युगतीर्थ शान्तिकुञ्ज में मनाया गया रामोत्सव

युगतीर्थ शान्तिकुञ्ज में मनाया गया रामोत्सव
बाइक रैली निकाली
श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उत्सव मनाते हुए शान्तिकुञ्ज द्वारा 21 जनवरी को बाइक रैली निकाली गई। सैकड़ों कार्यकर्त्ता भाई-बहिन इसमें शामिल हुए। लगभग 15 किलो मीटर का मार्ग पीत वस्त्रधारी युग निर्माणियों के द्वारा लगाए गए प्रभु श्रीराम के जयकारों से गूँज उठा।
शान्तिकुञ्ज के व्यवस्थापक श्री महेन्द्र शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अयोध्या धाम में भव्य, दिव्य एवं नव्य मंदिर में प्रभु श्रीराम का विराजमान होना हर हिन्दू के लिए गौरव का क्षण है। इस ऐतिहासिक समारोह में भागीदारी जीवन का अविस्मरणीय सौभाग्य है।
श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैल जीजी ने अपने संदेश से कार्यकर्त्ताओं एवं देशवासियों का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने सभी से प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर रामराज्य की स्थापना में भागीदार बनने का आह्वान किया।
शान्तिकुञ्ज से यह रैली भूपतवाला होते हुए हरकी पौड़ी पहुँची। जय श्रीराम लिखे बैनर, पोस्टर, पताकाओं के संग हर आयु वर्ग के लोग इसमें शामिल थे। अनेक स्थानों पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा एवं जय श्रीराम के उद्घोष के साथ रैली का स्वागत किया। हरिपुरकलाँ, सप्तसरोवर क्षेत्र होते हुए यह शान्तिकुञ्ज लौटी। परम पूज्य गुरूदेव एवं वंदनीया माताजी के स्मारकों पर उत्साहवर्धक संदेश और शान्तिपाठ के साथ इसका समापन हुआ। श्री श्याम बिहारी दुबे एवं श्री उदय किशोर मिश्रा ने मानस
की चौपाइयों एवं दोहों से सभी को श्रीराम के रंग में रंग दिया।
दीपोत्सव एवं संकीर्तन मकर संक्रान्ति से शान्तिकुञ्ज में चल रहे अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उत्सव का समापन 22 जनवरी को सायंकाल सत्संग भवन में भव्य दीपोत्सव और घर-घर श्रीराम ज्योति प्रज्वलन के साथ हुआ। श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैल जीजी ने अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा को युगांतरीय चेतना का प्रादुर्भाव बताया। उन्होंने कहा कि आज हर मन आह्लादित है कि हमारे प्रभु श्रीरामलला नव्य, दिव्य एवं भव्य मंदिर में विराजे हैं।
पूरे शान्तिकुञ्ज परिसर को रंगोली और पुष्पों से सजाया गया था।
दीपोत्सव की वेला में पूरा शान्तिकुञ्ज परिसर मंगलगान से गुंजायमान और हजारों जगमगाते दीपों की रोशनी में दैदीप्यमान हो रहा था। प्रात:काल 27 कुण्डीय यज्ञशाला में चलने वाले नियमित यज्ञ में सभी याजकों ने विशेष आहुतियाँ समर्पित कीं।
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