हमारी वसीयत और विरासत (भाग 62) प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
“नैतिक क्रांति, बौद्धिक क्रांति और सामाजिक क्रांति संपन्न की जानी है। इसके लिए उपयुक्त व्यक्तियों का संग्रह करना और जो करना है, उससे संबंधित विचारों को व्यक्त करना अभी से आवश्यक है। इसलिए तुम अपना घर-गाँव छोड़कर मथुरा जाने की तैयारी करो। वहाँ एक छोटा घर लेकर एक मासिक पत्रिका आरंभ करो। साथ ही तीनों क्रांतियों के संबंध में आवश्यक जानकारी देने का प्रकाशन भी। अभी तुमसे इतना ही काम बन पड़ेगा। थोड़े ही दिन उपरांत तुम्हें दुर्वासा ऋषि की तपस्थली में मथुरा के समीप एक भव्य गायत्री मंदिर बनाना है; सहकर्मियों के आवागमन, निवास, ठहरने आदि के लिए। इसके उपरांत 24 महापुरश्चरण के पूरे हो जाने की पूर्णाहुतिस्वरूप एक महायज्ञ करना है। अनुष्ठानों की परंपरा जप के साथ यज्ञ करने की है। तुम्हारे 24 लक्ष के 24 अनुष्ठान पूरे होने जा रहे हैं। इसके लिए एक सहस्रकुंडों की यज्ञशाला में एक हजार मांत्रिकों द्वारा 24 लाख आहुतियों का यज्ञ आयोजन किया जाना है। उसी अवसर पर ऐसा विशालकाय संगठन खड़ा हो जाएगा, जिसके द्वारा तत्काल धर्मतंत्र से जनजागृति का कार्य प्रारंभ किया जा सके। यह अनुष्ठान की पूर्ति का प्रथम चरण है। लगभग 25 वर्षों में इस दायित्व की पूर्ति के उपरांत तुम्हें सप्तसरोवर हरिद्वार जाना है। वहाँ रहकर वह कार्य पूरा करना है, जिसके लिए ऋषियों की विस्मृत परंपराओं को पुनर्जाग्रत करने हेतु तुमने स्वीकृतिसूचक सम्मति दी थी।’’
मथुरा की कार्यशैली, आदि से अंत तक किस प्रकार संपन्न की जानी है, इसकी एक सुविस्तृत रूपरेखा उन्होंने आदि से अंत तक समझाई। इसी बीच आर्ष साहित्य के अनुवाद, प्रकाशन, प्रचार की तथा गायत्री परिवार के संगठन और उसके सदस्यों को काम सौंपने की रूपरेखा उन्होंने बता दी।
क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Recent Post
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 130): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 129): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 128): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य:
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर्या आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न हुई भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं...
