
उपासनात्मक प्रचंड चंडी महा पुरश्चरण
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उपरोक्त संगठनात्मक यज्ञ के साथ साथ विश्वव्यापी युद्ध, दुविक्ष, महामारी, दैवी प्रकोप, द्वेष, अनिष्ट आदि संकटों से टक्कर लेने और उन्हें परास्त करने के लिए शान्ति स्थापना के लिए उपासनात्मक लक्ष चण्डी सूक्त यज्ञ का महा अनुष्ठान भी तपोभूमि में इस आश्विन की नवरात्रि से आरम्भ किया जा रहा है। इस अनुष्ठान में वेदोक्त चण्डी सूक्त के एक लाख पाठ, नवार्ण मन्त्र का 24 लक्ष जप तथा दुर्गा सप्तशती के एक सहस्र पाठ होंगे। इस प्रकार वैदिक लक्ष चण्डी, पौराणिक सहस्र चंडी तथा नवार्ण मंत्र का 24 लक्ष चण्डी महापुरश्चरण इन तीनों का समावेश होने से यह महा अनुष्ठान साधारण एकाकी लक्ष चण्डी, सहस्र चण्डी, नवार्ण पुरश्चरण की अपेक्षा तीन गुनी शक्ति से सम्पन्न होगा। यह प्रचंड चंडी महा पुरश्चरण एक ऐसी शक्ति उत्पन्न करेगा जो असाधारण रूप से असुरता को परास्त करने और खेत्व को परिपुष्ट करने में समर्थ होगी। अगले वर्ष सन् 57 के विशेष अशुभ होने की संभावना को देखते हुए इस समय यह और भी अधिक आवश्यक है। साधारणतया भी शत्रुओं, संकटों और अशुभ अनिष्टों को शमन करने के लिए चण्डी की उपासना की जानी है। फिर आज की विपन्न परिस्थिति में तो इसकी आवश्यक व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक सुरक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जो लोग इसमें भाग लेना चाहें वे मथुरा आकर इसमें भाग ले सकते हैं या अपनी ओर से इच्छित संख्या में जप हवन आदि करा सकते हैं। संकल्प पूर्ण हो जाने पर निर्धारित पाठ एवं जप का दशांश हवन होगा। जितनी संख्या में पंडित अभी बिठाये जा रहे हैं उतने से एक वर्ष में यह संकल्प पूर्ण होगा, और पूर्णाहुति आश्विन में ही होगा। यदि अधिक साधक बिठा दिये जायं तो 8 महीने में जेष्ठ की गायत्री जयन्ती तक भी यह सब कार्य पूरा हो सकता है। इसका अन्तिम निश्चय समयानुसार होगा। कार्य बड़ा है इसकी पूर्णता एवं परिणित भी महत्वपूर्ण ही होगी।