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Magazine - Year 1992 - Version 2

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किस्मत का खेल नहीं, परोक्ष सत्ता की मदद

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First 10 12 Last
कहते हैं कि दवा सहायता प्रायः उन्हीं को मिलता है, जो उन्हें उपलब्ध करने की पात्रता अपनी ही साहसिकता के आधार पर सिद्ध कर सके। ऐसे ही लोग जन समर्थन अर्जित करते और सफलता प्राप्त करते हैं, जबकि भीरुता को तो पग-पग पर असहयोग और असफलता ही हाथ लगती है। इन्हें भगवद् सहायता तो क्या जनसहयोग भी हस्तगत नहीं हस्तगत नहीं होता, जबकि मोर्चे पर डटे सेनानायक का मनोबल कहर बरपाते देखा जाता है। इनका अद्भुत उत्साह न सिर्फ सैनिकों की चिनगारी से ज्वालमाल बनाता है, वरन् शत्रुओं के विशाल कुमुक को भी नाकों चने चबाता है। इस संदर्भ में यह कथन काफी सही है कि “ईश्वर केवल उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता आप करने को तत्पर होते हैं”। इसमें ईश्वर -विश्वास दोनों तत्व इकट्ठे होते हैं, वहाँ चमत्कार उत्पन्न होता है। तब विवश होकर यह कहना पड़ता है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा है।

चीन के बिजिंग शहर की एक महिला हुआँग के संबंध में यह तथ्य अक्षरशः लागू होता है। उसका जीवन आकस्मिक विपत्तियों और अप्रत्याशित सुरक्षा-संयोगों का ऐसा विचित्र प्रतिमान है जिसे देखकर आश्चर्य से चकित रह जाना पड़ता है। प्रतीत ऐसा होता है कि कोई आसुरी सत्ता उसकी जीवनलीला समाप्त करने पर सदा सन्नद्ध रही, पर दैवीसत्ता के संरक्षण के आगे उसकी एक न चली और उसके आक्रमण सुरक्षा कवच पर होने वाले आघात की भाँति सदा निष्फल होते रहे। हुआ के जीवन में सात जानलेवा दुर्घटनाएँ हुई, पर हर बार दैवयोग से वह बचती रही। इन दुर्घटनाओं में आश्चर्यजनक बात यह रही कि कइयों में सारे-के’-सारे यात्री मारे गये, जीवित एक मात्र वही बची।

एक बार जब वह किशोरावस्था में थी, तो स्कूल की ओर से अन्य बच्ची के साथ पिकनिक में जाने का कार्यक्रम बना। नियत समय पर सभी बस से रवाना हुए पर दुर्भाग्यवश पिकनिक स्थल पहुँचने से पूर्व ही रास्ते में बस की टक्कर विपरीत दिशा से आते एक ट्रक से हो गई। ट्रक की रफ्तार इतनी तेज थी, कि बस बगल के एक गहरे खड्डे में जा गिरी। जीवित सिर्फ चालक और हुआ ही बचे। अन्य सभी ने या तो घटना स्थल पर दम तोड़ दिया अथवा अस्पताल में।

इसी प्रकार सन् 1960 में एक बार वह बिजिंग से संघाई वायुयान से जा रही थी। बीच में उसमें कुछ खराबी आ गई। पायलट ने सभी यात्रियों को इसकी जानकारी दे दी। उसने उसने निकटवर्ती हवाई अड्डे में जहाज को उतारना भी चाहा पर सफल न हो सका। उतरने से पूर्व इंजन में आग लग गई। जलता विमान सड़क के किनारे एक खेत में जा गिरा। तुरंत आपातकालीन सेवाएँ दी गईं। दमकल से आग जल्द ही बुझा दी गई। यात्रियों को जब बाहर निकाला गया तो सभी दम घुटने से मर चुके थे। एक हुआँग ही बेहोश अवस्था में पड़ी मिली। कई दिनों के उपचार के बाद अस्पताल में वह ठीक हो गई।

सन् 1962 में वह मस्तिष्कीय शोध संबंधी कार्य के लिए रूस गई। एक दिन वह उक्रेन के काला सागर तट पर स्थित एक होटल में रात में सागर का आनन्द ले रही थी कि अचानक तूफान आ गया। उस भीषण तूफान में तटवर्ती होटलों के अधिकाँश लोग मारे गये। कुछ एक जो बचे, उनमें हुआँग भी सम्मिलित थी। उसका बचना भी बड़ा विलक्षण रहा। भयंकर तूफान में जब होटल पानी से भर गया और वह पानी में ऊपर-नीचे आने-जाने लगी, तभी न जाने कहाँ से उसके सामने लकड़ी का एक मोटा लट्ठा आ गया। वह उसी के सहारे तैरती हुई बड़ी कठिनाई से जिन्दा रह सकी। बाद में सेना की नाव ने उसे वहाँ से सुरक्षित स्थल तक पहुँचाया।

सन् 1964 में एक शाम वह अपनी एक सहेली के विवाह के उपलक्ष्य में एक प्रीतिभोज में सम्मिलित हुई। दावत में मछलियाँ परोसी गईं, पर दुर्दैव से वह किसी ऐसे जलाशय की थीं, जो विषाक्त हो चुका था। उसमें रहने वाली मछलियाँ भी उससे अप्रभावित न रहीं। उसे खाते ही सभी को उल्टियां होने लगीं। तुरंत सबको अस्पताल पहुँचाया गया। हुआ भी इनमें शामिल थी। लगभग आधों ने तो रास्ते में ही दम तोड़ दिए। कुछ अस्पताल पहुँचने पर और अनेक, उपचार मिलने के उपरान्त भी जीवित न रह सके। हुआ की स्थिति भी गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने उससे भी आशा छोड़ दी थी, पर समय बीतने के साथ-साथ उसमें सुधार आता गया। चिकित्सकों को उसके ठीक होने पर हैरानी इस बात की हुई कि कई लोगों की अस्पताल पहुँचने पर स्थिति हुआ से कहीं अच्छी थी। उन्हें परिश्रमपूर्वक भी बचाया न जा सका, किन्तु उन्हीं दवाओं ने हुआ के लिए रामबाण औषधि का काम किया। यह कितने आश्चर्य की बात है।

एक बार वह कॉलेज से अन्य सहेलियों के साथ टैक्सी सड़क किनारे एक वृक्ष से जा टकरायी। चालक की तत्काल मृत्यु हो गई। तीनों सहेलियों के साथ टैक्सी सड़क किनारे एक वृक्ष से जा टकरायी। चालक की तत्काल मृत्यु हो गई। तीनों सहेलियाँ गंभीर रूप से घायल हुई। हुआँग के सिर्फ हाथ की हड्डी टूट कर रह गयी।

इन्हीं दिनों की बात है। एक दिन वह सड़क पार करती हुई कॉलेज में प्रवेश कर रही थी कि एक तीव्र गति की कार ने उसे जोर की टक्कर मारी। वह किनारे दूर जा गिरी। उपस्थित लोग दौड़।

वह किनारे दूर जा गिरी। उपस्थित लोग दौड़ । सोचा हुआ का बचना मुश्किल है। निकट पहुँचे, तो पता चला कि उसकी बायीं टाँग टूट गई है। इसके अतिरिक्त और कोई चोट नहीं आयी । दर्शकों ने जब इस पर हैरानी प्रकट की तो उसने कहा कि टक्कर लगने से ठीक पूर्व ऐसा लगा कि मुझे किसी ने झटके से किनारे खींच लिया हो। मेरी टाँग टूट गई है। इसके अतिरिक्त और कोई चोट नहीं आयी। दर्शकों ने जब इस पर हैरानी प्रकट की तो उसने कहा कि टक्कर लगने से ठीक पूर्व ऐसा लगा कि मुझे किसी ने झटके से किनारे खींच लिया हो। मेरी टाँग उसी झटके से टूटी है। धक्का तो मुझे लगा ही नहीं । ऐसा होता, तो मेरा बच पाना संभव न था।

उक्त घटनायें यह सिद्ध करती हैं कि सर्व समर्थ सत्ता की इच्छा के बिना कोई किसी का कुछ बिगाड़ नहीं सकता, मारने की बात तो दूर रही। यदि पात्र उसका प्रिय है, उसकी अहैतुकी सहायता का अधिकारी है, तो वह उसे अवश्य संरक्षण प्रदान करती है, पर अनुबन्ध एक ही है-साहसिकता । यदि हुआँग के जीवन में झाँका जाय, तो ज्ञात होगा कि जीवन में उसने साहस और सत्साहस के ऐसे करतब किये हैं, जो शायद किसी अन्य नारी द्वारा कम ही किये गये हों, इस आधार पर यही कहा जा सकता है कि जो प्रतिकूल परिस्थितियों में साहसपूर्वक अपनी और दूसरों की सहायता करने के लिए तत्पर होता है, संकट में ईश्वर उसकी अवश्य सहायता करता है। आस्तिकता इसे और असंदिग्ध बना देती है।

First 10 12 Last


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Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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