हमारी वसीयत और विरासत (भाग 65): प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण
एक दिन हम रात को 1 बजे के करीब ऊपर गए। लालटेन हाथ में थी। भागने वालों से रुकने के लिए कहा। वे रुक गए। हमने कहा— ‘‘आप बहुत दिन से इस घर में रहते आए हैं। ऐसा करें कि ऊपर की मंजिल के सात कमरों में आप लोग गुजारा करें। नीचे के आठ कमरों में हमारा काम चल जाएगा। इस प्रकार हम सब राजीनामा करके रहें। न आप लोग परेशान हों और न हमें हैरान होना पड़े।’’ किसी ने उत्तर नहीं दिया। खड़े जरूर रहे। दूसरे दिन से पूरा घटनाक्रम बदल गया। हमने अपनी ओर से समझौते का पालन किया और वे सभी उस बात पर सहमत हो गए। छत पर कभी-कभी चलने-फिरने जैसी आवाजें तो सुनी गईं, पर ऐसा उपद्रव न हुआ, जिससे हमारी नींद हराम होती; बच्चे डरते या काम में विघ्न पड़ता। घर में जो टूट-फूट थी, अपने पैसों से सँभलवा ली। ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका पुनः इसी घर से प्रकाशित होने लगी। परिजनों से पत्र-व्यवहार यहीं आरंभ किया। पहले वर्ष में ही दो हजार के करीब ग्राहक बन गए। ग्राहकों से पत्र-व्यवहार करते और वार्त्तालाप करने के लिए बुलाते रहे। अध्ययन का क्रम तो रास्ता चलने के समय चलता रहा। रोज टहलने जाते थे। उसी समय में दो घंटा नित्य पढ़ लेते। अनुष्ठान भी अपनी छोटी-सी पूजा की कोठरी में चलता रहता। कांग्रेस के काम के स्थान पर लेखन-कार्य को अब गति दे दी। अखण्ड ज्योति पत्रिका, आर्ष साहित्य का अनुवाद, धर्मतंत्र से लोक-शिक्षण की रूपरेखा, इन्हीं विषयों पर लेखनी चल पड़ी। पत्रिका अपनी ही हैंडप्रेस से छापते, शेष साहित्य दूसरी प्रेसों से छपा लेते। इस प्रकार ढर्रा तो चला, पर वह चिंता बराबर बनी रही कि अगले दिनों मथुरा में रहकर जो प्रकाशन का बड़ा काम करना है; प्रेस लगाना है; गायत्री तपोभूमि का भव्य भवन बनाना है; यज्ञ इतने विशाल रूप में करना है, जितना महाभारत के उपरांत दूसरा नहीं हुआ; इन सबके लिए धनशक्ति और जनशक्ति कैसे जुटे? उसके लिए गुरुदेव का वही संदेश आँखों के सामने आ खड़ा होता था कि, ‘बोओ और काटो’। उसे अब समाजरूपी खेत में कार्यान्वित करना था। सच्चे अर्थों में अपरिग्रही ब्राह्मण बनना था। इसी कार्यक्रम की रूपरेखा मस्तिष्क में घूमने लगीं।
क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Recent Post
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 130): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 129): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 128): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य:
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर्या आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न हुई भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं...
