
Quotation
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
राष्ट्र की सुरक्षा
हमारे सामने राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न खड़ा हुआ है। उसे हल करने के लिए प्रगति और शक्ति चाहिए। इन दोनों का आधार है- भावनाओं का जागरण। साधन-सामग्री भी बढ़नी चाहिए, पर इसका सदुपयोग तो भावनाओं पर ही निर्भर है। सबल राष्ट्र की रचना के लिए उसके नागरिकों का सबल होना आवश्यक है। स्वास्थ्य, धन, विद्या, संगठन, शस्त्र आदि के माध्यम से राष्ट्र बलवान बनते हैं, पर इनकी उपलब्धि के लिए प्रखर मनोबल अनिवार्य है। हम इस मूलभूत तथ्य की उपेक्षा न करें। जनमानस की प्रसुप्त उत्कृष्ट भावनाओं को जगाने का प्रयत्न करें तो उसे आधार पर जाग्रत हुई शक्ति हमारी ही नहीं, सारी मनुष्य जाति की अगणित समस्याओं को हल कर सकती है। सुरक्षा समस्या को हल करना तो उस जनजाग्रति के लिए नितांत सरल और सहज है।
-राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने (वांग्मय क्रः 64 पृ. 1.2)