हमारी वसीयत और विरासत (भाग 1)

इस जीवनयात्रा के गंभीरतापूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
जिन्हें भले या बुरे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्ति समझा जाता है, उनकी जीवनचर्या के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों को भी जानने की इच्छा होती है। कौतूहल के अतिरिक्त इसमें एक भाव ऐसा भी होता है, जिसके सहारे कोई अपने काम आने वाली बात मिल सके। जो हो कथा-साहित्य से जीवनचर्याओं का सघन सम्बन्ध है। वे रोचक भी लगती हैं और अनुभव प्रदान करने की दृष्टि से उपयोगी भी होती हैं।
हमारे सम्बन्ध में प्रायः आये दिन लोग ऐसी पूछताछ करते रहे हैं, पर उसे आमतौर पर टालते ही रहा गया है। तो प्रत्यक्ष क्रियाकलाप हैं, वे सबके समाने हैं। लोग तो जादू चमत्कार जानना चाहते हैं। हमारे सिद्ध पुरुष होने-अनेकानेक व्यक्तियों को सहज ही हमारे सामीप्य अनुदानों से लाभान्वित होने से उन रहस्यों को जानने की उनकी उत्सुकता है। वस्तुतः जीवित रहते तो वे सभी किम्वदन्तियां ही बनी रहेंगी, क्योंकि हमने प्रतिबन्ध लगा रखा है कि ऐसी बातें रहस्य के पर्दे में ही रहें। यदि उस दृष्टि से कोई हमारी जीवनचर्या पढ़ना चाहता हो तो उसे पहले हमारी जीवनचर्या के तत्वदर्शन को समझना चाहिए। कुछ अलौकिक विलक्षण खोजने वालों को भी हमारे जीवन क्रम को पढ़ने से संभवतः नई दिशा मिलेगी।
प्रस्तुत जीवन वृत्तान्त में कौतूहल व अतिवाद न होते हुए भी वैसा सारगर्भित बहुत कुछ है, जिससे अध्यात्म विज्ञान के वास्तविक स्वरूप और उसके सुनिश्चित प्रतिफल को समझने में सहायता मिलती है। उसका सही रूप विदित न होने के कारण लोग-बाग इतनी भ्रान्तियों में फंसते हैं कि भटकाव जन्य निराशा से वे श्रद्धा ही खो बैठते हैं और इसे पाखंड मानने लगते हैं। इन दिनों ऐसे प्रच्छन्न नास्तिकों की संख्या अत्यधिक है जिनने कभी उत्साहपूर्वक पूजा-पत्री की थी- अब ज्यों-त्यों करके चिन्ह पूजा करते हैं। तो भी अब लकीर पीटने की तरह अभ्यास के वशीभूत हो करते हैं। आनन्द और उत्साह सब कुछ गुम गया। ऐसा असफलता के हाथ लगने के कारण हुआ। उपासना की परिणतियां-फलश्रुति पढ़ी-सुनी गई थीं। उसमें से कोई कसौटी पर खरी नहीं उतरी तो विश्वास टिकता भी कैसे?
क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Recent Post

"हमारी वसीयत और विरासत" (भाग 2)
इस जीवन यात्रा के गम्भीरता पूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
हमारी जीवनगाथा सब जिज्ञासुओं के लिए एक प्रकाश-स्तंभ का काम कर सकती है। वह एक बुद्धिजीवी और यथार्थवादी द्वारा अपनाई ...
.jpg)
"हमारी वसीयत और विरासत" (भाग 1)
इस जीवन यात्रा के गम्भीरता पूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
जिन्हें भले या बुरे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्ति समझा जाता है, उनकी जीवनचर्या के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों को भी जानने की इच्छा...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 1)
इस जीवनयात्रा के गंभीरतापूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
जिन्हें भले या बुरे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्ति समझा जाता है, उनकी जीवनचर्या के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों को भी जानने की इच्छा हो...

गहना कर्मणोगति: (अन्तिम भाग)
दुःख का कारण पाप ही नहीं है
दूसरे लोग अनीति और अत्याचार करके किसी निर्दोष व्यक्ति को सता सकते हैं। शोषण, उत्पीड़ित...

युवा प्रकोष्ठ कौशाम्बी के माध्यम से विद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में युवा प्रकोष्ठ कौशाम्बी की टीम ने कौशाम्बी जनपद के एन डी कॉन्वेंट स्कूल एंड स्वर्गीय श्री समाधि महाराज बाबा सूरजपाल दास इंटर कॉलेज, नसीर...

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में उत्कृष्ट प्रतिभागियों के सम्मान के साथ गायत्री चेतना केंद्र का हुआ शुभारंभ
कौशाम्बी जनपद के भरवारी नगर में नव निर्मित गायत्री चेतना केंद्र भरवारी में सोमवार को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के उत्कृष्ट प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। जनपद के अनेक विद्यालयों के बच्चों न...

पचपेड़वा में प. पू. गु. का आध्यात्मिक जन्म दिवस/बसंत पंचमी पर्व मनाया गया
आज *बसंत पंचमी* (गुरुदेव का आध्यात्मिक जन्म दिवस) के पावन पर्व पर गायत्री शक्तिपीठ पचपेड़वा में यज्ञ हवन के साथ सरस्वती पूजन उल्लास पूर्ण/बासंती वातावरण में संपन्न हुआ. श...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी 2025 तक रहेगा। महाकुम्भ क्...

वीर बाल दिवस के अवसर पर साहिबजादे क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
कौशाम्बी: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में भरवारी नगर पालिका के सिंधिया में गुरुवार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के अवसर पर बाल संस्कारशाला सिंघिया द्वारा सामूहिक प्रश्नोत्तरी (क्विज) प्रतियोगिता का ...
