• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ॥ गुरु वन्दना॥
    • ॥ सरस्वती वन्दना॥
    • ॥ व्यास वन्दना॥
    • ॥ साधनादिपवित्रीकरणम् ॥
    • ॥ सामान्य प्रकरण॥
    • ॥ न्यासः॥
    • ॥ दीपपूजनम्॥
    • ॥ सर्वदेवनमस्कारः॥
    • ॥ स्वस्तिवाचनम्॥
    • ॥ गायत्री स्तवनम्॥
    • ॥ जलप्रसेचनम्॥
    • ॥ घृतावघ्राणम्॥
    • ॥ यज्ञ महिमा॥
    • ॥ विसर्जनम्॥।
    • ॥ कलशस्थापन ॥
    • ॥ पुरुष सूक्त॥
    • ॥ कुशकण्डिका॥
    • ॥ स्फुट प्रकरण॥
    • || प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण ||
    • ॥ पुंसवन संस्कार॥
    • ॥ अन्नप्राशन संस्कार॥
    • ॥ मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार॥
    • ॥ विद्यारम्भ संस्कार॥
    • ॥ यज्ञोपवीत दीक्षा संस्कार॥
    • ॥ विवाह संस्कार॥
    • ॥ पर्व प्रकरण॥
    • ॥ श्री रामनवमी॥
    • ॥ वानप्रस्थ संस्कार॥
    • ॥ गायत्री जयन्ती- गङ्गा दशहरा॥
    • ॥ अन्त्येष्टि संस्कार॥
    • ॥ मरणोत्तर संस्कार॥
    • ॥ विवाह दिवस संस्कार॥
    • ॥ जन्मदिवस संस्कार॥
    • ॥ नवरात्र पर्व॥
    • ॥ गुरुपूर्णिमा॥
    • श्री कृष्ण जन्माष्टमी - गीता जयन्ती
    • विजयादशमी
    • दीपावली पूजन
    • वसन्त पंचमी
    • महाशिवरात्रि पर्व
    • होली
    • अन्य पर्वों के प्रारूप
    • श्रावणी पर्व
    • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
    • त्रिदेव पूजन
    • पंचवेदी पूजन
    • पंचभू- संस्कार
    • मेखलापूजन
    • पंचामृतकरण
    • दशविध स्नान व जलयात्रा विधान
    • ॥ भूमि पूजन प्रकरण॥ - || गृह प्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग ||
    • || संस्कार प्रकरण ||
    • ॥ नामकरण संस्कार॥
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ॥ गुरु वन्दना॥
    • ॥ सरस्वती वन्दना॥
    • ॥ व्यास वन्दना॥
    • ॥ साधनादिपवित्रीकरणम् ॥
    • ॥ सामान्य प्रकरण॥
    • ॥ न्यासः॥
    • ॥ दीपपूजनम्॥
    • ॥ सर्वदेवनमस्कारः॥
    • ॥ स्वस्तिवाचनम्॥
    • ॥ गायत्री स्तवनम्॥
    • ॥ जलप्रसेचनम्॥
    • ॥ घृतावघ्राणम्॥
    • ॥ यज्ञ महिमा॥
    • ॥ विसर्जनम्॥।
    • ॥ कलशस्थापन ॥
    • ॥ पुरुष सूक्त॥
    • ॥ कुशकण्डिका॥
    • ॥ स्फुट प्रकरण॥
    • || प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण ||
    • ॥ पुंसवन संस्कार॥
    • ॥ अन्नप्राशन संस्कार॥
    • ॥ मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार॥
    • ॥ विद्यारम्भ संस्कार॥
    • ॥ यज्ञोपवीत दीक्षा संस्कार॥
    • ॥ विवाह संस्कार॥
    • ॥ पर्व प्रकरण॥
    • ॥ श्री रामनवमी॥
    • ॥ वानप्रस्थ संस्कार॥
    • ॥ गायत्री जयन्ती- गङ्गा दशहरा॥
    • ॥ अन्त्येष्टि संस्कार॥
    • ॥ मरणोत्तर संस्कार॥
    • ॥ विवाह दिवस संस्कार॥
    • ॥ जन्मदिवस संस्कार॥
    • ॥ नवरात्र पर्व॥
    • ॥ गुरुपूर्णिमा॥
    • श्री कृष्ण जन्माष्टमी - गीता जयन्ती
    • विजयादशमी
    • दीपावली पूजन
    • वसन्त पंचमी
    • महाशिवरात्रि पर्व
    • होली
    • अन्य पर्वों के प्रारूप
    • श्रावणी पर्व
    • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
    • त्रिदेव पूजन
    • पंचवेदी पूजन
    • पंचभू- संस्कार
    • मेखलापूजन
    • पंचामृतकरण
    • दशविध स्नान व जलयात्रा विधान
    • ॥ भूमि पूजन प्रकरण॥ - || गृह प्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग ||
    • || संस्कार प्रकरण ||
    • ॥ नामकरण संस्कार॥
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - कर्मकाण्ड भास्कर

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


होली

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 40 42 Last
माहात्म्यबोध- होली पर्व सारे भारत में हर्षोल्लास का पर्व है, जिसमें छोटे- बड़े का भेद भुलाकर जनमानस एकाकार होकर तरंगित होने लगता है। यह यज्ञीय पर्व है। नई फसल पकने लगती है। उसके उल्लास में सामूहिक यज्ञ के रूप में होली जलाकर नवीन अन्न का यज्ञ करके, उसके बाद में उपयोग में लाने का क्रम बनाया गया है। कृषि प्रधान देश की यज्ञीय संस्कृति के सर्वथा अनुकूल यह परिपाटी बनाई गई है।

पुराणकालीन, आदर्श सत्याग्रही, भक्त प्रह्लाद के दमन के लिए हिरण्यकशिपु के छल- प्रपञ्च सफल न हो सके, उसे भस्म करने के प्रयास में होलिका जल मरी और प्रह्लाद तपे कञ्चन बन गये। खीझ क्रोध से उन्मत्त हिरण्यकशिपु जब स्वयं उसे मारने दौड़ा, तो नृसिंह भगवान् ने प्रकट होकर उसे समाप्त कर दिया। इस कथा की महान् प्रेरणाओं को होली के यज्ञीय वातावरण में उभारा जाना उपयुक्त है।

यह राष्ट्रीय चेतना के जागरण का पर्व है। जहाँ वर्गभेद है, वहाँ समस्त साधन होते हुए भी क्लेश और अशक्तता ही रहेगी, जिनमें भ्रातृत्व सहकार है, वे अल्प साधनों में भी प्रसन्न और अजेय रहेंगे, इसलिए इसे समता का पर्व भी मानते हैं। कार्य विभाजन के लिए किये गये चार प्रमुख वर्गों को महत्त्व देने की परम्परा रखी गई है। होली पर्व में शूद्र वर्ग को प्रधान महत्त्व देकर समता- सिद्धान्त को चरितार्थ किया जाता रहा है।

इन सब प्रेरणाओं- विशेषताओं को उभारने- पनपाने के लिए होली पर्व का सामूहिक आयोजन अतीव उपयोगी है। प्रभावशाली लोकसेवी भावनापूर्वक इसके लिए प्रयत्न हों, तो बड़े आकर्षक और प्रभावशाली रूप में यह मनाया जा सकता है। होली पर्व पर जो कुरीतियाँ पनप गई हैं, उन्हें निरस्त करने में भी सामूहिक पर्व आयोजन से बड़ी सहायता मिलती है। उत्साह बना रहे, पर उसे मोड़ देकर शुभ बनाया जाए- यह कलाकारिता है, इसे प्रभावशाली लोक- सेवी थोड़े प्रयास- पुरुषार्थ, सूझ- बूझ से सम्पन्न कर सकते हैं। कुछ प्रयोग इस प्रकार किये जा सकते हैं-

होलिका दहन वाले दिन टोली बनाकर निकलें तथा घर- घर से अश्लील चित्र, अश्लील साहित्य माँगें, जो ऐसे चित्र दे, उनके नाम नोट करते चलें। होलिका दहन के समय दोषदहन क्रम में उन सबको होली में जलाएँ। होली पर्व पर चन्दा हो, पूजन में चढ़ोतरी हो, उससे अच्छे वाक्य- चित्र खरीदकर उनके यहाँ पहुँचाएँ, जिनने अश्लील चित्र निकाल कर दिये थे। इसके लिए कुछ सद्भावनाशील सम्पन्नों से अलग से भी अनुदान लिया जा सकता है।

होलिका दहन के दूसरे दिन सबेरे लोग धूल- कीचड़ उछालते हैं, इसे सामूहिक सफाई का रूप दिया जा सकता है। गन्दगी की अर्थी निकालने, सामूहिक जुलूस आदि से कुछ साहसी समाजसेवी आसानी से कर सकते हैं। ऐसी स्थिति न दीखे, तो केवल पर्व पूजन से ही सन्तोष किया जा सकता है।

॥ पूर्व व्यवस्था॥

होली पर्व मनाने के लिए स्थानीय साधनों- परिस्थितियों के अनुसार पहले से रूपरेखा बना लेनी चाहिए। सामूहिक पर्व पूजन के लिए परम्परागत होलिका दहन के पूर्व सायंकाल का समय उपयुक्त रहता है। सूर्यास्त के बाद किसी निर्धारित देवस्थल पर सभी लोग एकत्रित हों। आने वाले सभी नर- नारियों को यथास्थान पंक्तिबद्ध बैठाने की व्यवस्था रहे। निम्नांकित सामान तथा व्यवस्थाएँ पहले से जुटा लें-

पूजन मंच आकर्षक हो, उस पर नृसिंह भगवान् का चित्र भी हो। सामान्य पूजन सामग्री के साथ समतादेवी के पूजन के लिए चावल की तीन ढेरियाँ पूजा मंच पर पहले से लगाकर रखें। मातृभूमि पूजन के लिए मृत्तिका पिण्ड (मिट्टी का छोटा ढेला) भी रखें। स्वस्तिवाचन, पुष्पाञ्जलि आदि के लिए पर्याप्त मात्रा में पुष्प- अक्षत रहे। नवान्न यज्ञ के लिए गेहूँ की बाल, चने के बूट आदि तैयार रहें, इन्हें भूनकर चीनी की गोलियाँ इलायची दाने के साथ मिलाकर प्रसाद बाँटा जा सकता है।

॥ क्रम व्यवस्था ॥

पर्व आयोजन स्थल पर सबको यथास्थान बिठाकर संगीत आदि संक्षिप्त उद्बोधन से प्रेरणाप्रद वातावरण बनाकर पर्व- पूजन क्रम प्रारम्भ किया जाए। सामान्य क्रम पूरा करने के बाद भगवान् नृसिंह का आवाहन करके षोडशोपचार पूजन करें। उसके बाद मातृभूमि पूजन- रजधारण तथा समतादेवी का पूजन तथा क्षमावाणी करें।

क्षमावाणी के साथ छोड़े जाने वाले दोष- दुर्गुणों को कागज की पर्चियों पर लिखकर ले लें, इन्हें होली के समय दोष दहन क्रम में होली में झोंक दिया जाए। विशेष पूजन क्रम समाप्त होने पर यदि यज्ञ करने की स्थिति है, तो विधिवत् गायत्री यज्ञ करें। पूर्णाहुति से पहले उसी में नया अन्न भूनें तथा उसकी आहुति दें। यज्ञ की अग्नि सुरक्षित रखें। होलिका दहन यज्ञाग्नि से ही कराएँ। यदि यज्ञ नहीं करना है, तो दीपयज्ञ करके अन्य पर्वों की तरह समापन करें। उस स्थिति में होली जलाने के समय अग्नि स्थापना मन्त्र के साथ अग्नि प्रवेश कराएँ, नवान्न उसी में भूनें तथा उसकी आहुति डालें।

होली में दोषदहन का क्रम चलाएँ। दोष लिखी हुई पर्चियाँ एक साथ होली में जलाएँ। अश्लील चित्र, कलैण्डर आदि एकत्रित किये गये हों,तो वह भी झोंकें, इस क्रम को बड़ा प्रभावशाली बनाया जा सकता है। पूजन क्रम समाप्ति के बाद अथवा होली जलाने पर परस्पर मृत्तिका- भस्म लगाकर प्रणाम करें, गले मिलें।

॥ नृसिंह पूजन॥

दुष्टजनों के अन्याय और अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों की रक्षा, सेवा तथा उद्धार करने वाला व्यक्ति नृसिंह कहलाता है। हम इन बातों को जीवन में उतार कर अन्याय,अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएँ, इससे पीड़ित लोगों का उद्धार करें। इसके लिए प्रतीक में नृसिंह पूजन किया जाता है।

हाथ में अक्षत पुष्प लेकर- नृसिंह भगवान् का आह्वान मन्त्र बोलें। भावना करें कि दुर्बल, साधनहीन, आदर्शवादियों के समर्थक, समर्थ, सम्पन्न, अनाचारियों के काल भगवान् नृसिंह की चेतना यहाँ अवतरित हो रही है। इसके संसर्ग से समाज का कायाकल्प होने की सम्भावना बनेगी।

ॐ नृसिंहाय विद्महे, वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्॥ ॐ श्री नृसिंहभगवते नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि। - नृ०गा०

आवाहन के बाद सबके हाथ में अक्षत पुष्प देकर प्रतिनिधि से पुरुष सूक्त के साथ षोडशोपचार पूजन कराएँ। अन्त में पुष्पाञ्जलि के समय सबके पुष्प एकत्रित किये जाएँ।

॥ मातृभूमि पूजन॥

इस धरती की रज मिट्टी हमें उसके उपकारों की याद दिलाती है, जिस पर खेले हैं, बड़े हुए हैं। जिसकी गोद में हमने शिशु की तरह उछल- कूद की है, जिसके पदार्थों से हमारा जीवन बढ़ा- चढ़ा है, ऐसी मातृभूमि स्वदेश के लिए अपनी श्रद्धा- निष्ठा को व्यक्त करने के लिए उसकी रज का पूजन, उसको मस्तक पर धारण करना, उसके प्रति कर्त्तव्यों का सङ्कल्प लेना आवश्यक होता है। मृत्तिका पूजन करने के लिए एक मिट्टी की वेदी पर मृत्तिका पिण्ड को पुष्प, रोली, कलावा, चन्दनादि से भली- भाँति सुसज्जित करना चाहिए। तत्पश्चात् निम्न मन्त्र बोलते हुए उसकी पूजा करें।

ॐ मही द्यौः पृथिवी च न ऽ, इमं यज्ञं मिमिक्षताम्। पिपृतां नो भरीमभिः। ॐ पृथिव्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि। - ऋ० १.२२.१३

॥ त्रिधासमतादेवीपूजन॥

भेद- भाव मिटाकर समता को अपनाना मानव समाज के उत्थान, विकास एवं कल्याण के लिए आवश्यक होता है। जो समाज जितना संगठित होगा, वह उतना ही उन्नति की ओर बढ़ेगा। इसके विपरीत भेद- विभेद में और असमानताओं में बँटा हुआ विशृंखलित समाज नष्ट- भ्रष्ट हो जाता है, उसे दूसरों के सामने झुकना पड़ता है, पददलित होना पड़ता है। समाज की शक्ति समता में, एकता में और संगठन में निहित है।

एक चौकी पर चावलों की तीन ढेरियाँ रखकर उनका निम्नस्थ मन्त्रों से विधिवत् पूजन करना चाहिए। स्मरण रहे एक ढेरी लिंग भेद को मिटाने की प्रतीक है, दूसरी जाति भेद और तीसरी अर्थ भेद अर्थात् असमानताओं को दूर करने की प्रतीक है। इस प्रकार इन तीन असमानताओं के प्रतीक के रूप में यह पूजन किया जाता है। भावना करें कि पूजन के साथ विषमता को निरस्त करने वाले समत्व भाव का, सबमें संचार हो रहा है।

ॐ अम्बेऽअम्बिकेऽम्बालिके, न मा नयति कश्चन।

ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकां, काम्पीलवासिनीम्॥ - २३.१८

पूजन के बाद यदि समय हो, तो यज्ञ करें, अन्यथा दीपयज्ञ करके आगे का क्रम वहीं पूरा कर लें। यदि होली के स्थल पर भीड़ को नियन्त्रित रखते हुए प्रेरणा संचार की स्थिति हो, तो ही वहाँ के लिए अगले क्रम जोड़ें अन्यथा पूजा स्थल पर सारे उपचार भाव भरे वातावरण में करा लें। होली परम्परागत ढंग से ही जलने दें। स्थिति के अनुरूप ही निर्धारण करें।

॥ क्षमावाणी॥

स्मरण रहे होली समता का पर्व है। इस असवर पर छोटे- बड़े, स्त्री- पुरुष, ऊँच- नीच, गरीब- धनवान् का भेद भुलाकर सबसे अपने अपराधों की, दुष्कर्मों की क्षमा माँगना, भविष्य में ऐसा न करने का व्रत लेना तथा अपनी भूलों पर पश्चात्ताप करना समता के भावों को बलवान् और जागरूक बनाने के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। सभी लोग अपने- अपने हाथों को अञ्जलिबद्ध करके निम्न मन्त्र बोलते हुए द्वेष- दुर्भाव छोड़ने के रूप में जलांजलि दें। स्मरण रहे आचार्य सभी की अञ्जलि में थोड़ा जल देकर मन्त्रोच्चार प्रारम्भ कराएँ।

ॐ मित्रस्य मा चक्षुषेक्षध्वमग्नयः, सगराः सगरास्थ सगरेण नाम्ना, रौद्रेणानीकेन पात माऽग्नयः। पिपृत माग्नयो गोपायत मा नमो, वोऽस्तु मा मा हि œ सिष्ट॥ - ५.३४ मन्त्रोच्चार के बाद अञ्जलि का जल सब लोग भूमि पर छोड़ दें और जिनके प्रति भी मन में ,, जो द्वेष- दुर्भाव हों, उसे त्याग दें।

॥ रज- धारण॥

मातृभूमि की रज मस्तक पर धारण करके हम उसके प्रति अपना सम्मान ही प्रकट नहीं करते; वरन् अपना जीवन- धन्य बनाते हैं। उसे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान देने के लिए मस्तक, कण्ठ, हृदय, भुजाओं में धारण करते हैं, इससे तात्पर्य यह है कि उन अंगो के रहते हुए हम मातृभूमि के प्रति कर्त्तव्य उत्तरदायित्व से विलग न हों। सबके बाएँ हाथ में थोड़ी- थोड़ी मिट्टी पहुँचाएँ। मन्त्र के साथ ललाट, बाहु, कण्ठ एवं हृदय आदि में लगाएँ।

ॐ त्र्यायुषं जमदग्नेः, इति ललाटे।
ॐ कश्यपस्य त्र्यायुषम्, इति ग्रीवायाम्।
ॐ यद्देवेषु त्र्यायुषम्, इति दक्षिणबाहुमूले।
ॐ तन्नोअस्तु त्र्यायुषम्, इति हृदि॥ ३.६२

॥ नवान्न यज्ञ॥

भारतीय आदर्शों के अनुसार प्रत्येक शुभ पदार्थ या नई वस्तु भगवान् को समर्पित करके, उनके प्रसाद रूप में, यज्ञावशिष्ट रूप में ग्रहण की जाती है। होली के अवसर पर आये नवान्न को भी हम भगवान् का प्रसाद बनाकर ग्रहण करें, इसलिए यज्ञ में नवान्न की आहुतियाँ दी जाती हैं। इसे नवसस्येष्टि कहते हैं। नवान्न को निम्न मन्त्र बोलते हुए यज्ञाग्नि में भून लें-

ॐ अन्नपतेऽन्नस्य नो, देह्यनमीवस्य शुष्मिणः।
प्रप्रदातारं तारिषऽऊर्जं, नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे॥ -११.८३
तत्पश्चात् प्रसाद और जयघोष के बाद क्रम समाप्त किया जाए।
First 40 42 Last


Other Version of this book



कर्मकाण्ड भास्कर
Type: SCAN
Language: HINDI
...

कर्मकाण्ड भास्कर
Type: TEXT
Language: HINDI
...

કર્મકાંડ ભાસ્કર
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • ॥ गुरु वन्दना॥
  • ॥ सरस्वती वन्दना॥
  • ॥ व्यास वन्दना॥
  • ॥ साधनादिपवित्रीकरणम् ॥
  • ॥ सामान्य प्रकरण॥
  • ॥ न्यासः॥
  • ॥ दीपपूजनम्॥
  • ॥ सर्वदेवनमस्कारः॥
  • ॥ स्वस्तिवाचनम्॥
  • ॥ गायत्री स्तवनम्॥
  • ॥ जलप्रसेचनम्॥
  • ॥ घृतावघ्राणम्॥
  • ॥ यज्ञ महिमा॥
  • ॥ विसर्जनम्॥।
  • ॥ कलशस्थापन ॥
  • ॥ पुरुष सूक्त॥
  • ॥ कुशकण्डिका॥
  • ॥ स्फुट प्रकरण॥
  • || प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण ||
  • ॥ पुंसवन संस्कार॥
  • ॥ अन्नप्राशन संस्कार॥
  • ॥ मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार॥
  • ॥ विद्यारम्भ संस्कार॥
  • ॥ यज्ञोपवीत दीक्षा संस्कार॥
  • ॥ विवाह संस्कार॥
  • ॥ पर्व प्रकरण॥
  • ॥ श्री रामनवमी॥
  • ॥ वानप्रस्थ संस्कार॥
  • ॥ गायत्री जयन्ती- गङ्गा दशहरा॥
  • ॥ अन्त्येष्टि संस्कार॥
  • ॥ मरणोत्तर संस्कार॥
  • ॥ विवाह दिवस संस्कार॥
  • ॥ जन्मदिवस संस्कार॥
  • ॥ नवरात्र पर्व॥
  • ॥ गुरुपूर्णिमा॥
  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी - गीता जयन्ती
  • विजयादशमी
  • दीपावली पूजन
  • वसन्त पंचमी
  • महाशिवरात्रि पर्व
  • होली
  • अन्य पर्वों के प्रारूप
  • श्रावणी पर्व
  • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
  • त्रिदेव पूजन
  • पंचवेदी पूजन
  • पंचभू- संस्कार
  • मेखलापूजन
  • पंचामृतकरण
  • दशविध स्नान व जलयात्रा विधान
  • ॥ भूमि पूजन प्रकरण॥ - || गृह प्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग ||
  • || संस्कार प्रकरण ||
  • ॥ नामकरण संस्कार॥
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj