श्रद्धेया शैल जीजी के श्रीमुख से 12,000 लोगों ने दीक्षा ली

संस्कार शाला में चार जोड़ों के आदर्श विवाह एवं सैकड़ों की संख्या में अन्य संस्कार हुए -
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में भाग लेने पहुँचे लाखों लोगों को भारतीय धर्म-अध्यात्म के एक निराले रूप के दर्शन हुए। इस अर्थ प्रधान युग में लोगों को अध्यात्म के इस सहज, सरल और तर्क, तथ्य की दृष्टि से पूरी तरह वैज्ञानिक स्वरूप के दर्शन कहाँ हो पाते हैं? यज्ञ में लाखों लोगों ने भाग लिया और युग का कायाकल्प करने के लिए अवतरित महत्चेतना से जुड़ने के हर अवसर का पूरा-पूरा लाभ लिया।
यज्ञ के तीसरे दिन लगभग 12000 लोगों ने श्रद्धेया शैल जीजी के श्रीमुख से गायत्री महामंत्र की दीक्षा ली। 1008 कुण्डीय यज्ञशाला पूरी तरह भर जाने के बावजूद देवमार्ग में हजारों लोग बैठकर दीक्षा ले रहे थे। दीक्षा का यह क्रम अगले दिनों स्कारशाला में भी अनवरत चलता रहा।
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ में संस्कार सम्पन्न कराने की अलग से व्यवस्था थी। इसमें 19 ब्रह्मवादिनी बहिनों की टोली ने पुंसवन,
नामकरण, अन्नप्राशन, मुण्डन, यज्ञोपवीत, दीक्षा, जन्मदिन, विवाहदिन, देवस्थापना आदि संस्कार हजारों की संख्या में सम्पन्न कराये। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे अध्यात्म की इस दिव्य
ऊर्जा में गलने, ढलने तथा नया जीवन प्राप्त करने के लिए हर कोई उत्साहित है।
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