स्वावलंबन साधना का पहला सोपान है, और साधना ही आत्मोन्नति का आधार।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के स्वावलंबन आंदोलन के अंतर्गत पूजा के आसन बुनाई के नवीन प्रकल्प का शुभारंभ देव संस्कृति विश्वविद्यालय में शारदीय नवरात्रि के पावन दिवस दिनांक २२ सितंबर २०२५ को विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी एवं शांतिकुंज व्यवस्थापक आद. श्री योगेंद्र गिरी जी द्वारा किया गया।
यह प्रकल्प परम वंदनीया माताजी की जन्मशताब्दी वर्ष को समर्पित है। इसके माध्यम से आत्मनिर्भरता, श्रमसंस्कृति और साधना की अनिवार्य आवश्यकताओं को एक सूत्र में पिरोया गया है।
आने वाले दिनों में साधना-अभियानों में सहभागी होने वाले परिजन शांतिकुंज में निर्मित आसनों को प्राप्त कर सकेंगे। इस प्रकार यह प्रयास न केवल साधना की सुविधा प्रदान करेगा, अपितु साधना-जीवन में शुद्धता, श्रद्धा और संकल्प का नया अध्याय भी जोड़ेगा।
स्वावलंबन पर आधारित यह प्रकल्प एक ओर साधना की गरिमा को बढ़ाएगा तो दूसरी ओर गुरुसत्ता की जीवन-दृष्टि को जन-जन तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम भी बनेगा। यह प्रयास समाज में परिश्रम, आत्मनिर्भरता और संस्कारों के समन्वय का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
