गीता ज्ञान संस्थान में हरियाणा प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन
कर्मयोग, धर्म और जीवन-दर्शन की अमर वाणी देने वाले भगवान श्रीकृष्ण की पावन भूमि कुरुक्षेत्र में, अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं शताब्दी समारोह के दल नायक आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी गीता ज्ञान संस्थान पहुँचे, जहाँ अखिल विश्व गायत्री परिवार, हरियाणा द्वारा आयोजित प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन का भव्य एवं गरिमामय आयोजन किया गया। इस अवसर पर गीता ज्ञान संस्थान के संस्थापक आदरणीय स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष आध्यात्मिक ऊँचाई प्रदान की। उल्लेखनीय है कि स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का गायत्री परिवार से अनन्य आत्मीय संबंध है। उन्होंने कहा कि उन्हें परम पूज्य गुरुदेव के विचार बहुत प्रेरणा प्रदान करते हैं।
सम्मेलन स्थल पर डॉ पंड्या जी के आगमन पर हरियाणा प्रांत के विभिन्न जनपदों से पधारे समर्पित कार्यकर्ता भाई-बहनों द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया।
इस अवसर पर आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य का जीवन, भारत में जन्म और परम पूज्य गुरुदेव का सान्निध्य—इन तीनों का संगम ही हमारे जीवन को धन्य बनाता है। वास्तव में जीवन की सही शुरुआत गुरुदेव से जुड़ने के बाद ही होती है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव का यदि जीवन में थोड़ा सा भी प्रवेश हो जाए, तो जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल जाती हैं। जब व्यक्ति को जीवन का उद्देश्य मिल जाता है, तो उसका अस्तित्व पूर्णता की ओर अग्रसर हो जाता है।
आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने 2026 वर्ष को अदभुत संयोग बताते हुए कहा कि दिव्य अखंड दीप एवं परम वेदनीया माता जी की शताब्दी में हमें घर घर तक उनके विचारों को पहुंचाना है। गुरुदेव माताजी रूपी पारस को पाकर हम सोना बन सकते हैं - आवश्यकता केवल इतनी है कि हम स्वयं को उस परिवर्तन के योग्य बनाएँ। उन्होंने कहा कि सच्चा अध्यात्म वही है जो जीवन को बदल दे, और यही चेतना गुरुदेव के विचारों में निहित है।
Recent Post
Where Values Were Worshipped, Not Monuments
‘Sajal Shraddha – Prakhar Pragya’ ritual held ahead of Birth Centenary celebrations
Haridwar | December 16
Some moments do not merely become part of history; the...
जन्मशताब्दी समारोह स्थल में जहाँ स्मारक नहीं, संस्कार पूजे गए
आयोजन से पूर्व युगऋषिद्वय की पावन स्मारक का हुआ विशेष पूजन कार्यक्रम
हरिद्वार 16 दिसंबर।
कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो इतिहास नहीं बनते, बल्कि इतिहास को दिशा देते हैं। अखिल विश्व ...
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 130): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 129): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 128): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य:
Read More
