माला की जरूरत है।

अक्सर यह कहा जाता है कि- ’माला जपने की क्या जरूरत है? मन से जप करना ही पर्याप्त है।’ यह ठीक है, कि जप का सीधा सम्बन्ध मन से ही है, यदि मन में जप की एकाग्र भावनाएं न हों तो केवल माला के मनके सरकाना कुछ अर्थ नहीं रखता। सिर खुजलाते रहना या ऐसा जप करते रहना, बराबर ही कहा जायगा।
लेकिन जो लोग सच्चे मन से जप करना चाहते हैं, उनके लिये माला एक उपयोगी और आवश्यक साधन है! घास खोदने वाला यदि चाहे तो उंगलियों से भी घास उखाड़ता रह सकता है, पर उसे अपना काम सुव्यवस्थित, जल्दी और सुविधापूर्वक करना है तो हंसिया या खुरपी की सहायता लेनी पड़ेगी। ठीक इसी प्रकार माला की जरूरत है। सब कोई जानते हैं कि चित्त का स्वभाव चंचल है स्वभावतः वह एक जगह पर नहीं टिकता। अभी यहाँ है तो अभी उड़कर कहीं दूसरी जगह चला जायगा। उसे एक जगह पर बराबर जोते रहने के लिये एक भौतिक प्रक्रिया की आवश्यकता है और वह प्रक्रिया माला के रूप में हम लोग प्रयोग करते हैं।
शरीर की बाह्य क्रियाओं पर मन का कुछ न कुछ भाग अवश्य लगा रहता है। जैसे चाकू से कलम बनावे तो उसे मन किसी दूसरी कल्पना में जा सकता है, पर उसका अधिक भाग कलम बनाने की क्रिया में अवश्य उलझा रहेगा। इसी प्रकार केवल मन ही मन में जप करने पर चित्त दूसरी जगह उड़ जा सकता है। पर मुख से मन्त्र उच्चारण करने एवं हाथ से माला जपने की शक्ति न होने मन का कुछ न कुछ भाग भजन में जरूर उलझा रहेगा। पूर्ण अभ्यासियों को समाधि आनन्द लेते समय भले ही उसकी आवश्यकता न हो, परन्तु निश्चय ही आरम्भिक साधकों के लिये तो माला जपना आवश्यक है।
अखण्ड ज्योति अप्रैल 1943 पृष्ठ 14
Recent Post
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 21)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—
Read More
.gif)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 20)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 19 ) मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 18)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 17)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
&n...
हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
&n...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 15)— पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:
पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 14)— समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 13)— समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:Read More
View count
Popular Post

मौनं सर्वार्थ साधनम
मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बतायी गयी है। कहा गया है “मौनं सर्वार्थ साधनम्।” मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। महात...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी स...

अध्यात्मवाद
वर्तमान की समस्त समस्याओं का एक सहज सरल निदान है- ‘अध्यात्मवाद’। यदि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक जैसे सभी क्षेत्रों में अध्यात्मवा...

आद डॉ पंड्या आबूधाबी UAE में -संयुक्त राष्ट्र के अंग AI Faith & Civil Society Commission के मुख्य प्रवक्ता
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ के सफल आयोजन के उपरान्तअखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्य...

आत्मबल
महापुरुष की तपस्या, स्वार्थ-त्यागी का कष्ट सहन, साहसी का आत्म-विसर्जन, योगी का योगबल ज्ञानी का ज्ञान संचार और सन्तों की शुद्धि-साधुता आध्यात्मिक बल...

देश दुनिया में हो रहा युग चेतना का विस्तार ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौटे।
हरिद्वार 12 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प...

जहर की पुड़िया रखी रह गई
मेरे दादा जी की गिनती इलाके के खानदानी अमीरों में होती थी। वे सोने-चाँदी की एक बड़ी दुकान के मालिक थे। एक बार किसी लेन-देन को लेकर दादाजी और पिताजी ...

स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है।...

श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
Read More

मुंबई अश्वमेध महायज्ञ से नई ऊर्जा लेकर वापस पहुंचे टाटानगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या एवं स्नेहसलीला परम श्रद्धेया दीदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं दलनायक परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व मे...