Magazine - Year 1987 - Version 2
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Language: HINDI
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राष्ट्रीय एकता सम्मेलन— उनकी देव दक्षिणा
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अब रचनात्मक संकल्पों को पूरा करने की बारी है।
इस वर्ष संपन्न हुए कार्यक्रमों की संख्या, स्वरूप एवं विस्तार इतना अधिक है कि सभी के विस्तृत समाचार यदि पत्रिकाओं में दिए जाते रहें, तो यह क्रम लगातार वर्षों चलता रहता। तब तक नए आयोजनों की शृंखला भी आरंभ हो जाती, अतः उस अवधि में पुराने समाचार दिया जाना युक्तिसंगत न मानकर कार्यक्रमों की उपलब्धियाँ तथा स्वरूप एक ही जगह सभी स्थानों के नाम के साथ देने की युक्ति अपनाई गई है। परमपूज्य गुरुदेव की कुंडलिनी-महासाधना का प्रतिफल परिजनों ने हर जगह अनुभवी किया। प्रारंभ में तो विश्वास नहीं होता था कि कार्यक्रम ऐतिहासिक भी बन सकते हैं; पर जब शुरुआत हुई तो जनसमूह का ताँता; जैसे लगता देखा गया, मानो किसी अदृश्य सत्ता ने घर-घर जाकर आमंत्रण दिया हो। सभी स्थानों के कार्यक्रम आशातीत सफलताओं के साथ संपन्न हुए। कार्यक्रमों में हर धर्म-संप्रदाय के अनुयाई उत्साहपूर्वक सम्मिलित होते रहें। राजनेताओं के साथ विभिन्न सम्प्रदाय के प्रतिनिधियों का दृश्य अधिकांश स्थानों पर राष्ट्रीय एकता को सार्थक करता रहा। ऐसे सम्मेलन ऐतिहासिक बन गए। उपस्थित जनसमूह के साथ कभी प्रतिनिधियों को यज्ञाग्नि की साक्षी में राष्ट्रीय एकता की शपथ ली। यज्ञायोजन के अवसर पर विभिन्न संस्कारों के माध्यम से लोकशिक्षण का उद्देश्य तो पूरा हुआ ही, साथ ही सम्मिलित परिजनों ने देव दक्षिणास्वरूप अपने दोष-दुर्गुणों का त्यागकर सत्प्रवृत्तियों के संवर्ध्दन का संकल्प भी लिया। कार्यकर्त्ताओं ने आपसी मतभेदों को भुलाकर टोलीबद्ध रूप से एकजुट होकर मिशन द्वारा निर्धारित रचनात्मक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की व्यापक व्यवस्था बनाई। जन्मदिन, झोला-पुस्तकालय, स्लाइड प्रोजेक्टर प्रदर्शन तथा सद्वाक्य लेखन जैसे सरल-सस्ते; किंतु महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम व्यापक स्तर पर चल पड़े। शान्तिकुञ्ज में चल रहे साधना-सत्रों में सम्मिलित होने के लिए परिजनों में होड़ जैसी लग गई है। मिशन की गतिविधियों के व्यापक विस्तार के लिए अपूर्व उत्साह स्थान-स्थान पर दिखलाई पड़ रहा है। कार्यक्रमों की ऐसी सफलताओं को देखते हुए लगता है, वह दिन दूर नहीं, जब महाकाल का ‘मनुष्य में देवतत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण’ का उद्घोष पूरा होकर रहेगा। जिन स्थानों में आयोजन संपन्न हुए विस्तृत समाचार देना संभव नहीं वे हैं— उत्तर प्रदेश :- निधासन, डुमरियागंज, बालावास, बढ़नी, सेवरही, जरकला, मल्लांवा, लैरोदोनवार, हरदोई, झाँसी, इलाहाबाद, बसखारी, नैनी, सुखनपुर, कासगंज, किच्छा, पंतनगर, पीलीभीत, अल्मोड़ा, सरसांवा, चक्के, लालगंज, पडरौना, आगरा, फतेहपुर, बाराबंकी, फर्रुखाबाद, कौआ, सादाबाद, देवीपुरा, दौलतपुर, बम्हनपुर, पूरनपुर, तम्बौर, नानपारा, भिनगा, कैशरगंज, खुरहरी, नौगढ़, तमकूही रोड, भाटपार रानी, शिकरपुर, बसखारी, मुबारिकपुर, नेवादा, सीसरी बाजार, ऊँचाहार, अर्जुनपुर, मुगराबाद, शाहपुर ,सैफाबाद, चकसुण्डा, चैनपुर, कलवारी, पयागपुर, कूमांचल, विस्वां, सिथौली, हरगाँव, मिश्रित, अतरी, औरैया, खिरियामुकुंद, किशुनपुर, दूधी, धाता, उन्नाव, अजीतमल, हसनपुर, ककराला, मोंठ, अवागढ़, कुरसंडा, अनूपशहर। गुजरात:- भूतिया, थामला, देवली, ओड, हारिज, बाँधनी, मानसा, महुधा, बाला सिनोर, उदेल संतरामपुर, सरदार कृषिनगर, गोमतीपुर, चलाला, छबासर, बहुचराजी, राणीप, कोसम्बा, भादरवा, बगसरा, विसावदर, गरियाधार, खाँभा, नानीझेर, कणभईपुरा, सिंधाज, सावरकुंडला, मातर, तलाला, खीमत, विद्यानगर, रंगपुर, पलीयड़, किसनगर, माला झिंझवा, पोरबंदर मोटा मांडावडा, राजकोट, भुज, दयापर, मलिया, गढ़शीशा, आदीपुर, रापर, दियोदर, ठुनादरा, बहेराखाड़ी, डभासी, सिंहुज, पेटलाद, कुंजराव, अजरपुरा, मोमारोड़, उम्बेर, भरुच, बडोली, मोटामिया माँगरोल, वारडोली, बोडेली, भादरवा, कोसंबा। मध्य प्रदेश :- अमरवाड़ा, नगरी, गरियाबंद, पेंड्रा, दत्तेवाड़ा, बालोद, रतलाम, सोरम सिंधी, डिण्डोरी, दमोह, राजसमुंद, मन्दसौर, राजिम, बरमकेला, बिसौद, मूंदी, पलारी, सलिहा, विदिशा, तखतपुर, भाटापारा, आमालोरी, निकुम, दिवारी, सारनी, पनगाँव, स्नेहनगर, लोरमी, टीकमगढ़, बूढ़ा, ग्वालियर, नेवरा, नन्दिनीनगर, शिवपुरी कालोनी, रामगढ़, रायगढ़, लंजोड़, रायपुर, जौरा अलापुर, भिंड, नागदा, कसारीडीह, चाँंपा, बिलासपुर, सीधी, सतना, छापीहेड़ा, बिरकौना, सेंदरी, सेमरताल, नखराम, वसीवहार, खौली, पेंडरी बसना, टेमरी, करगीरोड़, चार भाटा, साँकरा, बेलपान, सकरी, कवर्धा, देवगाँव, व्यौहारी, देवलोंद, कुली पोटा, बाराद्वार, पोरथा, सोहागपुर, बम्हनीडीह, सारागाँव, उदयबंद, सिरमौर, बासौद, तरीचरकलाँ, सुनवानी महाकाल, खिड़किया, शिकारा, नेपानगर, बलवाड़ी, छोटी खरगोन, बरुर, बिचौली, साँवेर, सिहोर, मुँगावली, सबलगढ़, बखतगढ़, खोर, नीमच, डीकेन, राजनगर, फरंजी, भटगंवा, चर्चाकालरी, बसदेई, भैयाथान, धनागर, लैलूँगा, देवकोनी, दारंग, धनसीर, चारौदाबाँध, सराय-पाली, मुनगासेर, रिसामा, सिरसाकला, सपिया, खोडरी, जैतहरी, पाली बिरसिंहपुर, करसरा, निवाडी। उड़ीसा :- रम्भा, राउरकेला, काटाभाँजी, भुवनेश्वर, रानिबुड़ा, बरंगा, सम्बलपुर, जेपुर, काल्ला, फूलवाणी। बिहार :- मोतीहारी, बेतिया, मुजफ्फरपुर, टायो, झुमरी तलैया, सासाराम। ये बड़े शतकुण्डी आयोजन रहे। इसके अतिरिक्त छुट-पुट 50 से भी अधिक चौबीस कुण्डीयज्ञ बिहार में हुए हैं। राजस्थान :- डग, चित्तौड़गढ, सांगोद, बकानी, सीसवाली, बूँदी, जयपुर, पिलानी, बिजौलिया, राजसमंद, माहीडैम, बड़गाँव, फलोदी, बीकानेर, सरदार-शहर, झुँझुनू, ब्यावर, श्री माधोपुर, किशन गढ़वाल, सवाई माधोपुर। अन्य प्रांत :- उमरी अकोला, शहादा, धुले, भुसाबल, कुरुक्षेत्र, भिलदर्रा, पालधी, अनंतपुर, नेल्लोर तथा गुण्टूर। श्रोताओं की प्रतिक्रिया बोधघाट (म॰प्र॰) शतकुंडी महायज्ञ के अवसर पर आयोजित जनसभा में शान्तिकुञ्ज में चल रही प्रवृत्तियों की विस्तृत जानकारी दी गई। श्रोताओं से आग्रह किया गया कि वे यहाँ विभिन्न शिविरों में भाग लेने आएँ। सभा के अंत में 547 परिजनों ने इस आशयक के संकल्पपत्र समर्पित किए। आयोजकों ने विचार गोष्ठी में इन सब का अलग से विस्तृत मार्गदर्शन किया। उनको भेजने का समुचितक्रम बिठाया जा रहा है। घर-घर अमृत वर्षा तलाई (म॰प्र॰) की औद्योगिक बस्ती में संपन्न राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के अवसर पर सर्वश्री रामस्वरूप निगोती, वृजराज सिंह, धीरज सिंह सर्वेपर, पुनाऊ-रायमवैश्य, शीतला सहाय, राधेश्याम मिश्र, राम शंकर मिश्र, सरला मिश्र, शिवचंद्र, पारीख, गिरीशचंद्र पाटीदार, सूरजभान पुवैया कटोरीलाल, जीतराम ताँती, बैकुण्ठ अवस्थी, चंदन लाल टिकारीहा, दिनेश पटेल, श्रीमती वंदना पटेल, रामकृपाल चौधरी, अर्जुनलाल पाटीदार, विश्वनाथ प्रसाद, सुरेश सेन, चन्द्र दत्त सांकला, उमेशचंद्र तथा सत्यप्रकाश पाटीदार ने नियमित रूप से झोला पुस्तकालय चलाने के संकल्प लिए। इस अवसर पर उनका अभिषेक-अभिनन्दन किया गया। जिस समय इनका अभिनंदन किया जा रहा था, सघन बादलों से हल्की फुहार पड़ी। मानो घर-घर अमृत बाँटने का संकल्प लेने वालों पर प्रकृति स्वयं अभिसिंचन कर रही हो। अभी से तैयारी गोसाईगंज (उ॰ प्र॰) समीपवर्त्ती राष्ट्रीय एकता सम्मेलन से प्रभावित होकर स्थानीय गायत्री परिवार परिजनों ने नवंबर दिसंबर में अभूतपूर्व सम्मेलन करने की रूप−रेखा बनाई है। सर्व श्रीचंद्र वर्मा, आर वी राठौर तथा दिनेश चंद्र अग्रवाल को मिलाकर बनी यज्ञ समिति ने आवश्यक तैयारियाँ और प्रचार कार्य अभी से प्रारम्भ कर दिया है, मिशन और कार्यक्रम के स्वरूप की जानकारी देने वाले 5 हजार परिपत्र प्रकाशित कर जन-जन संपर्क की व्यापक रूप-रेखा तय की गई है। समस्त गायत्री परिवार एकजुट होकर कार्य कर रहा है। माॅरल एजुकेशन प्रशिक्षण का व्यक्तित्व परिष्कार प्रशिक्षण के रूप में विस्तार शान्तिकुञ्ज (हरिद्वार) उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन के उच्च अधिकारियों, राज्य ग्राम विकास अधिकारियों, महिला स्काउट्स एण्ड गाइड्स (युवक मंगल) के व्यक्तित्व परिष्कार शिविर संपन्न होने के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्राइवेट इंटर कालेजों के प्रधानाचार्यों के नैतिक शिक्षा शिविर प्रारंभ हो गए हैं। यह शिविर फरवरी 1988 के अंत तक लगातार चलते रहेंगे। सैनिक स्कूल के आचार्यों के प्रशिक्षण का निर्धारण भी हो चुका है। उड़ीसा सरकार बिहार सरकार तथा गुजरात की सरकारें भी अपने शिक्षकों तथा शिक्षा अधिकारियों के मॉरल एजुकेशन शिविर संपन्न करने के लिए शान्तिकुञ्ज से परामर्श कर रही हैं; इन शिविरों के भाव भरे परिणाम भी मिल रहे हैं। ऐसा प्रतिभागियों के वापस लौटने के बाद आएँ पत्रों से ज्ञात होता है। इस अनौपचारिक पत्र-व्यवहार द्वारा जिससे प्रतिभागियों से प्रगति समीक्षा पूछी गई थी, अस्सी प्रतिशत से अधिक से संपर्क स्थापित हुआ है एवं सक्रियता बढ़ी है। अगस्त मास में भी सम्मेलन शक्तिपीठों, प्रज्ञा-संस्थानों एवं प्रज्ञा आयोजनों के वर्ष 1987-88 के कार्यक्रमों के निर्धारण हेतु पूर्व घोषित जुलाई माह के सम्मेलनों को, अब एक माह तक सीमित न रख अगस्त तक और बढ़ा दिया गया है। अब सम्मेलनों की शृंखला इस प्रकार होगी :- 3 से 6 जुलाई बिहार, 7 से 10 जुलाई गुजरात का सौराष्ट्र क्षेत्र, 12 से 15 जुलाई गुजरात द्वितीय (बड़ौदा खेड़ा अहमदाबाद एवं बम्बई) 16 से 19 जुलाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश, 20 से 23 जुलाई पूर्वी उत्तर प्रदेश व उससे लगे बिहार के जिले, 24 से 27 जुलाई गुजरात तृतीय सूतर, भरुच, बलसाड़ एवं हि॰प्र॰ हरियाणा, दिल्ली 28 से 31 जुलाई गुजरात चतुर्थ गांधीनगर, मेहेसाणा बनासकांठा, साबरकांठा, कच्छ, पंचमह, 2 से 5 अगस्त म॰ प्र॰ के चंबल जिले बुंदेलखंड बघेलखंड विदिशा, रायसेन एवं सीहोर, 7 से 10 अगस्त बैतूल छिंदबाड़ा, बालाघाट, सिवनी, मंडला, भोपाल, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, जबलपुर एवं महाराष्ट्र, 12 से 15 अगस्त छत्तीसगढ़ क्षेत्र, 17 से 20 अगस्त रायपुर, रायगढ़ एवं उड़ीसा, 22 से 25 अगस्त मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र, 27 से 30 अगस्त राजस्थान। उपरोक्त अवधि में 9 दिवसीय साधना-शिविर एवं युगशिल्पी शिविर स्थगित रहेंगे।
इस वर्ष संपन्न हुए कार्यक्रमों की संख्या, स्वरूप एवं विस्तार इतना अधिक है कि सभी के विस्तृत समाचार यदि पत्रिकाओं में दिए जाते रहें, तो यह क्रम लगातार वर्षों चलता रहता। तब तक नए आयोजनों की शृंखला भी आरंभ हो जाती, अतः उस अवधि में पुराने समाचार दिया जाना युक्तिसंगत न मानकर कार्यक्रमों की उपलब्धियाँ तथा स्वरूप एक ही जगह सभी स्थानों के नाम के साथ देने की युक्ति अपनाई गई है। परमपूज्य गुरुदेव की कुंडलिनी-महासाधना का प्रतिफल परिजनों ने हर जगह अनुभवी किया। प्रारंभ में तो विश्वास नहीं होता था कि कार्यक्रम ऐतिहासिक भी बन सकते हैं; पर जब शुरुआत हुई तो जनसमूह का ताँता; जैसे लगता देखा गया, मानो किसी अदृश्य सत्ता ने घर-घर जाकर आमंत्रण दिया हो। सभी स्थानों के कार्यक्रम आशातीत सफलताओं के साथ संपन्न हुए। कार्यक्रमों में हर धर्म-संप्रदाय के अनुयाई उत्साहपूर्वक सम्मिलित होते रहें। राजनेताओं के साथ विभिन्न सम्प्रदाय के प्रतिनिधियों का दृश्य अधिकांश स्थानों पर राष्ट्रीय एकता को सार्थक करता रहा। ऐसे सम्मेलन ऐतिहासिक बन गए। उपस्थित जनसमूह के साथ कभी प्रतिनिधियों को यज्ञाग्नि की साक्षी में राष्ट्रीय एकता की शपथ ली। यज्ञायोजन के अवसर पर विभिन्न संस्कारों के माध्यम से लोकशिक्षण का उद्देश्य तो पूरा हुआ ही, साथ ही सम्मिलित परिजनों ने देव दक्षिणास्वरूप अपने दोष-दुर्गुणों का त्यागकर सत्प्रवृत्तियों के संवर्ध्दन का संकल्प भी लिया। कार्यकर्त्ताओं ने आपसी मतभेदों को भुलाकर टोलीबद्ध रूप से एकजुट होकर मिशन द्वारा निर्धारित रचनात्मक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की व्यापक व्यवस्था बनाई। जन्मदिन, झोला-पुस्तकालय, स्लाइड प्रोजेक्टर प्रदर्शन तथा सद्वाक्य लेखन जैसे सरल-सस्ते; किंतु महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम व्यापक स्तर पर चल पड़े। शान्तिकुञ्ज में चल रहे साधना-सत्रों में सम्मिलित होने के लिए परिजनों में होड़ जैसी लग गई है। मिशन की गतिविधियों के व्यापक विस्तार के लिए अपूर्व उत्साह स्थान-स्थान पर दिखलाई पड़ रहा है। कार्यक्रमों की ऐसी सफलताओं को देखते हुए लगता है, वह दिन दूर नहीं, जब महाकाल का ‘मनुष्य में देवतत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण’ का उद्घोष पूरा होकर रहेगा। जिन स्थानों में आयोजन संपन्न हुए विस्तृत समाचार देना संभव नहीं वे हैं— उत्तर प्रदेश :- निधासन, डुमरियागंज, बालावास, बढ़नी, सेवरही, जरकला, मल्लांवा, लैरोदोनवार, हरदोई, झाँसी, इलाहाबाद, बसखारी, नैनी, सुखनपुर, कासगंज, किच्छा, पंतनगर, पीलीभीत, अल्मोड़ा, सरसांवा, चक्के, लालगंज, पडरौना, आगरा, फतेहपुर, बाराबंकी, फर्रुखाबाद, कौआ, सादाबाद, देवीपुरा, दौलतपुर, बम्हनपुर, पूरनपुर, तम्बौर, नानपारा, भिनगा, कैशरगंज, खुरहरी, नौगढ़, तमकूही रोड, भाटपार रानी, शिकरपुर, बसखारी, मुबारिकपुर, नेवादा, सीसरी बाजार, ऊँचाहार, अर्जुनपुर, मुगराबाद, शाहपुर ,सैफाबाद, चकसुण्डा, चैनपुर, कलवारी, पयागपुर, कूमांचल, विस्वां, सिथौली, हरगाँव, मिश्रित, अतरी, औरैया, खिरियामुकुंद, किशुनपुर, दूधी, धाता, उन्नाव, अजीतमल, हसनपुर, ककराला, मोंठ, अवागढ़, कुरसंडा, अनूपशहर। गुजरात:- भूतिया, थामला, देवली, ओड, हारिज, बाँधनी, मानसा, महुधा, बाला सिनोर, उदेल संतरामपुर, सरदार कृषिनगर, गोमतीपुर, चलाला, छबासर, बहुचराजी, राणीप, कोसम्बा, भादरवा, बगसरा, विसावदर, गरियाधार, खाँभा, नानीझेर, कणभईपुरा, सिंधाज, सावरकुंडला, मातर, तलाला, खीमत, विद्यानगर, रंगपुर, पलीयड़, किसनगर, माला झिंझवा, पोरबंदर मोटा मांडावडा, राजकोट, भुज, दयापर, मलिया, गढ़शीशा, आदीपुर, रापर, दियोदर, ठुनादरा, बहेराखाड़ी, डभासी, सिंहुज, पेटलाद, कुंजराव, अजरपुरा, मोमारोड़, उम्बेर, भरुच, बडोली, मोटामिया माँगरोल, वारडोली, बोडेली, भादरवा, कोसंबा। मध्य प्रदेश :- अमरवाड़ा, नगरी, गरियाबंद, पेंड्रा, दत्तेवाड़ा, बालोद, रतलाम, सोरम सिंधी, डिण्डोरी, दमोह, राजसमुंद, मन्दसौर, राजिम, बरमकेला, बिसौद, मूंदी, पलारी, सलिहा, विदिशा, तखतपुर, भाटापारा, आमालोरी, निकुम, दिवारी, सारनी, पनगाँव, स्नेहनगर, लोरमी, टीकमगढ़, बूढ़ा, ग्वालियर, नेवरा, नन्दिनीनगर, शिवपुरी कालोनी, रामगढ़, रायगढ़, लंजोड़, रायपुर, जौरा अलापुर, भिंड, नागदा, कसारीडीह, चाँंपा, बिलासपुर, सीधी, सतना, छापीहेड़ा, बिरकौना, सेंदरी, सेमरताल, नखराम, वसीवहार, खौली, पेंडरी बसना, टेमरी, करगीरोड़, चार भाटा, साँकरा, बेलपान, सकरी, कवर्धा, देवगाँव, व्यौहारी, देवलोंद, कुली पोटा, बाराद्वार, पोरथा, सोहागपुर, बम्हनीडीह, सारागाँव, उदयबंद, सिरमौर, बासौद, तरीचरकलाँ, सुनवानी महाकाल, खिड़किया, शिकारा, नेपानगर, बलवाड़ी, छोटी खरगोन, बरुर, बिचौली, साँवेर, सिहोर, मुँगावली, सबलगढ़, बखतगढ़, खोर, नीमच, डीकेन, राजनगर, फरंजी, भटगंवा, चर्चाकालरी, बसदेई, भैयाथान, धनागर, लैलूँगा, देवकोनी, दारंग, धनसीर, चारौदाबाँध, सराय-पाली, मुनगासेर, रिसामा, सिरसाकला, सपिया, खोडरी, जैतहरी, पाली बिरसिंहपुर, करसरा, निवाडी। उड़ीसा :- रम्भा, राउरकेला, काटाभाँजी, भुवनेश्वर, रानिबुड़ा, बरंगा, सम्बलपुर, जेपुर, काल्ला, फूलवाणी। बिहार :- मोतीहारी, बेतिया, मुजफ्फरपुर, टायो, झुमरी तलैया, सासाराम। ये बड़े शतकुण्डी आयोजन रहे। इसके अतिरिक्त छुट-पुट 50 से भी अधिक चौबीस कुण्डीयज्ञ बिहार में हुए हैं। राजस्थान :- डग, चित्तौड़गढ, सांगोद, बकानी, सीसवाली, बूँदी, जयपुर, पिलानी, बिजौलिया, राजसमंद, माहीडैम, बड़गाँव, फलोदी, बीकानेर, सरदार-शहर, झुँझुनू, ब्यावर, श्री माधोपुर, किशन गढ़वाल, सवाई माधोपुर। अन्य प्रांत :- उमरी अकोला, शहादा, धुले, भुसाबल, कुरुक्षेत्र, भिलदर्रा, पालधी, अनंतपुर, नेल्लोर तथा गुण्टूर। श्रोताओं की प्रतिक्रिया बोधघाट (म॰प्र॰) शतकुंडी महायज्ञ के अवसर पर आयोजित जनसभा में शान्तिकुञ्ज में चल रही प्रवृत्तियों की विस्तृत जानकारी दी गई। श्रोताओं से आग्रह किया गया कि वे यहाँ विभिन्न शिविरों में भाग लेने आएँ। सभा के अंत में 547 परिजनों ने इस आशयक के संकल्पपत्र समर्पित किए। आयोजकों ने विचार गोष्ठी में इन सब का अलग से विस्तृत मार्गदर्शन किया। उनको भेजने का समुचितक्रम बिठाया जा रहा है। घर-घर अमृत वर्षा तलाई (म॰प्र॰) की औद्योगिक बस्ती में संपन्न राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के अवसर पर सर्वश्री रामस्वरूप निगोती, वृजराज सिंह, धीरज सिंह सर्वेपर, पुनाऊ-रायमवैश्य, शीतला सहाय, राधेश्याम मिश्र, राम शंकर मिश्र, सरला मिश्र, शिवचंद्र, पारीख, गिरीशचंद्र पाटीदार, सूरजभान पुवैया कटोरीलाल, जीतराम ताँती, बैकुण्ठ अवस्थी, चंदन लाल टिकारीहा, दिनेश पटेल, श्रीमती वंदना पटेल, रामकृपाल चौधरी, अर्जुनलाल पाटीदार, विश्वनाथ प्रसाद, सुरेश सेन, चन्द्र दत्त सांकला, उमेशचंद्र तथा सत्यप्रकाश पाटीदार ने नियमित रूप से झोला पुस्तकालय चलाने के संकल्प लिए। इस अवसर पर उनका अभिषेक-अभिनन्दन किया गया। जिस समय इनका अभिनंदन किया जा रहा था, सघन बादलों से हल्की फुहार पड़ी। मानो घर-घर अमृत बाँटने का संकल्प लेने वालों पर प्रकृति स्वयं अभिसिंचन कर रही हो। अभी से तैयारी गोसाईगंज (उ॰ प्र॰) समीपवर्त्ती राष्ट्रीय एकता सम्मेलन से प्रभावित होकर स्थानीय गायत्री परिवार परिजनों ने नवंबर दिसंबर में अभूतपूर्व सम्मेलन करने की रूप−रेखा बनाई है। सर्व श्रीचंद्र वर्मा, आर वी राठौर तथा दिनेश चंद्र अग्रवाल को मिलाकर बनी यज्ञ समिति ने आवश्यक तैयारियाँ और प्रचार कार्य अभी से प्रारम्भ कर दिया है, मिशन और कार्यक्रम के स्वरूप की जानकारी देने वाले 5 हजार परिपत्र प्रकाशित कर जन-जन संपर्क की व्यापक रूप-रेखा तय की गई है। समस्त गायत्री परिवार एकजुट होकर कार्य कर रहा है। माॅरल एजुकेशन प्रशिक्षण का व्यक्तित्व परिष्कार प्रशिक्षण के रूप में विस्तार शान्तिकुञ्ज (हरिद्वार) उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन के उच्च अधिकारियों, राज्य ग्राम विकास अधिकारियों, महिला स्काउट्स एण्ड गाइड्स (युवक मंगल) के व्यक्तित्व परिष्कार शिविर संपन्न होने के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्राइवेट इंटर कालेजों के प्रधानाचार्यों के नैतिक शिक्षा शिविर प्रारंभ हो गए हैं। यह शिविर फरवरी 1988 के अंत तक लगातार चलते रहेंगे। सैनिक स्कूल के आचार्यों के प्रशिक्षण का निर्धारण भी हो चुका है। उड़ीसा सरकार बिहार सरकार तथा गुजरात की सरकारें भी अपने शिक्षकों तथा शिक्षा अधिकारियों के मॉरल एजुकेशन शिविर संपन्न करने के लिए शान्तिकुञ्ज से परामर्श कर रही हैं; इन शिविरों के भाव भरे परिणाम भी मिल रहे हैं। ऐसा प्रतिभागियों के वापस लौटने के बाद आएँ पत्रों से ज्ञात होता है। इस अनौपचारिक पत्र-व्यवहार द्वारा जिससे प्रतिभागियों से प्रगति समीक्षा पूछी गई थी, अस्सी प्रतिशत से अधिक से संपर्क स्थापित हुआ है एवं सक्रियता बढ़ी है। अगस्त मास में भी सम्मेलन शक्तिपीठों, प्रज्ञा-संस्थानों एवं प्रज्ञा आयोजनों के वर्ष 1987-88 के कार्यक्रमों के निर्धारण हेतु पूर्व घोषित जुलाई माह के सम्मेलनों को, अब एक माह तक सीमित न रख अगस्त तक और बढ़ा दिया गया है। अब सम्मेलनों की शृंखला इस प्रकार होगी :- 3 से 6 जुलाई बिहार, 7 से 10 जुलाई गुजरात का सौराष्ट्र क्षेत्र, 12 से 15 जुलाई गुजरात द्वितीय (बड़ौदा खेड़ा अहमदाबाद एवं बम्बई) 16 से 19 जुलाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश, 20 से 23 जुलाई पूर्वी उत्तर प्रदेश व उससे लगे बिहार के जिले, 24 से 27 जुलाई गुजरात तृतीय सूतर, भरुच, बलसाड़ एवं हि॰प्र॰ हरियाणा, दिल्ली 28 से 31 जुलाई गुजरात चतुर्थ गांधीनगर, मेहेसाणा बनासकांठा, साबरकांठा, कच्छ, पंचमह, 2 से 5 अगस्त म॰ प्र॰ के चंबल जिले बुंदेलखंड बघेलखंड विदिशा, रायसेन एवं सीहोर, 7 से 10 अगस्त बैतूल छिंदबाड़ा, बालाघाट, सिवनी, मंडला, भोपाल, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, जबलपुर एवं महाराष्ट्र, 12 से 15 अगस्त छत्तीसगढ़ क्षेत्र, 17 से 20 अगस्त रायपुर, रायगढ़ एवं उड़ीसा, 22 से 25 अगस्त मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र, 27 से 30 अगस्त राजस्थान। उपरोक्त अवधि में 9 दिवसीय साधना-शिविर एवं युगशिल्पी शिविर स्थगित रहेंगे।