    • जीभ के समान सरल और कोमल बनो
    • धन नहीं धन का संग्रह पाप
    • सुख शान्ति के स्वर्ण सूत्र
    • जब कामना करें तभी वर्षा हो
    • कुछ नोट कर लेने योग्य सूचनाएं
    • अपनों से अपनी बात
    • VigyapanSuchana
    • भगीरथ सुरसरि लाने चले
    • भगीरथ सुरसरि लाने चले (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • सेवा से सत्य-प्राप्ति
    • बैडूर्य कमी कांच नहीं हो सकता
    • Quotation
    • कला और संस्कृति की मूल प्रेरणा-प्रेम
    • प्रेम का प्रताप
    • अद्भुतः अश्रुतोऽहम्- “मैं अद्भुत हूँ-अश्रुत हूँ”
    • परमेश्वर एक ही है
    • पदार्थ और चेतना-दो भिन्न अस्तित्व
    • आत्म-ज्ञान के बिना अभाव दूर नहीं हो सकते
    • उपासना में संयम के चमत्कार
    • निदक नियरे राखिये
    • वैराग्य से सत्य सिद्धि
    • स्वप्न द्वारा मन का आत्मा से मेल-मिलाप
    • बाल्यावस्था की नींद वृद्धावस्था में टूटी
    • नाभि में बैठा हुआ सूर्य
    • Quotation
    • आत्म एवं सनातनो
    • सेठ का अभिमान
    • हम निकृष्ट स्तर का जीवन न जिएं
    • शराब जितना आप जानते हैं उससे भी खराब
    • शाह वजिद्दौला
    • भूत की मान्यता निराधार भी साधारण भी-
    • तुलसी भूर्महादेवी-अमृतत्वप्रदायिनी
    • पुरुषार्थ और परिश्रम ही सजीवता का चिन्ह है।
    • काम करने से आदमी छोटा नहीं बनता
    • छूत अछूत का भेद
    • जल उठ रहीं आग की लपट
    • परमार्थ से बढ़कर यज्ञ नहीं
    • भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ
    • क्रान्ति विश्वव्यापी होगी-होगी किन्तु बौद्धिक
    • भविष्य को ध्यान में रखकर विचार करना
    • फिर न भटकना पड़े इतर मानव योनियों में
    • जीभ के समान सरल और कोमल बनो
    • धन नहीं धन का संग्रह पाप
    • सुख शान्ति के स्वर्ण सूत्र
    • जब कामना करें तभी वर्षा हो
    • कुछ नोट कर लेने योग्य सूचनाएं
    • अपनों से अपनी बात
    • VigyapanSuchana
    • भगीरथ सुरसरि लाने चले
    • भगीरथ सुरसरि लाने चले (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1971 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


कला और संस्कृति की मूल प्रेरणा-प्रेम

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 3 5 Last
साइलेशिया जर्मनी का एक प्राँत है वहां का बनज्लो नाम का कस्बा चीनी बर्तनों के लिये विख्यात है प्रेम भावनाओं की तुष्टि का प्रतीक ताजमहल सारे विश्व का एक आठवां आकर्षण माना जाता है किन्तु यहां के एक निर्धन कलाकार की कलाकृति ताजमहल से भी बढ़कर आकर्षण है उसे इसने अकेले बनाया और केवल अपने हृदय के भव्य उद्गारों को मूर्त रूप देने के लिए।

सन् 1753 की बात है युवक कलाकार एक कुम्हार के पास काम किया करता। कुम्हार की कन्या के प्रति उसके हृदय में प्रेम की भावना जागृत हुई कन्या भी उसे हृदय से प्रेम करने लगी पर कुम्हार ने अपनी पुत्री का हाथ किसी निर्धन व्यक्ति के हाथ में देना अस्वीकार कर दिया। यही नहीं उसने उस युवक को जो अब तक छोटे बर्तन भी बनाना सीख नहीं पाया था अपने पास से भगा दिया।

प्रेम आन्तरिक शक्तियों के केन्द्रीकरण की सामर्थ्य का दूसरा नाम है। सामान्य अवस्था में व्यक्ति का मन संसार के प्रत्येक आकर्षण की और भागता है। योगीजन अनेक योग-क्रियाओं का लम्बे समय तक अभ्यास करते हैं तब कहीं मन को नियंत्रण में लाते हैं किन्तु प्रेम-भावना उन समस्त योगाभ्यासों से बढ़कर है वह मन की बिखरी शक्तियों को तत्काल अन्तर्मुखी बनाकर उसे रचनात्मक दिशा दे देता है कल तक जो युवक मामूली बर्तन भी नहीं बना पाता था आज उसने संकलन किया एक अद्वितीय कलाकृति निर्मित करने का। उसने एक विशालकाय बर्तन बनाया जिसमें 30 बशेल्स (1 बशेल 8 गैलन के बराबर होता है) मटर के दाने भरे जा सकते थे नगर के वृद्धजनों ने इस बर्तन को देखा ते उनका हृदय युवक की भावनाओं के प्रति करुणा से द्रवित हो उठा। लोगों ने कुम्हार को विवश किया और कहा-निर्धनता मन की होती है यदि व्यक्ति की भावनायें परिष्कृत है तो धन को बड़ी बात नहीं तुम्हें अपनी कन्या का हाथ युवक कलाकार के हाथ में दे देना चाहिये। अन्त में कुम्हार को झुकना पड़ा। बर्तन आज भी वहां रखा है उसे लाग प्यार का बर्तन कहते हैं और इसको देखकर प्रेम-भावना के प्रतीक उस कलाकार की याद करते हैं।

प्रेम अपने आप में एक आनन्ददायी भावना है वह काम और यौन-पिपासा से भिन्न प्रकार की एक ऐसी तृप्ति है जो व्यक्ति को कला और संस्कृति के विकास की प्रेरणा देती है। यह ठीक है कि प्रेम जैसे अनिर्वचनीय सुख को काम-वासना से जोड़कर मनुष्य पतित भी कम नहीं हुआ तथापि आज संसार में जो सौंदर्य, कला और संस्कृति का विकास देखने में आ रहा है उसका मूल आधार वह प्रेम ही है जो छोटों के प्रति स्नेह, समवयस्कों के प्रति मैत्री दीन-दुखियों के प्रति करुणा, उदार मना लोक-सेवियों और महा पुरुषों के प्रति श्रद्धा और परमपिता परमात्मा के प्रति भक्ति के रूप में परिलक्षित होता है। यह भावनायें न होतीं तो मनुष्य और जड़ प्रकृति में कोई अन्तर न रहा होता।

अरस्तू कहा करते थे- अगर तुम दूसरों पर प्रभाव डालना चाहते हो तो तुम्हें ऐसा व्यक्ति बनना पड़ेगा जो सफलता पूर्वक दूसरों को स्फूर्ति और उत्साह दे सकें। यह तभी सम्भव है जब तुम उसके हृदय में प्रेम का उद्वेग कर सको। बाह्य आचरण द्वार किसी को आँशिक प्रेरणायें दी जा सकती है पर अपना बनाकर निरन्तर स्फूर्ति और चैतन्यता प्रदान करने का हो तो तुम्हें प्रेमास्पद ही बनना पड़ेगा। निष्काम प्रेमी जो केवल प्रेम के बदले प्रेम ही चाहता हो और कुछ भी नहीं।

मनुष्य ही नहीं सृष्टि के हर जीव में की प्यास अदम्य होती है। अमेरिका के सैनडिगो चिड़िया घर की निर्देशिका बेले जे. वेनशली ने चिड़िया घर में अपने उन्नीस वर्ष के अनुभवों का जिक्र करते हुये लिखा है-मैंने वन्य पशुओं के जीवन में भी प्रेम की तड़प देखी, वे भी प्रेम से सीखते सिखाते है- एकबार चिड़िया घर की मादा भालू ने एक बच्चे को जन्म दिया उसका नाम टाकू रखा गया। भालू जितना क्रोधी प्रकृति का खूंखार जानवर है उससे अधिक उसमें वात्सल्य भाव देखा जा सकता है। देखने से लगता है संसाद की विषम परिस्थितियों ने उसे क्रुद्ध होने को विवश न किया होता तो भालू संसार में सबसे अधिक स्नेह और ममता वाले स्वभाव का जीव होता। मादा चार माह तक बच्चे को पेट से चिपकाये गुफा में पड़ी रही। गुफा से वह बाहर भी नहीं निकली किन्तु फिर जैसे उसे याद आया कि बच्चे के प्रति प्रेम और वात्सल्य का यह तो अर्थ नहीं कि उसके आत्म-विकास को अवरुद्ध रखा जाये। मादा मांद से बाहर आई नन्हा शिशु उसके साथ-साथ बाहर निकला। मादा सीधे तालाब के पास पहुंची और पानी में उतर कर स्नान करने लगी। उसने अपने बच्चे को भी बहुत तेरा पानी में उतरने को प्रेरित किया मुंह से तरह-तरह की आवाज वह निकाली उससे प्रतीत होता मां उसे पानी में बुला रहीं है न आने के लिए उसमें गुस्सा भी है किन्तु वह अपनी प्यार भावना को भी दबा सकने में असमर्थ है, बच्चा अपनी मां के साथ खिलवाड़ करता है कभी-कभी किनारे पहुंच कर उसके बाल पकड़ कर बाहर खींचता है मानो वह मां को पानी में नहीं रहने देना चाहता पर मां जानती है कि आरोग्य के लिये बच्चे को स्नान कराना आवश्यक है। ममतावश उसने कई बार बच्चे को छोड़ा पर उसे गुस्सा भी दिखाना पड़ा। वह नाराजी भी प्रेम का ही एक अंग थी, भगवान भी तो नाराज होकर अपनी बनाई सृष्टि अपने बच्चों को दण्ड देता है पर उसकी दण्ड प्रक्रिया भी उसके प्रेम का ही प्रतीक हैं। खराब से खराब सृष्टि को भी वह नष्ट करना चाहता उसे सुधार की आशा रहती है इसलिये वह अपनी उस साधना को न बन्द करते हुये भी अपनी सन्तान पर प्यार रखना नहीं भूलता। स्वयं भी रोता रहता है पर नाराज होकर सृष्टि को नष्ट कर डालने की बात उसके मन में कभी आई नहीं।

एक दिन मादा ने जबरदस्ती की और उसे पानी में पकड़ ही तो ले गई उसने अपने पंजों से बच्चे को अच्छी तरह धोकर स्नान कराया। कभी वह डूबने लगता तो मां उसे सतह से ऊपर उठा देती। धीरे-धीरे शिशु-संशय दूर हो गया और वह अपनी मां के साथ अच्छी तरह तैरना सीख गया।

संसार में कला और संस्कृति का कूल प्रेम भावनायें ही है। प्रेम करना सबको आना चाहिये। प्रेम के दर्शन की जानकारी हर व्यक्ति को होनी चाहिए। प्रेम तो फूल पौधे भी करते हैं। फूलों का सौंदर्य और उनके अन्तस्तल से उड़ता हुआ मधु मकरन्द प्रेम ही है। प्रकृति का हर जड़ कण खाने पाने की प्रक्रिया में संलग्न है उसी के सहारे मनुष्य सभ्यता का विकास कर सका है। प्रेम की सच्चाई और पवित्रता के द्वारा आने वाली सृष्टि को और अधिक सुन्दर बनाने का काम हर व्यक्ति को करना चाहिये।

First 3 5 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • सेवा से सत्य-प्राप्ति
  • बैडूर्य कमी कांच नहीं हो सकता
  • Quotation
  • कला और संस्कृति की मूल प्रेरणा-प्रेम
  • प्रेम का प्रताप
  • अद्भुतः अश्रुतोऽहम्- “मैं अद्भुत हूँ-अश्रुत हूँ”
  • परमेश्वर एक ही है
  • पदार्थ और चेतना-दो भिन्न अस्तित्व
  • आत्म-ज्ञान के बिना अभाव दूर नहीं हो सकते
  • उपासना में संयम के चमत्कार
  • निदक नियरे राखिये
  • वैराग्य से सत्य सिद्धि
  • स्वप्न द्वारा मन का आत्मा से मेल-मिलाप
  • बाल्यावस्था की नींद वृद्धावस्था में टूटी
  • नाभि में बैठा हुआ सूर्य
  • Quotation
  • आत्म एवं सनातनो
  • सेठ का अभिमान
  • हम निकृष्ट स्तर का जीवन न जिएं
  • शराब जितना आप जानते हैं उससे भी खराब
  • शाह वजिद्दौला
  • भूत की मान्यता निराधार भी साधारण भी-
  • तुलसी भूर्महादेवी-अमृतत्वप्रदायिनी
  • पुरुषार्थ और परिश्रम ही सजीवता का चिन्ह है।
  • काम करने से आदमी छोटा नहीं बनता
  • छूत अछूत का भेद
  • जल उठ रहीं आग की लपट
  • परमार्थ से बढ़कर यज्ञ नहीं
  • भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ
  • क्रान्ति विश्वव्यापी होगी-होगी किन्तु बौद्धिक
  • भविष्य को ध्यान में रखकर विचार करना
  • फिर न भटकना पड़े इतर मानव योनियों में
  • जीभ के समान सरल और कोमल बनो
  • धन नहीं धन का संग्रह पाप
  • सुख शान्ति के स्वर्ण सूत्र
  • जब कामना करें तभी वर्षा हो
  • कुछ नोट कर लेने योग्य सूचनाएं
  • अपनों से अपनी बात
  • VigyapanSuchana
  • भगीरथ सुरसरि लाने चले
  • भगीरथ सुरसरि लाने चले (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj