• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ॥ गुरु वन्दना॥
    • ॥ सरस्वती वन्दना॥
    • ॥ व्यास वन्दना॥
    • ॥ साधनादिपवित्रीकरणम् ॥
    • ॥ सामान्य प्रकरण॥
    • ॥ न्यासः॥
    • ॥ दीपपूजनम्॥
    • ॥ सर्वदेवनमस्कारः॥
    • ॥ स्वस्तिवाचनम्॥
    • ॥ गायत्री स्तवनम्॥
    • ॥ जलप्रसेचनम्॥
    • ॥ घृतावघ्राणम्॥
    • ॥ यज्ञ महिमा॥
    • ॥ विसर्जनम्॥।
    • ॥ कलशस्थापन ॥
    • ॥ पुरुष सूक्त॥
    • ॥ कुशकण्डिका॥
    • ॥ स्फुट प्रकरण॥
    • || प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण ||
    • ॥ पुंसवन संस्कार॥
    • ॥ अन्नप्राशन संस्कार॥
    • ॥ मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार॥
    • ॥ विद्यारम्भ संस्कार॥
    • ॥ यज्ञोपवीत दीक्षा संस्कार॥
    • ॥ विवाह संस्कार॥
    • ॥ पर्व प्रकरण॥
    • ॥ श्री रामनवमी॥
    • ॥ वानप्रस्थ संस्कार॥
    • ॥ गायत्री जयन्ती- गङ्गा दशहरा॥
    • ॥ अन्त्येष्टि संस्कार॥
    • ॥ मरणोत्तर संस्कार॥
    • ॥ विवाह दिवस संस्कार॥
    • ॥ जन्मदिवस संस्कार॥
    • ॥ नवरात्र पर्व॥
    • ॥ गुरुपूर्णिमा॥
    • श्री कृष्ण जन्माष्टमी - गीता जयन्ती
    • विजयादशमी
    • दीपावली पूजन
    • वसन्त पंचमी
    • महाशिवरात्रि पर्व
    • होली
    • अन्य पर्वों के प्रारूप
    • श्रावणी पर्व
    • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
    • त्रिदेव पूजन
    • पंचवेदी पूजन
    • पंचभू- संस्कार
    • मेखलापूजन
    • पंचामृतकरण
    • दशविध स्नान व जलयात्रा विधान
    • ॥ भूमि पूजन प्रकरण॥ - || गृह प्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग ||
    • || संस्कार प्रकरण ||
    • ॥ नामकरण संस्कार॥
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ॥ गुरु वन्दना॥
    • ॥ सरस्वती वन्दना॥
    • ॥ व्यास वन्दना॥
    • ॥ साधनादिपवित्रीकरणम् ॥
    • ॥ सामान्य प्रकरण॥
    • ॥ न्यासः॥
    • ॥ दीपपूजनम्॥
    • ॥ सर्वदेवनमस्कारः॥
    • ॥ स्वस्तिवाचनम्॥
    • ॥ गायत्री स्तवनम्॥
    • ॥ जलप्रसेचनम्॥
    • ॥ घृतावघ्राणम्॥
    • ॥ यज्ञ महिमा॥
    • ॥ विसर्जनम्॥।
    • ॥ कलशस्थापन ॥
    • ॥ पुरुष सूक्त॥
    • ॥ कुशकण्डिका॥
    • ॥ स्फुट प्रकरण॥
    • || प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण ||
    • ॥ पुंसवन संस्कार॥
    • ॥ अन्नप्राशन संस्कार॥
    • ॥ मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार॥
    • ॥ विद्यारम्भ संस्कार॥
    • ॥ यज्ञोपवीत दीक्षा संस्कार॥
    • ॥ विवाह संस्कार॥
    • ॥ पर्व प्रकरण॥
    • ॥ श्री रामनवमी॥
    • ॥ वानप्रस्थ संस्कार॥
    • ॥ गायत्री जयन्ती- गङ्गा दशहरा॥
    • ॥ अन्त्येष्टि संस्कार॥
    • ॥ मरणोत्तर संस्कार॥
    • ॥ विवाह दिवस संस्कार॥
    • ॥ जन्मदिवस संस्कार॥
    • ॥ नवरात्र पर्व॥
    • ॥ गुरुपूर्णिमा॥
    • श्री कृष्ण जन्माष्टमी - गीता जयन्ती
    • विजयादशमी
    • दीपावली पूजन
    • वसन्त पंचमी
    • महाशिवरात्रि पर्व
    • होली
    • अन्य पर्वों के प्रारूप
    • श्रावणी पर्व
    • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
    • त्रिदेव पूजन
    • पंचवेदी पूजन
    • पंचभू- संस्कार
    • मेखलापूजन
    • पंचामृतकरण
    • दशविध स्नान व जलयात्रा विधान
    • ॥ भूमि पूजन प्रकरण॥ - || गृह प्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग ||
    • || संस्कार प्रकरण ||
    • ॥ नामकरण संस्कार॥
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - कर्मकाण्ड भास्कर

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


॥ कलशस्थापन ॥

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 14 16 Last
॥ कलशस्थापन॥
सूत्र संकेत- कलश की स्थापना और पूजा लगभग प्रत्येक कर्मकाण्ड में की जाती है। सामान्य रूप से कलश पहले से तैयार रखा रहता है और पूजन क्रम में उसका पूजन करा दिया जाता है। यदि कहीं इस प्रकरण का विस्तार करना आवश्यक लगे, तो स्थापना के लिए नीचे दिये गये पाँच उपचार कराये जाते हैं। यह उपचार पूर्ण होने पर कलश प्रार्थना प्रयोग करके आगे बढ़ा जाता है। यह विस्तृत कलश स्थापन, प्राण प्रतिष्ठा, गृह प्रवेश, गृह शान्ति, नवरात्र जैसे प्रकरणों में जोड़ा जा सकता है। बड़े यज्ञों में देव पूजन के पूर्व प्रधान कलश अथवा पंच वेदिकाओं के पाँचों कलशों पर एक साथ यह उपचार कराये जा सकते हैं।

स्थापना प्रसंग के लिए रँगा हुआ कलश, उसके नीचे रखने का घेरा (ईडली), अलग पात्र में शुद्ध जल, कलावा, मंगल द्रव्य, नारियल पहले से तैयार रखने चाहिए।

शिक्षण एवं प्रेरणा- कलश को सभी देव शक्तियों, तीर्थों आदि का संयुक्त प्रतीक मानकर, उसे स्थापित- पूजित किया जाता है। कलश को यह गौरव मिला है, उसकी धारण करने की क्षमता- पात्रता से। घट स्थापन के साथ स्मरण रखा जाना चाहिए कि हर व्यक्ति, हर क्षेत्र, हर स्थान में धारण करने की अपनी क्षमता होती है। उसे सजाया- सँवारा जाना चाहिए। उसके लिए उपयुक्त आधार दिया जाना चाहिए।

पात्र में पवित्र जल भरते हैं। श्रद्धा और पवित्रता से भरी- पूरी पात्रता ही धन्य होती है। उसमें मङ्गल द्रव्य डालते हैं। पात्रता को मंगलमय गुणों से विभूषित किया जाना चाहिए। कलावा बाँधने का अर्थ है- पात्रता को आदर्शवादिता से अनुबन्धित करना। नारियल- श्रीफल, सुख- सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। उसकी स्थापना का तात्पर्य है कि ऐसी व्यवस्थित पात्रता पर ही सुख- सौभाग्य स्थिर रहते हैं।

क्रिया और भावना- पाँचों उपचार एक- एक करके मन्त्रों के साथ सम्पन्न करें, उनके अनुरूप भावना सभी बनाये रखें।
१- घटस्थापन- मन्त्रोच्चार के साथ कलश को निर्धारित स्थान या चौकी आदि पर स्थापित करें। भावना करें कि अपने- अपने प्रभाव क्षेत्र की पात्रता प्रभु चरणों में स्थापित कर रहे हैं।

ॐ आजिग्घ्र कलशं मह्या, त्वा विशन्त्विन्दवः। पुनरूर्जा निवर्त्तस्व, सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा, पयस्वती पुनर्मा विशताद्रयिः। -८.४२
२- जलपूरण- मन्त्रोच्चार के साथ सावधानी से शुद्ध जल कलश में भरें। भावना करें कि समर्पित पात्रता का खालीपन श्रद्धा- संवेदना से, तरलता- सरलता से लबालब भर रहा है।

ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि, वरुणस्य स्कम्भसर्जनी स्थो, वरुणस्यऽऋतसदन्यसि, वरुणस्यऽऋत सदनमसि, वरुणस्यऽऋतसदनमासीद॥ - ४.३६
३- मङ्गलद्रव्यस्थापन- मन्त्र के साथ कलश में दूर्वा- कुश, पूगीफल- सुपारी, पुष्प और पल्लव डालें। भावना करें कि स्थान और व्यक्तित्व में छिपी पात्रता में दूर्वा जैसे जीवनी शक्ति, कुश जैसी प्रखरता, सुपारी जैसी गुणयुक्त स्थिरता, पुष्प जैसा उल्लास तथा पल्लवों जैसी सरलता, सादगी का संचार किया जा रहा है।

ॐ त्वां गन्धर्वाऽअखनँस्त्वाम्, इन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः।
त्वामोषधे सोमो राजा, विद्वान्यक्ष्मादमुच्यत॥ - १२.९८

४- सूत्रवेष्टन- मन्त्र के साथ कलश में कलावा लपेटें। भावना करें कि पात्रता को अवाञ्छनीयता से जुड़ने का अवसर न देकर उसे आदर्शवादिता के साथ अनुबन्धित कर रहे हैं, ईश अनुशासन में बाँध रहे हैं।
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह, शर्मवरूथ माऽसदत्स्वः।
वासोऽ अग्ने विश्वरूप œ, सं व्ययस्व विभावसो॥ -११.४०

५- नारिकेल संस्थापन- मन्त्र के साथ कलश के ऊपर नारियल रखें। भावना करें कि इष्ट के चरणों में समर्पित पात्रता सुख- सौभाग्य की आधार बन रही है। यह दिव्य कलश जहाँ स्थापित हुआ है, वहाँ की जड़- चेतना सारी पात्रता इन्हीं संस्कारों से भर रही है।
ॐ याः फलिनीर्या ऽ अफलाऽ, अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता, नो मुञ्चन्त्व œ हसः। -१२.८९
तत्पश्चात् ॐ मनोजूतिर्जुषताम् ० मन्त्र से (दोनों हाथ लगाकर) प्रतिष्ठा करें। बाद में तत्त्वायामि० मन्त्र का प्रयोग करते हुए पंचोपचार पूजन करें और कलशस्य मुखे विष्णुः० इत्यादि मन्त्रों से प्रार्थना करें।

॥ गणेश- गौरीपूजन॥

कलश पूजन के साथ गणेश- गौरी पूजन की भी परम्परा अनेक स्थानों पर पायी गयी है। वास्तव में यह संक्षिप्तीकरण की पद्धति है। कलश पूजन के साथ गणपति को सभी मातृशक्तियों की प्रतीक मानकर पूजन किया जाता है। यदि इस प्रकार का संक्षिप्त पूजन करना हो, तो इस पुस्तक के पृ.क्र.४६,४७ में दिये गये देवपूजन प्रसङ्ग के आरम्भिक चार मन्त्रों से काम चल सकता है। उस स्थिति में क्रमशः गुरु तत्त्व का गुरुर्ब्रह्मा...... आद्यशक्ति गायत्री का आयातु वरदे देवि....... गणपति का अभीप्सितार्थ सिद्ध्यर्थं ....... तथा गौरी का सर्व मङ्गल माङ्गल्ये.......... मन्त्र से आवाहन करके पंचोपचार पूजन करा देना चाहिए।

॥ सर्वतोभद्रवेदिका पूजन॥

सर्वतोभद्र मण्डल पर निम्न मन्त्रों के साथ ३३ देवताओं का श्रद्धा -भक्तिपूर्वक आवाहन करना चाहिए। प्रत्येक देवता के आवाहन के साथ निर्धारित वर्ग पर अक्षत, पुष्प, सुपारी चढ़ाते रहना चाहिए।
(१) गणेश (विवेक) पीला
ॐ गणानां त्वा गणपति œ हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति œ हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति œ हवामहे, वसो मम। आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्। ॐ गणपतये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२३.१९
(२) गौरी (तपस्या) हरा
ॐ आयंगौः पृश्निरक्रमी, दसदन् मातरं पुरः। पितरञ्च प्रयन्त्स्वः॥ ॐ गौर्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -३.६
(३) ब्रह्मा (निर्माण) लाल
ॐ ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्, विसीमतः सुरुचो वेनऽआवः। स बुध्न्याऽ उपमाऽ अस्य विष्ठाः,सतश्च योनिमसतश्चवि वः॥
ॐ ब्रह्मणे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -१३.३
(४) विष्णु (ऐश्वर्य) सफेद
ॐ इदं विष्णुर्विचक्रमे, त्रेधा निदधे पदम्। समूढमस्य पा œ सुरे स्वाहा। ॐ विष्णवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि ध्यायामि॥ -५.१५
(५) रुद्र (दमन) लाल
ॐ नमस्ते रुद्र मन्यवऽ,उतो तऽ इषवे नमः। बाहुभ्यामुत ते नमः॥ ॐ रुद्राय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -१६.१
(६) गायत्री (ऋतम्भरा प्रज्ञा) पीला
ॐ गायत्री त्रिष्टुब्जगत्यनुष्टुप्, पंक्त्या सह। बृहत्युष्णिहा ककुप्सूचीभिः, शम्यन्तु त्वा॥ ॐ गायत्र्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - २३.३३
(७) सरस्वती (बुद्धि- शिक्षा) लाल
ॐ पावका नः सरस्वती, वाजेभिर्वाजिनीवती। यज्ञं वष्टु धियावसुः। ॐ सरस्वत्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२०.८४
(८) लक्ष्मी (समृद्धि) सफेद
ॐ श्रीश्च ते लक्ष्मीश्च पत्न्यावहो रात्रे, पार्श्वे नक्षत्राणि रूपमश्विनौ व्यात्तम्। इष्णन्निषाणामुम्मऽ इषाण, सर्वलोकं म ऽ इषाण। ॐ लक्ष्म्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -३१.२२
(९) दुर्गा शक्ति (सङ्गठन) लाल
ॐ जातवेदसे सुनवाम सोमम्, अरातीयतो नि दहाति वेदः। स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वा, नावेव सिन्धुं दुरितात्यग्निः॥ ॐ दुर्गायै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -ऋ. १.९९.१
(१०) पृथ्वी (क्षमा) सफेद
ॐ मही द्यौः पृथिवी च नऽ, इमं यज्ञं मिमिक्षताम्। पिपृतां नो भरीमभिः। ॐ पृथिव्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - ८.३२
(११) अग्नि (तेजस्विता) पीला
ॐ त्वं नो अग्ने वरुणस्य विद्वान्, देवस्य हेडो अव यासिसीष्ठाः। यजिष्ठो वह्नितमः शोशुचानो, विश्वा द्वेषा œ सि प्र मुमुग्ध्यस्मत्। ॐ अग्नये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२१.३
(१२) वायु (गतिशीलता) सफेद
ॐ आ नो नियुद्भिः शतिनीभिरध्वर œ, सहस्रिणीभिरुप याहि यज्ञम्। वायो अस्मिन्त्सवने मादयस्व, यूयं पात स्वस्तिभिः सदा नः। ॐ वायवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२७.२८
(१३) इन्द्र (व्यवस्था) लाल
ॐ त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्द्र œ, हवेहवे सुहव œशूरमिन्द्रम्। ह्वयामि शक्रं पुरुहूतमिन्द्रœ, स्वस्ति नो मघवा धात्विन्द्रः। ॐ इन्द्राय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२०.५०
(१४) यम (न्याय )) सफेद
ॐ सुगन्नुपंथां प्रदिशन्नऽएहि, ज्योतिष्मध्येह्यजरन्नऽआयुः। अपैतु मृत्युममृतं मऽआगाद्, वैवस्वतो नो ऽ अभयं कृणोतु। ॐ यमाय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥
(१५) कुबेर (मितव्ययिता) काला
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने, नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे। स मे कामान् कामकामाय मह्यम्। कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु। कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः। ॐ कुबेराय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -तै०आ० १.३१
(१६) अश्विनीकुमार (आरोग्य) पीला
ॐ अश्विना तेजसा चक्षुः, प्राणेन सरस्वती वीर्यम्। वाचेन्द्रो बलेनेन्द्राय, दधुरिन्द्रियम्। ॐ अश्विनीकुमाराभ्यां नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - २०.८०
(१७) सूर्य (प्रेरणा) काला
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्त्तमानो, निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना, देवो याति भुवनानि पश्यन्॥ ॐ सूर्याय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -३३.४३, ३४.३१
(१८) चन्द्रमा (शान्ति) लाल
ॐ इमं देवाऽ असपत्न œ, सुवध्वं महते क्षत्राय, महते ज्यैष्ठ्याय, महते जानराज्याय, इन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्यै, पुत्रमस्यै विशऽएष वोऽमी, राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना œ राजा। ॐ चन्द्रमसे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -९.४०
(१९) मङ्गल (कल्याण) सफेद
ॐ अग्निर्मूर्द्धा दिवः ककुत्, पतिः पृथिव्याऽ अयम्। अपा œ रेता œ सि जिन्वति। ॐ भौमाय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -३.१२
(२०) बुध (सन्तुलन) हरा
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि, त्वमिष्टापूर्ते स œ सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्, विश्वे देवा यजमानश्च सीदत॥ ॐ बुधाय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - १५.५४
(२१) बृहस्पति (अनुशासन) पीला
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो, अर्हाद्द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवसऋतप्रजात, तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्। उपयामगृहीतोऽसि बृहस्पतये, त्वैष ते योनिर्बृहस्पतये त्वा। ॐ बृहस्पतये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥    -ऋ०२.२३.१५, २६.३
(२२) शुक्र (संयम) हरा
ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं, ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रम्, पयः सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं, विपानœ शुक्रमन्धस, ऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु॥ ॐ शुक्राय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -१९.७५
(२३) शनिश्चर (तितिक्षा) लाल
ॐ शन्नो देवीरभिष्टयऽ, आपो भवन्तु पीतये। शं योरभिस्रवन्तु नः। ॐ शनिश्चराय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - ३६.१२
(२४) राहु (संघर्ष) पीला
ॐ कया नश्चित्रऽआ भुव, दूती सदावृधः सखा। कया शचिष्ठया वृता। ॐ राहवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२७.३९
(२५) केतु (साहस) लाल
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे, पेशो मर्या अपेशसे। समुषद्भिरजायथाः। ॐ केतवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२९.३७
(२६) गङ्गा (पवित्रता) सफेद
ॐ पञ्च नद्यः सरस्वतीम्, अपि यन्ति सस्रोतसः। सरस्वती तु पंचधा, सो देशेऽभवत्सरित्। ॐ गङ्गायै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि ध्यायामि॥ -३४.११
(२७) पितृ (दान) पीला
ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः, पितामहेभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः, प्रपितामहेभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः। अक्षन् पितरोऽमीमदन्त, पितरोतीतृपन्त पितरः, पितरः शुन्धध्वम्।
ॐ पितृभ्यो नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - १९.३६
(२८) इन्द्राणी (श्रमशीलता) सफेद
ॐ अदित्यै रास्नाऽसीन्द्राण्या उष्णीषः। पूषासि घर्माय दीष्व। ॐ इन्द्राण्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ - ३८.३
(२९) रुद्राणी (वीरता) काला
ॐ या ते रुद्र शिवातनूः, अघोराऽपापकाशिनी। तया नस्तन्वा शन्तमया, गिरिशन्ताभिचाकशीहि। ॐ रुद्राण्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -१६.२

(३०) ब्रह्माणी (नियमितता) पीला
ॐ इन्द्रा याहि धियेषितो, विप्रजूतः सुतावतः। उप ब्रह्माणि वाघतः। ॐ ब्रह्माण्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -२०.८८
(३१) सर्प (धैर्य) काला
ॐ नमोऽस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु। ये अन्तरिक्षे ये दिवि, तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः। ॐ सर्पेभ्यो नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ १३.६
(३२) वास्तु (कला) हरा
ॐ वास्तोष्पते प्रति जानीहि अस्मान्, स्वावेशो अनमीवो भवा नः। यत्त्वेमहे प्रतितन्नो जुषस्व, शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे॥ ॐ वास्तुपुरुषाय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥ -ऋ० ७.५४.१
(३३) आकाश (विशालता) सफेद
ॐ या वां कशा मधुमत्यश्विना सूनृतावती। तया यज्ञं मिमिक्षतम्। उपयामगृहीतोऽस्यश्विभ्यां, त्वैष ते योनिर्माध्वीभ्यां त्वा।
ॐ आकाशाय नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥  - ७.११
First 14 16 Last


Other Version of this book



कर्मकाण्ड भास्कर
Type: SCAN
Language: HINDI
...

कर्मकाण्ड भास्कर
Type: TEXT
Language: HINDI
...

કર્મકાંડ ભાસ્કર
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • ॥ गुरु वन्दना॥
  • ॥ सरस्वती वन्दना॥
  • ॥ व्यास वन्दना॥
  • ॥ साधनादिपवित्रीकरणम् ॥
  • ॥ सामान्य प्रकरण॥
  • ॥ न्यासः॥
  • ॥ दीपपूजनम्॥
  • ॥ सर्वदेवनमस्कारः॥
  • ॥ स्वस्तिवाचनम्॥
  • ॥ गायत्री स्तवनम्॥
  • ॥ जलप्रसेचनम्॥
  • ॥ घृतावघ्राणम्॥
  • ॥ यज्ञ महिमा॥
  • ॥ विसर्जनम्॥।
  • ॥ कलशस्थापन ॥
  • ॥ पुरुष सूक्त॥
  • ॥ कुशकण्डिका॥
  • ॥ स्फुट प्रकरण॥
  • || प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण ||
  • ॥ पुंसवन संस्कार॥
  • ॥ अन्नप्राशन संस्कार॥
  • ॥ मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार॥
  • ॥ विद्यारम्भ संस्कार॥
  • ॥ यज्ञोपवीत दीक्षा संस्कार॥
  • ॥ विवाह संस्कार॥
  • ॥ पर्व प्रकरण॥
  • ॥ श्री रामनवमी॥
  • ॥ वानप्रस्थ संस्कार॥
  • ॥ गायत्री जयन्ती- गङ्गा दशहरा॥
  • ॥ अन्त्येष्टि संस्कार॥
  • ॥ मरणोत्तर संस्कार॥
  • ॥ विवाह दिवस संस्कार॥
  • ॥ जन्मदिवस संस्कार॥
  • ॥ नवरात्र पर्व॥
  • ॥ गुरुपूर्णिमा॥
  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी - गीता जयन्ती
  • विजयादशमी
  • दीपावली पूजन
  • वसन्त पंचमी
  • महाशिवरात्रि पर्व
  • होली
  • अन्य पर्वों के प्रारूप
  • श्रावणी पर्व
  • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
  • त्रिदेव पूजन
  • पंचवेदी पूजन
  • पंचभू- संस्कार
  • मेखलापूजन
  • पंचामृतकरण
  • दशविध स्नान व जलयात्रा विधान
  • ॥ भूमि पूजन प्रकरण॥ - || गृह प्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग ||
  • || संस्कार प्रकरण ||
  • ॥ नामकरण संस्कार॥
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj