गायत्री परिवार शक्तिपीठ वाटिका में आगमन, पूजन एवं ऐतिहासिक स्मृतियों का स्मरण
राजस्थान प्रवास के अगले चरण में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने 27 दिसंबर 2025 को गायत्री परिवार शक्तिपीठ वाटिका पहुँचकर माँ गायत्री पूजन-अर्चन किया। इस अवसर पर उन्होंने वाटिका परिसर का अवलोकन करते हुए वहाँ निहित ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक स्मृतियों को नमन किया।
इस अवसर पर उन्होंने *मां भगवती जन्म शताब्दी स्मृति उपवन का भूमि पूजन* किया।
यह उल्लेखनीय है कि इसी पावन स्थल पर 23 दिसंबर 1980 को गायत्री शक्तिपीठ वाटिका की प्राण-प्रतिष्ठा हमारे आराध्य परम पूज्य गुरुदेव के कर-कमलों द्वारा हुई थी। वहीं इसी शक्तिपीठ में परम वंदनीया माता जी का शुभ आगमन कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा, विक्रम संवत 2049 (दिनांक 10 नवंबर 1992) को हुआ था। ये दोनों घटनाएँ इस शक्तिपीठ को गायत्री परिवार की जीवंत साधना-परंपरा और युग निर्माण चेतना का सशक्त साक्ष्य बनाती हैं।
आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने कहा कि ऐसे स्थल केवल भौतिक संरचनाएँ नहीं होते, बल्कि ये परम पूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीय माता जी की तपस्या, संकल्प और करुणा से अनुप्राणित जीवंत केंद्र होते हैं। उन्होंने उपस्थित परिजनों से आह्वान किया कि वे इन पावन स्मृतियों से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन में साधना, स्वाध्याय और सेवा को निरंतर सशक्त बनाएं।
जन्म शताब्दी वर्ष के इस पावन कालखंड में शक्तिपीठ वाटिका जैसे स्थल हमें यह स्मरण कराते हैं कि युग निर्माण का कार्य विचारों से आरंभ होकर कर्म और चरित्र में प्रतिष्ठित होता है। डॉ. पंड्या जी का यह आगमन गायत्री परिवार की परंपरा, मूल्यों और भावनात्मक उत्तराधिकार को आगे बढ़ाने की दिशा में एक प्रेरक संदेश के रूप में उपस्थित परिजनों के हृदयों में अंकित हुआ।
Recent Post
Where Values Were Worshipped, Not Monuments
‘Sajal Shraddha – Prakhar Pragya’ ritual held ahead of Birth Centenary celebrations
Haridwar | December 16
Some moments do not merely become part of history; the...
जन्मशताब्दी समारोह स्थल में जहाँ स्मारक नहीं, संस्कार पूजे गए
आयोजन से पूर्व युगऋषिद्वय की पावन स्मारक का हुआ विशेष पूजन कार्यक्रम
हरिद्वार 16 दिसंबर।
कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो इतिहास नहीं बनते, बल्कि इतिहास को दिशा देते हैं। अखिल विश्व ...
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 130): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 129): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 128): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य:
Read More
