आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने मटिहानी, बेगूसराय में 251 कुण्डीय विराट गायत्री महायज्ञ में भरी नई चेतना—‘हर कार्यकर्ता बने भागीरथ’ का दिया आह्वान
पटना में आगमन के पश्चात् देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी अपने बिहार प्रवास के अगले चरण में मटिहानी, बेगूसराय पहुँचे। यहाँ 251 कुण्डीय विराट गायत्री महायज्ञ के अंतर्गत संपन्न हुए दिव्य दीप–यज्ञ में आपने श्रद्धालुओं को महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संदेश प्रदान किया।
अपने प्रेरक उद्बोधन में उन्होंने कहा—
जैसे ही जीवन में गुरु का सान्निध्य मिलता है, वैसे ही जीवन सौभाग्य की ओर बढ़ता है। दीप–यज्ञ का तात्पर्य है कि अपने अंदर सोए हुए भगवान को जगाएँ और अपने भीतर के प्रकाश को प्रज्वलित करें।
केवट प्रसंग का उदाहरण देते हुए आपने समझाया—“जिस प्रकार केवट ने भगवान श्रीराम को नाव पर चढ़ाकर घाट पार कराया और बदले में कहा कि जीवन की अंतिम यात्रा में प्रभु उन्हें अपनी नाव पर बिठाएँ—उसी प्रकार हमें भी गुरुदेव के विचारों को जन–जन तक पहुँचाने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि वे हमारे जीवन की नैया को पार लगा सकें।”
भागीरथ की तपश्चर्या का उदाहरण देते हुए आपने पुकारा— “जैसे भागीरथ ने गंगा को गंगासागर तक पहुँचाया, उसी प्रकार हमें गुरुदेव के विचारों को घर–घर तक पहुँचाना है। प्रत्येक कार्यकर्ता को भागीरथ बनना समय की आवश्यकता है।”
आदरणीय डॉ. साहब के इन दिव्य विचारों ने मटिहानी की भूमि पर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं में नई चेतना, ऊर्जा और निष्ठा का संचार किया।
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