देव संस्कृति विश्वविद्यालय में हुआ दक्षिण भारतीय कार्यकर्त्ता सम्मेलन

हवन केवल वैदिक कर्मकाण्ड नहीं, प्राणरक्षक भी है। - त्रिदण्डी स्वामी जी
हमें भटके हुए मनुष्य को सही राह दिखाना है। - आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी
29 अक्टूबर को देव संस्कृति
विश्वविद्यालय शान्तिकुञ्ज में दक्षिण भारतीय कार्यकर्त्ताओं का विशेष सम्मेलन हुआ। इसमें आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के प्रबुद्धजन एवं गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्त्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि रामानुज संप्रदाय के प्रमुख त्रिदण्डी श्रीमन्ननारायण रामानुज चिन्ना जीयर स्वामी जी ने इसे सम्बोधित करते हुए कहा कि हवन केवल वैदिक कर्मकाण्ड नहीं है, यह प्राणरक्षक भी है। इस संदर्भ में उन्होंने सन् 1983 में भोपाल में हुए गैस काण्ड और कोरोनाकाल से सम्बद्ध यज्ञ के प्रयोगों के उदाहरण भी दिये।
सम्मेलन का शुभारंभ स्वामी जी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी एवं उत्तराखण्ड राज्य में सहकारिता विभाग के सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम जी ने दीप प्रज्वलन कर किया। त्रिदण्डी श्रीमन्ननारायण रामानुज चिन्ना जीयर स्वामी जी ने सांस्कृतिक चेतना के विस्तार के लिए गायत्री परिवार द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने बौद्धिक, आत्मिक व आध्यात्मिक विकास के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी।
इससे पूर्व देवसंस्कृति विवि. के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने गायत्री परिवार के लक्ष्य और गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह मिशन मानव में भावनात्मक परिवर्तन के साथ ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता:’ के भाव को समाहित करने के लिए समर्पित है। उन्होंने परम वंदनीया माताजी के जन्म शताब्दी वर्ष 2026 की कार्ययोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए मानवता के उत्थान हेतु सभी से घर-घर युगशक्ति गायत्री का प्रकाश पहुँचाने का आह्वान किया। वरिष्ठ आई.ए.एस. डॉ. पुरूषोत्तम जी ने राज्य के विकास में किये गये अपने कार्यानुभवों को साझा किया।
विमोचन
आरंभ में विभिन्न रागों में गायत्री महामंत्र के संकीर्तन ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। मंचासीन गणमान्यों ने अखण्ड ज्योति पत्रिका (दक्षिण भारतीय भाषाओं में) प्रज्ञागीतों आदि का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति जी ने अतिथियों को युग साहित्य, गंगाजली एवं देसंविवि के प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। स्वामी जी ने भी डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी, डॉ. पुरूषोत्तम जी एवं डॉ. ओ.पी. शर्मा जी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। मंच संचालन डॉ. गोपाल शर्मा ने किया।
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