अच्छाई और बुराई
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संसार में अच्छाई और बुराई दोनों आपके सामने हैं। हमको विचार करना है की हमें उनसे क्या सीखना है?
हमने अपने आस-पास, अपने मिलने जुलने वालों को ऐसी शिकायत करते हुए खूब सुना होगा, और हो सकता है हम भी अनेक बार लोगों से यह शिकायत करते होंगे, कि देखो साहब, चारों ओर वातावरण बहुत खराब हो गया है। देश और दुनियाँ बिगड़ रही है। बच्चे बिगड़ रहे हैं, जवान बिगड़ रहे हैं, स्त्रियाँ बिगड़ रही हैं, पुरुष बिगड़ रहे हैं। और तो और, बूढ़े तक बिगड़ रहे हैं। कहीं कोई सभ्यता नहीं दिखाई देती। चारों ओर झूठ छल कपट लूट झपट फैशन नंगापन कामुकता चोरी डकैती रिश्वतखोरी लूटमार हत्याएं अपहरण भ्रष्टाचार, बस यही दिखता है।
क्या संसार में केवल बुरा काम ही हो रहा है, या कुछ अच्छा काम भी होता है? यदि संसार में कुछ अच्छा काम भी होता है। कुछ अच्छे लोग भी हैं, जो सेवा परोपकार दान दया धर्मार्थ चिकित्सालय गौशाला अनाथालय फ्रीट्यूशन रोगियों की सेवा विकलांगों अनाथों की सेवा वेद विद्या का प्रचार आदि उत्तम कर्मों को करते हैं। यदि ऐसे अच्छे काम भी संसार में होते हैं, तो हम या अन्य लोग, केवल बुरे कर्मों का ही रोना क्यों रोते रहते हैं? अच्छे कर्मों की चर्चा क्यों नहीं करते?
मनोविज्ञान की बात है कि व्यक्ति जैसा देखता सुनता विचार करता और बोलता है, उसका वैसा ही प्रभाव मन पर पड़ता है, और वैसा ही उसका जीवन बनता जाता है। यदि हम और आप बुराइयों की ही चर्चा करते और सुनते रहेंगे, बुरे ही दृश्य, फोटो और वीडियो में देखते रहेंगे, तो आपका जीवन भी वैसा ही अर्थात् बुरा बनेगा। यदि अच्छी बातें सोचेंगे, अच्छे आचरण करेंगे, अच्छे फोटो वीडियो देखेंगे, उन पर चिंतन करेंगे, और उन पर चर्चा करेंगे, तो आपका जीवन भी वैसा ही अर्थात् अच्छा बनता जाएगा।
अब दोनों रास्ते हमारे सामने हैं। यह हमारी इच्छा है, कि हम कौन सा रास्ता चुनते हैं। बुराई की शिकायत न करें, वह तो सबको मालूम है, किसी से कुछ भी छिपा नहीं है। सारा दिन अखबार रेडियो टेलीविजन कम्प्यूटर और मोबाइल फोन पर बुराई ही तो देखते हैं लोग। फिर उस पर क्या चर्चा करनी?
यदि कुछ चर्चा करनी ही है, तो अच्छी घटनाओं की चर्चा करें। अच्छे कर्मों की चर्चा करें। स्वयं अच्छे बनें, और दूसरों को अच्छाई की ओर प्रेरित करें। तभी हमारा और आप का जीवन अच्छा बनेगा, और यह संसार भी जीने लायक बना रहेगा।
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