
सूक्ष्मीकरण साधना (Kahani)
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आद्यशंकराचार्य का एक विदुषी महिला भारती से शास्त्रार्थ हुआ। धर्म-दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान आचार्य शंकर अन्य विषयों में तो जीत गए, किंतु एक विषय में उनका अनुभव न होने से शास्त्रार्थ प्रक्रिया को बीच में ही रोकना पड़ा। तत्काल तैयारी न होने से उन्होंने इसके लिए समय माँगा। विषय था- ‘कामशास्त्र’। विदुषी महिला जानबूझकर इस पर अड़ी हुई थी कि इस विषय पर भी अपनी पूर्ण मर्यादा में शास्त्रार्थ किया जाए।
आद्यशंकराचार्य ने इस अवधि में परकाया प्रवेश सिद्धि का प्रयोग कर मृत राजा के शरीर में प्रवेश किया और गृहस्थ जीवन संबंधी यौन विज्ञान का अनुभव अर्जित किया। जब नियत अवधि पूरी हुई तो उन्होंने राजा की काया में से अपना सूक्ष्मशरीर निकाल कर स्थूल काया में प्रवेश कर लिया। तदुपरान्त शास्त्रार्थ हुआ एवं अर्जित अनुभवों के आधार पर, अपने तर्कसंगत प्रतिपादनों के कारण आचार्य शंकर विजयी घोषित किए गए। यह सूक्ष्मीकरण साधना की सिद्धि का ही एक अंग है। योगविद्या में निष्णात व्यक्ति अपनी चेतनसत्ता को स्थूलकाया से कभी भी अलग व संबद्ध कर सकते है। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं।