• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • हम श्रेष्ठ योद्धा की भूमिका निबाहें
    • जब जाग जाती हैं अतींद्रिय शक्तियाँ तब
    • क्या स्वप्न अचेतन का भटकाव मात्र है
    • Quotation
    • आत्मावलम्बन (Kahani)
    • सदी के अंतिम स्वतंत्रता दिवस पर करें कुछ आत्मचिंतन
    • Quotation
    • आरुणि की परीक्षा (Kahani)
    • ध्यान से बड़ा नहीं-कोई भी नशा
    • कुरूप कुबेर (Kahani)
    • लिखालिखी की है नहीं, देखादेखी बात
    • Quotation
    • वास्तुशास्त्र में ईशान कोण की महत्ता
    • Quotation
    • आत्मावलम्बी (Kahani)
    • नई सदी की भाग्य विधात्री होगी नारी
    • सूक्ष्मीकरण साधना (Kahani)
    • डरिए मत भूतों से, उनका अस्तित्व तो है ही
    • Quotation
    • आत्मा यथार्थ में पवित्र है (Kahani)
    • हँसिए-हँसाइए नहीं तो रोग आ घेरेगा
    • श्रावणी (28 अगस्त) पर विशेष - चमक उठे राष्ट्रीय स्वाभिमान का महासूर्य इस पर्व पर
    • जन हितैषी मनुष्य (Kahani)
    • बुद्धिमान मनुष्य की मूर्खता का परिणाम भोग रहे हैं हम
    • बिंदु में सिंधु समाया
    • गणेश दत्त सिंह (Kahani)
    • एक साहसिक भिड़ंत, जिसकी परिणति सुखद हुई
    • रामशास्त्री की ईमानदारी (Kahani)
    • कैसा हो हमारा आहार?
    • सच्चा विश्वास (kahani)
    • युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय-अमृत कलश
    • VigyapanSuchana
    • युगशिल्पी अहमन्यता के विषपान से बचें
    • श्रावणी पर्व का माहात्म्य एवं प्रेरणाएँ
    • VigyapanSuchana
    • युग गीता-4 - सद्गुरु के रूप में भगवान का वरण
    • VigyapanSuchana
    • हीरक जयंती की पूर्व वेला में श्रावण का संदेश - अमृतवाणी
    • गुरु- कथामृत- 1 - ‘पाती’ जिससे इसे मिशन की नींव रखी गई
    • उत्तम संपत्ति (Kahani)
    • यह हमारे राष्ट्र की अग्निपरीक्षा का है।
    • राष्ट्रधर्म पर युगद्रष्टा का चिंतन
    • Quotation
    • संस्कार एक औषधि
    • संस्कार एक औषधि (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • हम श्रेष्ठ योद्धा की भूमिका निबाहें
    • जब जाग जाती हैं अतींद्रिय शक्तियाँ तब
    • क्या स्वप्न अचेतन का भटकाव मात्र है
    • Quotation
    • आत्मावलम्बन (Kahani)
    • सदी के अंतिम स्वतंत्रता दिवस पर करें कुछ आत्मचिंतन
    • Quotation
    • आरुणि की परीक्षा (Kahani)
    • ध्यान से बड़ा नहीं-कोई भी नशा
    • कुरूप कुबेर (Kahani)
    • लिखालिखी की है नहीं, देखादेखी बात
    • Quotation
    • वास्तुशास्त्र में ईशान कोण की महत्ता
    • Quotation
    • आत्मावलम्बी (Kahani)
    • नई सदी की भाग्य विधात्री होगी नारी
    • सूक्ष्मीकरण साधना (Kahani)
    • डरिए मत भूतों से, उनका अस्तित्व तो है ही
    • Quotation
    • आत्मा यथार्थ में पवित्र है (Kahani)
    • हँसिए-हँसाइए नहीं तो रोग आ घेरेगा
    • श्रावणी (28 अगस्त) पर विशेष - चमक उठे राष्ट्रीय स्वाभिमान का महासूर्य इस पर्व पर
    • जन हितैषी मनुष्य (Kahani)
    • बुद्धिमान मनुष्य की मूर्खता का परिणाम भोग रहे हैं हम
    • बिंदु में सिंधु समाया
    • गणेश दत्त सिंह (Kahani)
    • एक साहसिक भिड़ंत, जिसकी परिणति सुखद हुई
    • रामशास्त्री की ईमानदारी (Kahani)
    • कैसा हो हमारा आहार?
    • सच्चा विश्वास (kahani)
    • युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय-अमृत कलश
    • VigyapanSuchana
    • युगशिल्पी अहमन्यता के विषपान से बचें
    • श्रावणी पर्व का माहात्म्य एवं प्रेरणाएँ
    • VigyapanSuchana
    • युग गीता-4 - सद्गुरु के रूप में भगवान का वरण
    • VigyapanSuchana
    • हीरक जयंती की पूर्व वेला में श्रावण का संदेश - अमृतवाणी
    • गुरु- कथामृत- 1 - ‘पाती’ जिससे इसे मिशन की नींव रखी गई
    • उत्तम संपत्ति (Kahani)
    • यह हमारे राष्ट्र की अग्निपरीक्षा का है।
    • राष्ट्रधर्म पर युगद्रष्टा का चिंतन
    • Quotation
    • संस्कार एक औषधि
    • संस्कार एक औषधि (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1999 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


हँसिए-हँसाइए नहीं तो रोग आ घेरेगा

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 20 22 Last
जीवन की भाग-दौड़ में हताश-निराश एवं थका मानव इतना भ्रमित एवं परेशान पहले कभी नहीं दिखा। अपनी उलझनों के चक्रव्यूह में फँसकर स्वास्थ्य, निरोगिता एवं यौवन-उल्लास उसके लिए सपने की चीजें बन गई हैं। अब हर सुख पाने के लिए टॉनिकों और औषधियों की दुनिया में भटका करता है। उसकी यह भटकन बहुत कुछ कस्तूरी मृग की तरह है, जो उसे हास्यरूपी अमूल्य निधि एवं अचूक टानिक सुझायी ही नहीं देता, जिसे ईश्वर ने उसको सहज ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध करा रखा है।

स्विट्जरलैंड में आयोजित ‘इंटरनेशनल काँग्रेस ऑफ ह्यूमर’ में प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार पचास के दशक में आम इनसान 18 मिनट प्रतिदिन हँसता था। जीवनस्तर में उल्लेखनीय सुधार के बावजूद 90 के दशक में यह समय सिमटकर मात्र 6 मिनट शेष रह गया है, जबकि पचास का दशक भीषण आर्थिक मंदी के लिए माना जाता है। जर्मन मनोचिकित्सक डॉ. माइकल टिटन के अनुसार, आज हम ऐसे समाज में रह रहे हैं, जो उपलब्धि व सफलता को अत्यधिक महत्व देता है और जब व्यक्ति इन स्तरों को हासिल करने में असफल हो जाता है व स्वयं की कल्पना के इस मानदण्डों पर खरा नहीं उतरता, तो वह शर्म, हताश व अवसाद का शिकार हो जाता है। लोगों को हँसने का कोई का कारण समझ नहीं आता, यहाँ तक कि कठिन समय में वह स्वयं पर भी नहीं हँस पाता।

हास्य को सदा से ही शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का प्रमुख साधन माना गया है। विद्वान हजरत सुलेमान ने तो इसे रामबाण औषधि की संज्ञा दी है। उनके शब्दों में- “यदि मुख पर हास्य और हृदय में उल्लास है, तो स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव रामबाण औषधि की तरह पड़ता है।” इसी बात की पुष्टि में डॉ. ओलीवर बैंडल होम्ज कहते हैं कि हास्य या उल्लास प्राकृतिक औषधियों का महासागर है।

अंग्रेजी में कहावत है कि प्रतिदिन केवल तीन बार खिलखिलाकर हँसने से मनुष्य न तो रोगी होता और न उसे किसी डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। आयुर्वेद व मनोविज्ञान का स्वर्ण सिद्धांत है कि चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि विषाक्त मनोभावों से हमारे शरीर में जो विष की उत्पत्ति होती रहती है, हास्य उसका परिशोधक है। सही मायने में हास्य से बढ़कर बलवर्धक और उत्साहप्रद कोई अन्य रसायन हो ही नहीं सकता।

जोरों से हँसने पर वक्षस्थल पर एक-के-बाद एक कई झटके लगते हैं। प्रत्येक झटके के साथ रक्तवाहिनी नलिकाओं का रक्त हृदय तक पहुँचने के पहले मार्ग में कई जगह रुकता है। यही कारण है कि देर तक हँसते रहने से मनुष्य का चेहरा थोड़ा-बहुत लाल हो जाता है। हास्यप्रक्रिया के बीच-बीच जो श्वासोच्छवास प्रक्रिया होती है, उसके कारण फेफड़ों के बाहर साफ हवा पहुँचती है और दूषित वायु बाहर निकलती है।

हँसने से भोजन शीघ्र पचता है। जो व्यक्ति भोजन करते समय रोता है उसकी भूख कम हो जाती है। और पाचनक्रिया निष्क्रिय हो जाती है। हँसते हुए भोजन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है तथा रस, रक्त, माँस, मज्जा, चर्बी, अस्थि एवं वीर्य की वृद्धि होती है।

हास्य की चिकित्सकीय उपयोगिता पर वैज्ञानिक दृष्टि की कहानी मात्र दो दशक पुरानी है। ‘साइकोलॉजी टुडे’ में निकले शोध-पत्र के अनुसार 80 के दशक में हास्य के स्वास्थ्यवर्द्धक प्रभाव की ओर वैज्ञानिकों की नजर गई और 90 के दशक में इसकी चिकित्सकीय उपयोगिता असंदिग्ध रूप से स्पष्ट हो सकी। लॉफिंगथेरेपी के आविष्कार का श्रेय एक अमेरिकन पत्रकार नारमन काजिन को जाता है। हँसने से स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह विचार उन्होंने अपनी पुस्तक ‘एनाटमी ऑफ इलनेस’ में प्रतिपादित किया है। उनकी स्वयं की रीढ़ की हड्डी में ऐसी बीमारी थी, जिसका उपचार विज्ञान जगत के पास नहीं था। उन्हें असहनीय पीड़ा होती थी, जिससे ध्यान बँटाने के लिए टी.वी. पर हास्य कार्यक्रम देखते और ठहाके लगाते। कुछ दिनों में वे यह देखकर चकित थे कि दर्द पूर्णतया गायब हो गया है। इस प्रकार उन्होंने चिकित्सा जगत को अपने आविष्कार का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि जोर-जोर से हँसने पर शरीर में एंडोर्फिन नामक रसायन का स्तर बढ़ जाता है, जो सबसे अच्छे दर्द-निवारकों में है। यही नहीं इससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में रक्त संचार होता है, जिससे न्यूरोट्राँसमीटर की मात्रा बढ़ती है। इससे मन प्रसन्न रहता है, स्मरणशक्ति बढ़ती है। यही नहीं मधुमेह, रक्तचाप, दमा व चर्मरोग आदि बीमारियाँ दूर हो जाती हैं।

विभिन्न अनुसंधानों के बाद वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि हँसने से मस्तिष्क को उत्प्रेरणा मिलती है, जिससे वहाँ एपीनेफ्रेन, नोरेपाइनफ्रीन और डोपामाइन जैसे हार्मोन पैदा होते हैं। ये हार्मोन शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक हैं और दर्द को कम करके वात रोगों व एलर्जी जैसे रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि हँसना एक उत्तम व्यायाम है। प्रतिदिन चार-पाँच किमी दौड़ने से जो व्यायाम होता है और उससे जो शारीरिक क्षमता बढ़ती है, उतनी ही हँसने से बढ़ती है। हँसने से स्नायुओं को स्वतः व्यायाम करने का अवसर मिलता है, जिससे शारीरिक व मानसिक तनाव दूर होता है।

यूरोपियन वेल्यूज ग्रुप द्वारा बीस यूरोपीय देशों में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार ब्रिटेन के निवासी सर्वाधिक स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हैं। उनके उत्तम स्वास्थ्य का यही राज है कि वे हँसने- हँसाने में औरों की अपेक्षा अधिक समय लगाते हैं। ब्रिटिश चिकित्सा विभाग के शोध-संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य के स्वभाव और उसकी भावनाओं का सर्दी-जुकाम से गहरा रिश्ता है। मानसिक तनाव की स्थिति में शरीर में स्टेराइड नामक तत्व बनने लगता है, जिससे जीवनीशक्ति नष्ट होने लगती है और शरीर पर रोगाणु आसानी से हावी होने लगते हैं। संस्थान के विशेषज्ञों का परामर्श है कि जो व्यक्ति नजला, सर्दी जुकाम व दमा से बचना चाहते हैं, वे तनाव से बचें। अभिव्यक्ति के लिए जी खोलकर हँसे। हँसी से इन रोगों से बच सकते हैं और स्वस्थ रह सकते हैं।

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन स्कूल के डॉ. विलियम क्रे का मत है कि जो लोग हँसते-हँसाते नहीं हैं, वे अपेक्षाकृत कहीं जल्दी और गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं। डॉ. क्रे. के अनुसार, हँसने से शरीर के अंदर समूचे तंत्र में ऐसी हलचल होती है, जो एंडोक्राइन प्रक्रिया को सुचारु कर देती है। इससे रोग पास नहीं फटकने पाते। हँसी से मन की गाठें आसानी से खुल जाती हैं और चेहरे पर क्राँति आ जाती है।

न्यूयार्क बेबी हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. स्टव औषधि उपचार के साथ जोकर बनकर बच्चों को हँसाने का भी काम करते हैं। उनका कहना है कि यदि हम रोगी की जीवन की रक्षा नहीं कर सकते, तो उसे हँसाकर व खुश रखकर उसके जीवन की अवधि तो कुछ बढ़ा ही सकते हैं। डॉ. ब्रेक द्वारा हास्यचिकित्सा के बीच रोगियों के रक्त की जाँच की गई, जिसमें आश्चर्यजनक परिवर्तन पाए गए। रोगियों में रोग के कीटाणुओं से लड़ने वाले सफेद रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ी हुई मिली। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में कमी पाई गयी।

कैलीफोर्निया स्टेट विश्वविद्यालय के नर्सिंग विभाग के डॉ. राबिंसन पिछले 20 वर्षों से हास्य चिकित्सा पर काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जब हम हँसते हैं, तो हमारा तनाव, गुस्सा व संकोच सब दूर होते हैं। हँसी मनुष्य को जीवन जीने की दृष्टि देती है। हमने देखा है कि आप्रेशन के लिए जा रहे रोगी को यदि हम हँसाते हैं, तो उसमें दर्द को सहने की क्षमता बढ़ जाती है।

स्वास्थ्य संस्था ‘हार्टकेयर फाँडेशन’ के अध्यक्ष डॉ. कर्नल के. एल. चोपड़ा अपनी पुस्तक ‘योर लाइफ इज इन योर हैंड’ में अपने विचार प्रस्तुत करते हैं कि हँसी से हमारे सकारात्मक भाव और विचार जन्म लेते हैं। ऐसे रसायनों की उत्पत्ति होती है, जो न केवल दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, उनका कहना है कि कृत्रिम तौर पर हँसने से भी शरीर को प्राकृतिक हँसी जैसा ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है, क्योंकि हमारा मस्तिष्क कृत्रिम हँसी को भी प्राकृतिक हँसी के रूप में ग्रहण करता है।

हँसी के लाभ को नए सिरे से महत्व देने में भारतीय डॉक्टर मदन कटारिया का नाम भी उल्लेखनीय है। मुम्बई के डॉक्टर कटारिया ने तीन वर्ष पूर्व अपने चार मित्रों के सहयोग से हँसोड़ क्लब बनाया था। आज इस अजीबो-गरीब थेरेपी में लोग इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं कि अब तक लगभग 150 हंसोड़ क्लब खुल चुके हैं और इसका विस्तार भारत के बाहर अन्य देशों में भी हो रहा है। फ्राँस और जर्मनी के लोग भी हँसोड़ क्लब बनाने की राह पर हैं। पिछले दिनों स्विट्जरलैंड और अमेरिका के दो सम्मेलनों में डॉ. कटारिया के प्रयासों को खूब सराहा गया।

हँसी के व्यायाम पैकेज देने वाले वे विश्व के संभवतः प्रथम व्यक्ति हैं। उनका मानना है कि हम भारतीय बड़े सीरियस किस्म के लोग हैं। हमें हँसना पसन्द नहीं है। हम तो सिर्फ मुसकराते हैं। हम एक-दूसरे के समीप से गुजर जाते हैं, किंतु अभिवादन करना हमें गवारा नहीं है। ऐसा लगता है कि अंग्रेजों की हुकूमत के आतंक से अभी हम मुक्त नहीं हो सके हैं। उनके अनुसार अपनी हीन भावना से मुक्त होने के लिए हँसने से बढ़कर अन्य कोई औषधि नहीं है।

डॉ. कटारिया ने लगभग 30 प्रकार के हास्य व्यायाम ईजाद किए हैं। उनका मानना है कि इनसे शरीर के विभिन्न अंग-अवयवों का व्यायाम होता है। उनमें सिंह हास्य है, जिसमें मुँह फाड़कर दाँत निकलने पड़ते हैं। इससे मुँह की माँसपेशियों को लाभ पहुँचता है। इसी प्रकार कपोत हास में मुँह बंद कर कबूतर की तरह गुटरगूँ की ध्वनि निकालनी पड़ती है। हिंडोल हास में झूले की सी आवाज निकालकर हँसना होता है।

हँसने-हँसाने के अद्भुत प्रभाव को देखते हुए व्यावसायिक जगत में भी इससे लाभान्वित होने के गंभीर प्रयास चल रहे हैं। अमेरिका में कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में ह्यूमर कंसलटेंट के पद बनाए जा रहे हैं। ये कर्मचारियों के लिए हँसी-खुशी का वातावरण तो बना ही रहे हैं, अधिकारियों को भी कामकाज में इसके महत्व को समझा रहे हैं। इसके अनुसार कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में हँसी-मजाक का बेहतर उपयोग सम्भव है।

साहित्यकार बर्नार्डशा ने एक स्थान पर सही ही लिखा है कि “हँसी की पृष्ठभूमि पर ही स्वास्थ्य एवं यौवन के प्रसून खिलते हैं। यौवन को तरोताजा बनाए रखने के लिए आप भी खूब हँसिए।” फिर भला हम क्यों उदास हो? क्यों न आज और अभी एक जोरदार ठहाके की गूँज में अपनी सारी चिंता अवसाद को उड़ा फेंके। हास्य ही तो जीवन जीने का रहस्य है। इसे जाने ही नहीं अपनाए भी।

First 20 22 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • हम श्रेष्ठ योद्धा की भूमिका निबाहें
  • जब जाग जाती हैं अतींद्रिय शक्तियाँ तब
  • क्या स्वप्न अचेतन का भटकाव मात्र है
  • Quotation
  • आत्मावलम्बन (Kahani)
  • सदी के अंतिम स्वतंत्रता दिवस पर करें कुछ आत्मचिंतन
  • Quotation
  • आरुणि की परीक्षा (Kahani)
  • ध्यान से बड़ा नहीं-कोई भी नशा
  • कुरूप कुबेर (Kahani)
  • लिखालिखी की है नहीं, देखादेखी बात
  • Quotation
  • वास्तुशास्त्र में ईशान कोण की महत्ता
  • Quotation
  • आत्मावलम्बी (Kahani)
  • नई सदी की भाग्य विधात्री होगी नारी
  • सूक्ष्मीकरण साधना (Kahani)
  • डरिए मत भूतों से, उनका अस्तित्व तो है ही
  • Quotation
  • आत्मा यथार्थ में पवित्र है (Kahani)
  • हँसिए-हँसाइए नहीं तो रोग आ घेरेगा
  • श्रावणी (28 अगस्त) पर विशेष - चमक उठे राष्ट्रीय स्वाभिमान का महासूर्य इस पर्व पर
  • जन हितैषी मनुष्य (Kahani)
  • बुद्धिमान मनुष्य की मूर्खता का परिणाम भोग रहे हैं हम
  • बिंदु में सिंधु समाया
  • गणेश दत्त सिंह (Kahani)
  • एक साहसिक भिड़ंत, जिसकी परिणति सुखद हुई
  • रामशास्त्री की ईमानदारी (Kahani)
  • कैसा हो हमारा आहार?
  • सच्चा विश्वास (kahani)
  • युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय-अमृत कलश
  • VigyapanSuchana
  • युगशिल्पी अहमन्यता के विषपान से बचें
  • श्रावणी पर्व का माहात्म्य एवं प्रेरणाएँ
  • VigyapanSuchana
  • युग गीता-4 - सद्गुरु के रूप में भगवान का वरण
  • VigyapanSuchana
  • हीरक जयंती की पूर्व वेला में श्रावण का संदेश - अमृतवाणी
  • गुरु- कथामृत- 1 - ‘पाती’ जिससे इसे मिशन की नींव रखी गई
  • उत्तम संपत्ति (Kahani)
  • यह हमारे राष्ट्र की अग्निपरीक्षा का है।
  • राष्ट्रधर्म पर युगद्रष्टा का चिंतन
  • Quotation
  • संस्कार एक औषधि
  • संस्कार एक औषधि (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj