अखण्ड ज्योति के प्रति प्रेम की अद्भुत कहानी

हर माह साइकिल से 80 किलोमीटर की यात्रा कर अखण्ड ज्योति लेने जाते हैं केदारनारायण जी पिछले 15 वर्षों से अनवरत चल रहा है यह क्रम
खिलचीपुर, राजगढ़ (ब्यावरा)। म.प्र.
श्री केदारनारायण विश्वकर्मा मध्य प्रदेश के सीमान्त ग्राम भूमरिया के निवासी हैं। वे हर माह की 10 तारीख को अखण्ड ज्योति, युग निर्माण योजना और प्रज्ञा अभियान पत्रिकाएँ लेने साइकिल से 40 किलोमीटर की यात्रा कर खिलचीपुर जाते हैं। खिलचीपुर शाखा के श्री कन्हैयालाल शर्मा जी बताते हैं कि यह श्री केदारनारायण जी का अखण्ड ज्योति पत्रिका के प्रति प्रेम ही है कि पिछले 15 वर्षों से यह क्रम निर्बाध रूप से चल रहा है। कोरोनाकाल में भी उन्होंने पत्रिकाएँ लेने आने का क्रम बंद नहीं किया था।
श्री केदारनारायण जी की कहानी भी अद्भुत है। सन् 2008 में वे शान्तिकुञ्ज आए, अखण्ड ज्योति के सदस्य बने, लेकिन पत्रिका उन तक नहीं पहुँची। थोड़े दिन बाद उनके चंदे के पैसे मथुरा से वापस आ गए। पोस्टमैन से पूछने पर पता चला कि पत्रिका तो आई थी, पर यह लिखकर वापस लौट गई कि इस नाम का कोई व्यक्ति यहाँ नहीं है। यह बात पता चलने पर उनकी पोस्टमैन से काफी कहासुनी भी हुई थी।
ग्राम दोलाज में विष्णु महायज्ञ में श्री कन्हैयालाल जी ने उन्हें देखा, पीले धोती-कुर्ता, कंधे पर गायत्री मंत्र का दुपट्टा और कंधे पर विचार क्रान्ति अभियान का झोला था। परिचय किया तो अखण्ड ज्योति वाली बात भी सुना दी। कन्हैयालाल जी ने अपने झोले से दो पुरानी अखण्ड ज्योति निकालकर उन्हें दी तो उन्होंने अपने हृदय और मस्तिष्क से लगाकर कहा, ‘‘मुझे अखण्ड ज्योति से विशेष प्यार है। अब तो आपसे मिल जाया करेगी ना?’’ तब से सर्दी, गर्मी, बरसात कुछ भी हो, वे हर 10 तारीख को अपनी साइकिल से 40 कि.मी. की यात्रा कर अखण्ड ज्योति लेने खिलचीपुर जाते हैं और फिर 40 किलोमीटर लौटते हैं। अद्भुत है परम पूज्य गुरूदेव के विचारों के प्रति उनकी यह आस्था।
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