आदरणीय डॉ. पंड्या जी के नेतृत्व में अमेठी में 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का सफल समापन

अमेठी, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक परंपराओं के लिए विख्यात है, ने 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के माध्यम से एक और पावन अध्याय जोड़ा। यह आयोजन देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटे, जिनमें समाज के प्रतिष्ठित नागरिक, विद्वान, और जनप्रतिनिधि शामिल थे।
इस अवसर पर डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने यज्ञ का ज्ञान, विज्ञान और यज्ञ की विधा पर अपना उद्बोधन दिया। यज्ञ के पीछे छिपे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि यज्ञ न केवल पर्यावरण शुद्धि का माध्यम है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक शुद्धि का भी उत्तम साधन है। यज्ञ से निकलने वाली शक्तियों का संपूर्ण वातावरण और समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो जीवन को उच्चतम नैतिक मूल्यों के साथ जीने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने यज्ञ की विधा को समझाते हुए बताया कि प्राचीन ऋषियों ने यज्ञ की प्रक्रिया को जिस पद्धति से विकसित किया है, वह मानवीय चेतना को जागृत करने और समाज में सद्भावना, सहयोग और नैतिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करने का साधन है। इस महायज्ञ के माध्यम से पूज्य गुरुदेव के संदेश को समाज में व्यापक रूप से फैलाने का कार्य किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित अनेक गणमान्य अतिथियों में माननीय सांसद श्री के.एल. शर्मा जी, जिलाध्यक्ष श्री प्रदीप सिंघल जी, श्री राजेश श्रीवास्तव जी, श्री नरेंद्र मिश्रा जी, श्री देवमणि तिवारी जी, विधायक श्रीमती महाराजी मझापाल जी, श्री अरुण प्रजापति जी और अन्य प्रतिष्ठित जनों को डॉ पंड्या जी के द्वारा स्मृति चिन्ह एवं परमपूज्य गुरुदेव का साहित्य प्रदान किया गया।
Recent Post
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 21)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—
Read More
.gif)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 20)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 19 ) मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 18)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 17)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
&n...
हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
&n...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 15)— पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:
पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 14)— समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 13)— समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:Read More
View count
Popular Post

मौनं सर्वार्थ साधनम
मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बतायी गयी है। कहा गया है “मौनं सर्वार्थ साधनम्।” मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। महात...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी स...

अध्यात्मवाद
वर्तमान की समस्त समस्याओं का एक सहज सरल निदान है- ‘अध्यात्मवाद’। यदि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक जैसे सभी क्षेत्रों में अध्यात्मवा...

आद डॉ पंड्या आबूधाबी UAE में -संयुक्त राष्ट्र के अंग AI Faith & Civil Society Commission के मुख्य प्रवक्ता
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ के सफल आयोजन के उपरान्तअखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्य...

आत्मबल
महापुरुष की तपस्या, स्वार्थ-त्यागी का कष्ट सहन, साहसी का आत्म-विसर्जन, योगी का योगबल ज्ञानी का ज्ञान संचार और सन्तों की शुद्धि-साधुता आध्यात्मिक बल...

देश दुनिया में हो रहा युग चेतना का विस्तार ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौटे।
हरिद्वार 12 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प...

जहर की पुड़िया रखी रह गई
मेरे दादा जी की गिनती इलाके के खानदानी अमीरों में होती थी। वे सोने-चाँदी की एक बड़ी दुकान के मालिक थे। एक बार किसी लेन-देन को लेकर दादाजी और पिताजी ...

स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है।...

श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
Read More

मुंबई अश्वमेध महायज्ञ से नई ऊर्जा लेकर वापस पहुंचे टाटानगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या एवं स्नेहसलीला परम श्रद्धेया दीदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं दलनायक परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व मे...