• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • मन्त्र पूत जल का कमाल
    • ऐसे थे पूज्य गुरुदेव
    • घट-घट में बसै गुरु की चेतना
    • गुरु चिन्तन से मिली कारागार से मुक्ति
    • एक ही दिन में मिले तीन जीवनदान
    • मृत महिला को मिला नया जीवन
    • माँ के लहूलुहान हाथ
    • इसी बुड्ढे ने बचाई थी मेरी जान
    • काल के गाल से निकाला महाकाल ने
    • ईसाई चिकित्सक को दिव्य दिशा निर्देश
    • पल भर में सुनी गई अबला की पुकार
    • आस्था से मिली संकट से मुक्ति
    • चुटकियों में हुआ ब्लड कैंसर का इलाज
    • और वह तबादला वरदान बन गया!
    • नतमस्तक हो गये वनवासी लुटेरे
    • तुम सदा रहते साथ हमारे
    • फलित हुआ माँ का आश्वासन
    • ..और आखिर गुरुदेव ने सुनी उनकी बात
    • खण्डित होने से बचा समयदान का संकल्प
    • शक्तिपात से पल मात्र में हुआ कायाकल्प
    • मैं अभागन उन्हें पहचान न पाई
    • गुरुदेव ने मेरी दृष्टि बदल दी
    • तीर के वार से भी कुछ नहीं बिगड़ा
    • निर्मूल सिद्ध हुई डॉक्टरों की आशंका
    • आसान होता गया शान्तिकुञ्ज का सफर
    • जागृत हुई गाँव की सामूहिक शक्ति
    • मुँह की खानी पड़ी नाचती हुई मौत को
    • दलदल से निकाल कर दिखाई थी राह
    • संजीवनी साधना से मिला जीवनदान
    • कलियुग के सूर को मिले भगवान
    • तबादला स्थगित हुआ
    • महाकाल ने सुनी माता की उलाहना
    • बदली हुई दृष्टि ने जीवन बदल दिया
    • दीपयज्ञ ने दिया बेटी को जीवन दान
    • बच्चे को मिली ऑपरेशन से मुक्ति
    • ...तब भी मैं अकेली नहीं थी
    • सूक्ष्म शरीर से दिया आश्वासन
    • करोगे याद हमको पास अपने शीघ्र पाओगे
    • विनम्रता से विगलित हुआ अहंकार
    • गंगा में डूबने से बचाया एक बालक ने
    • गुरुर्वाक्यं ब्रह्मवाक्यं
    • आँखें फट पड़ीं आँखों के डाक्टर की
    • जहर की पुड़िया रखी रह गई
    • दो माह में दूर हुआ अल्सरेटिव कोलाइटिस
    • गुरु गायत्री दोऊ खड़े प्रारब्ध करे पार
    • याद करते ही आ पहुँचे शान्तिकुंज के देवदूत
    • परीक्षा के दिन हुआ बीमारी से बचाव
    • गुरुकार्य में साधनों की कमी नहीं रहती
    • पूरा हुआ शक्तिपीठ की स्थापना का संकल्प
    • योगक्षेमं वहाम्यहम्
    • प्रसाद में छिपा था पोलियो का इलाज
    • जाँच रिपोर्ट से चिकित्सक भी चकित
    • गायत्री महाविज्ञान है अवसाद की औषधि
    • तुम मेरा काम करो हम तुम्हारा काम करेंगे
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • मन्त्र पूत जल का कमाल
    • ऐसे थे पूज्य गुरुदेव
    • घट-घट में बसै गुरु की चेतना
    • गुरु चिन्तन से मिली कारागार से मुक्ति
    • एक ही दिन में मिले तीन जीवनदान
    • मृत महिला को मिला नया जीवन
    • माँ के लहूलुहान हाथ
    • इसी बुड्ढे ने बचाई थी मेरी जान
    • काल के गाल से निकाला महाकाल ने
    • ईसाई चिकित्सक को दिव्य दिशा निर्देश
    • पल भर में सुनी गई अबला की पुकार
    • आस्था से मिली संकट से मुक्ति
    • चुटकियों में हुआ ब्लड कैंसर का इलाज
    • और वह तबादला वरदान बन गया!
    • नतमस्तक हो गये वनवासी लुटेरे
    • तुम सदा रहते साथ हमारे
    • फलित हुआ माँ का आश्वासन
    • ..और आखिर गुरुदेव ने सुनी उनकी बात
    • खण्डित होने से बचा समयदान का संकल्प
    • शक्तिपात से पल मात्र में हुआ कायाकल्प
    • मैं अभागन उन्हें पहचान न पाई
    • गुरुदेव ने मेरी दृष्टि बदल दी
    • तीर के वार से भी कुछ नहीं बिगड़ा
    • निर्मूल सिद्ध हुई डॉक्टरों की आशंका
    • आसान होता गया शान्तिकुञ्ज का सफर
    • जागृत हुई गाँव की सामूहिक शक्ति
    • मुँह की खानी पड़ी नाचती हुई मौत को
    • दलदल से निकाल कर दिखाई थी राह
    • संजीवनी साधना से मिला जीवनदान
    • कलियुग के सूर को मिले भगवान
    • तबादला स्थगित हुआ
    • महाकाल ने सुनी माता की उलाहना
    • बदली हुई दृष्टि ने जीवन बदल दिया
    • दीपयज्ञ ने दिया बेटी को जीवन दान
    • बच्चे को मिली ऑपरेशन से मुक्ति
    • ...तब भी मैं अकेली नहीं थी
    • सूक्ष्म शरीर से दिया आश्वासन
    • करोगे याद हमको पास अपने शीघ्र पाओगे
    • विनम्रता से विगलित हुआ अहंकार
    • गंगा में डूबने से बचाया एक बालक ने
    • गुरुर्वाक्यं ब्रह्मवाक्यं
    • आँखें फट पड़ीं आँखों के डाक्टर की
    • जहर की पुड़िया रखी रह गई
    • दो माह में दूर हुआ अल्सरेटिव कोलाइटिस
    • गुरु गायत्री दोऊ खड़े प्रारब्ध करे पार
    • याद करते ही आ पहुँचे शान्तिकुंज के देवदूत
    • परीक्षा के दिन हुआ बीमारी से बचाव
    • गुरुकार्य में साधनों की कमी नहीं रहती
    • पूरा हुआ शक्तिपीठ की स्थापना का संकल्प
    • योगक्षेमं वहाम्यहम्
    • प्रसाद में छिपा था पोलियो का इलाज
    • जाँच रिपोर्ट से चिकित्सक भी चकित
    • गायत्री महाविज्ञान है अवसाद की औषधि
    • तुम मेरा काम करो हम तुम्हारा काम करेंगे
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - अदभुत, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य -1

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT TEXT TEXT


और वह तबादला वरदान बन गया!

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 13 15 Last
        सन् १९९६ के आखिर में मेरा तबादला चाइबासा में हो गया। यहाँ आने के लिए मैं मानसिक रूप से बिल्कुल तैयार नहीं था। आरंभ से ही गुरुदेव से और उनके मिशन से इस प्रकार जुड़ा रहा कि विभागीय जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद जो समय बचता था, उसमें मिशन का काम किए बिना मुझे चैन नहीं मिलता था, किन्तु उड़ीसा की सीमा से सटे इस क्षेत्र में मिशन के कार्य कर पाने की संभावना नहीं के बराबर थी। मैं पूज्य गुरुदेव से प्रार्थना करने लगा कि वे मेरा तबादला रुकवा दें, लेकिन उन्होंने मेरी प्रार्थना नहीं सुनी और विभागीय दबाव के कारण अन्ततः मुझे चाइबासा का कार्यभार सँभालना ही पड़ा।       

        वहाँ का प्रभार सँभालते हुए कुछ ही दिन बीते थे कि एक दिन सुबह- सुबह दो लड़कियाँ मेरे आवास पर पहुँच गयीं। मैं सोचने लगा कि ये कौन हैं और इन्हें दफ्तर जाने के बजाय यहाँ आवास पर आने की क्या जरूरत पड़ गई। पास आकर जब उन दोनों ने अपना परिचय दिया तो मेरा हृदय एक सुखद आश्चर्य से भर उठा। वे दोनों गायत्री परिवार की ही थीं। उनमें से एक थी वन्दना और दूसरी चंचल गुप्ता। मेरे विभाग के ही किसी व्यक्ति के द्वारा उन्हें यह मालूम हो चुका था कि मिशन से मेरी गहरी संबद्धता है। वे इस उम्मीद से मेरे पास आई थीं कि उनके द्वारा जैसे- तैसे चलाए जा रहे मिशन के कार्यक्रमों को विस्तार दिया जा सके।

        उन्होंने बताया कि मिशन का नाम जानने वाले यहाँ गिने- चुने लोग ही हैं। वे दोनों अपने स्तर से पूरी तरह प्रयासरत हैं, फिर भी मिशन को मजबूती नहीं मिल पा रही है। इन प्रयासों में अधिकाधिक समय देने के कारण गाहे- बगाहे इन्हें घर- परिवार वालों की डाँट भी सुननी पड़ जाती थी। इन विकट परिस्थितियों में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की मैं मन ही मन सराहना किए बिना न रह सका।

        मुझे लगा कि इन दोनों बहिनों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में मिशन को मजबूत करने के लिए ही पूज्य गुरुदेव ने मुझे यहाँ भेजा है। तभी उन्होंने तबादला रुकवाने की मेरी प्रार्थना स्वीकार नहीं की थी। अब मुझे सबसे पहले नौ कुंडीय यज्ञ के लिए एक स्थान का चयन करना था। इसके लिए शंभुस्थान, शंकर मंदिर मैदान उपलब्ध हो गया। यज्ञ में लोगों को शामिल करने के लिए सघन प्रचार की आवश्यकता थी। इसके लिए जगह- जगह छोटे- छोटे दीप यज्ञों का आयोजन कर लोगों को संदेश दिए जाने लगे। घर- घर सम्पर्क कर विशेष गोष्ठियों का आयोजन किया गया, ताकि स्थानीय लोगों को युग निर्माण योजना के बारे में विस्तार से बताया जा सके।

        इधर लोगों के बीच प्रचार के कार्य चल रहे थे, उधर कुण्ड निर्माण से लेकर साधन- सामग्री जुटाने का प्रयास भी किया जा रहा था। यज्ञ की तैयारियों में शुरू से अन्त तक कहीं कोई अड़चन नहीं आई। चारों ओर से सहयोग की बारिश होने लगी। भोजन प्रसाद की व्यवस्था श्री रूँगटा ने की। दीप यज्ञ और हवन के लिए घर- घर से आमंत्रण आने लगे। विभिन्न व्यावसायिक ग्रुपों ने भी सहयोग का हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया। मारवाड़ियों के एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान- कोल ग्रुप द्वारा दीप यज्ञ का आयोजन किया गया। अन्ततः यज्ञ इतने भव्य रूप में सम्पन्न हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की गई थी।

        इस यज्ञ के दौरान ही शक्तिपीठ की स्थापना की बात रखी गई। रायपुर के एक मारवाड़ी सज्जन ने शक्तिपीठ के लिए स्थान की पेशकश की। तीन कट्टे के अहाते में बना हुआ तीन कमरे का मकान, चौड़ा बरामदा, अहाते के अन्दर ही चाँपाकल। स्थान के उपलब्ध हो जाने से शक्तिपीठ के निर्माण का कार्य द्रुतगति से चल पड़ा।

        १८ जनवरी १९९७ को भूमि पूजन हुआ। एस.पी. रामजी साहब ने शक्तिपीठ के निर्माण के लिए विधिपूर्वक भूमि पूजन किया। यह भूमि दरअसल एक बहुत बड़े भू- खंड का हिस्सा थी। उस पर काफी दिनों से कोर्ट में केस चल रहा था, जिसमें पूर्वोक्त मारवाड़ी सज्जन को कुछ इस तरह लपेटा गया था कि भूमि पर उनका अधिकार साबित होने की कम ही गुंजाइश थी। प्रतिपक्ष की जोड़तोड़ के कारण स्थिति कुछ ऐसी बन गई थी कि उनको जेल भी जाना पड़ सकता था। ऊपर से स्थानीय भू- माफियाओं द्वारा उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी जा रही थी, जो उस भूमि पर कब्जा करना चाहते थे।
      
 शक्तिपीठ के लिए इस भूमि को दान में देने की मौखिक पेशकश करते ही परिस्थिति कुछ इस प्रकार पलटती चली गई कि सारे विरोधियों के सब प्रयास धरे के धरे रह गए। केस की दिशा ही बदल गई और निष्पत्ति मारवाड़ी सेठ के पक्ष में रही। मारवाड़ी सेठ की वर्षों से चली आ रही इस समस्या के बारे में एस.पी. साहब ने मुझे तब बताया जब इस विवाद का निपटारा न्यायालय द्वारा पूरा हो गया। जब स्थानीय लोगों को इस बात की जानकारी मिली तो सभी एक स्वर से कहने लगे कि ऐसे जटिल मुकदमें का फैसला मारवाड़ी सेठ के पक्ष में होना उनके द्वारा शक्तिपीठ के लिए भूमिदान का ही परिणाम है। खुद एस.पी. साहब भी इस निर्णय को लेकर आश्चर्यचकित थे।

        पूरे क्षेत्र में चर्चित इस मुकद्दमें में मारवाड़ी सेठ की जीत से चारों ओर गायत्री माता और गुरुदेव की शक्ति की चर्चाएँ होने लगीं। इन चर्चाओं को तब और बल मिला जब अनायास ही वन्दना के लिए रिश्ता मिल गया और उसकी शादी हो गई। एक पैर से लाचार होने के कारण उसके लिए रिश्ता मिलना मुश्किल हो रहा था। यही कारण था कि 25- 26 वर्ष की हो जाने के बाद भी उसकी शादी तय नहीं हो सकी थी। शादी को लेकर उसके माता- पिता के लिए भी यह एक सुखद आश्चर्य की घड़ी थी।

        इतना सब कुछ घटित होने के बाद यह बात मेरी समझ में आ गई कि चाईबासा के तबादले की व्यवस्था पूज्य गुरुदेव ने मुझे पुरस्कृत करने के लिए ही बनाई थी। तबादले के समय मैं यह सोचकर मरा जा रहा था कि वहाँ मिशन के काम मुझे अधूरे छोड़ने पड़ेंगे ,, लेकिन यहाँ आकर जब शक्तिपीठ की स्थापना जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य मुझ अकिंचन के द्वारा पूरा हुआ तो मेरा रोम- रोम गुरुसत्ता की असीम अनुकम्पा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने लगा।

प्रस्तुतिः के.पी. पाण्डेय
     आईएएस पटना (बिहार)
First 13 15 Last


Other Version of this book



अदभुत, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अदभुत, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य -2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अदभुत, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य -3
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

सुनसान के सहचर
Type: SCAN
Language: EN
...

सुनसान के सहचर
Type: SCAN
Language: EN
...

सुनसान के सहचर
Type: SCAN
Language: EN
...

सुनसान के सहचर
Type: SCAN
Language: EN
...

सुनसान के सहचर
Type: SCAN
Language: EN
...

हमारी वसीयत और विरासत
Type: SCAN
Language: EN
...

हमारी वसीयत और विरासत
Type: SCAN
Language: EN
...

हमारी वसीयत और विरासत
Type: SCAN
Language: EN
...

हमारी वसीयत और विरासत
Type: SCAN
Language: EN
...

हमारी वसीयत और विरासत
Type: SCAN
Language: EN
...

अमर वाणी - १
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अमर वाणी - १
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अमर वाणी - १
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अमर वाणी - १
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अमर वाणी - १
Type: SCAN
Language: HINDI
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

Articles of Books

  • मन्त्र पूत जल का कमाल
  • ऐसे थे पूज्य गुरुदेव
  • घट-घट में बसै गुरु की चेतना
  • गुरु चिन्तन से मिली कारागार से मुक्ति
  • एक ही दिन में मिले तीन जीवनदान
  • मृत महिला को मिला नया जीवन
  • माँ के लहूलुहान हाथ
  • इसी बुड्ढे ने बचाई थी मेरी जान
  • काल के गाल से निकाला महाकाल ने
  • ईसाई चिकित्सक को दिव्य दिशा निर्देश
  • पल भर में सुनी गई अबला की पुकार
  • आस्था से मिली संकट से मुक्ति
  • चुटकियों में हुआ ब्लड कैंसर का इलाज
  • और वह तबादला वरदान बन गया!
  • नतमस्तक हो गये वनवासी लुटेरे
  • तुम सदा रहते साथ हमारे
  • फलित हुआ माँ का आश्वासन
  • ..और आखिर गुरुदेव ने सुनी उनकी बात
  • खण्डित होने से बचा समयदान का संकल्प
  • शक्तिपात से पल मात्र में हुआ कायाकल्प
  • मैं अभागन उन्हें पहचान न पाई
  • गुरुदेव ने मेरी दृष्टि बदल दी
  • तीर के वार से भी कुछ नहीं बिगड़ा
  • निर्मूल सिद्ध हुई डॉक्टरों की आशंका
  • आसान होता गया शान्तिकुञ्ज का सफर
  • जागृत हुई गाँव की सामूहिक शक्ति
  • मुँह की खानी पड़ी नाचती हुई मौत को
  • दलदल से निकाल कर दिखाई थी राह
  • संजीवनी साधना से मिला जीवनदान
  • कलियुग के सूर को मिले भगवान
  • तबादला स्थगित हुआ
  • महाकाल ने सुनी माता की उलाहना
  • बदली हुई दृष्टि ने जीवन बदल दिया
  • दीपयज्ञ ने दिया बेटी को जीवन दान
  • बच्चे को मिली ऑपरेशन से मुक्ति
  • ...तब भी मैं अकेली नहीं थी
  • सूक्ष्म शरीर से दिया आश्वासन
  • करोगे याद हमको पास अपने शीघ्र पाओगे
  • विनम्रता से विगलित हुआ अहंकार
  • गंगा में डूबने से बचाया एक बालक ने
  • गुरुर्वाक्यं ब्रह्मवाक्यं
  • आँखें फट पड़ीं आँखों के डाक्टर की
  • जहर की पुड़िया रखी रह गई
  • दो माह में दूर हुआ अल्सरेटिव कोलाइटिस
  • गुरु गायत्री दोऊ खड़े प्रारब्ध करे पार
  • याद करते ही आ पहुँचे शान्तिकुंज के देवदूत
  • परीक्षा के दिन हुआ बीमारी से बचाव
  • गुरुकार्य में साधनों की कमी नहीं रहती
  • पूरा हुआ शक्तिपीठ की स्थापना का संकल्प
  • योगक्षेमं वहाम्यहम्
  • प्रसाद में छिपा था पोलियो का इलाज
  • जाँच रिपोर्ट से चिकित्सक भी चकित
  • गायत्री महाविज्ञान है अवसाद की औषधि
  • तुम मेरा काम करो हम तुम्हारा काम करेंगे
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj