
गायत्री परिवार के प्रशंसनीय सत्प्रयत्न
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आत्म कल्याण की सर्वोत्तम साधना एवं सूक्ष्म जगत को शुद्ध करके संसार के ऊपर छाई हुई संकट की घटाओं को शान्त करने की महान सेवा के रूप में गायत्री उपासना की व्यापक प्रक्रिया आज अतीक आवश्यकता है। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिकाधिक परिमाण में गायत्री उपासना तथा यज्ञ आयोजनों का महत्वपूर्ण कार्यक्रम गायत्री तपोभूमि द्वारा चलाया जा रहा है। प्रसन्नता की बात है कि उसकी उपयोगिता विचारवान धर्म प्रेमी आत्माओं ने समझी है और वे उसमें उत्साहपूर्वक योग दे रही हैं। विशद् गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के बाद विभिन्न स्थानों में सामूहिक यज्ञों की एक लहर चल पड़ी है। गत गुरु पूर्णिमा पर 108 यज्ञों में 24 लक्ष से कहीं अधिक आहुतियाँ हो चुकी हैं। श्रावण भाद्रपद में भी कई जगह अच्छे यज्ञ हुए हैं।
भीकनापुर (मेरठ) में श्री. अमनसिंह जी के यहाँ पाँच दिन तक हवन हुआ। भाद्रपद वदी 5 को कोटा में श्री. घनश्याम लाल शर्मा के प्रयत्न से बड़ा उत्साह वर्धक यज्ञ हुआ। यज्ञ मंडप और वेदी इतनी सुन्दर सजाई गई थी कि देखने वाले उसे देखते-देखते हटते न थे। श्री. मनोहरसिंह मा. नारायण लाल मनोहरसिंह, चन्दालाल, कालूलाल, गोपीलाल, किशनचन्द, वंशीलाल, मदनलाल गोसाई, गोविंद लाल जी आदि का सहयोग सराहनीय है। पूर्णाहुति के उपरान्त लगभग 300 स्त्री पुरुषों का एक जुलूस निकाला गया। तारा नगर में श्रावण सुदी 15 को अखंड कीर्तन तथा सामूहिक हवन हुआ। श्री. राधाकिशन गुप्त बजरंग लाल साखोलिया, ओंकार मल कंदोई, पं. भागचंद आदि सज्जनों ने बड़े उत्साह से सर्व व्यवस्था की। कामठी नागपुर के पं. शंकरलाल मिश्र ने आठ हजार आहुतियों का हवन पूर्ण किया। नगला महासिंह (आगरा) में पं. बोध शर्मा के प्रयत्न से श्रावण पूर्णिमा को 56000 आहुतियों का सामूहिक हवन हुआ। आरंग (रायपुर) में पं. शियाप्रसाद मिश्र ने श्रावण पूर्णिमा को संस्कृत पाठशाला में सामूहिक हवन परिपूर्ण कराया, नवरात्रि में 24-24 हजार के 24 अनुष्ठान कराने तथा 5 कुण्डों की यज्ञशाला में नवमी दशमी को हवन होगा। बड़ेसरा (अलीगढ़) से पं. धुन्धीसिंह चौ. अमरसिंह आदि सज्जनों ने रक्षा बन्धन के दिन अच्छा हवन कराया।
खलघाट में 25 उपासकों द्वारा प्रतिमास 2400 आहुतियों का हवन क्रम चल रहा है। पं. व्यंकटेश दयाराम शर्मा खलघाट में तथा अन्य आस पास के स्थानों में सामूहिक यज्ञानुष्ठानों का बड़ा प्रयत्न कर रहे हैं। खरगान की-जम्बु धर्मशाला में श्रावण सुदी 13 को बड़ा सुन्दर यज्ञ हुआ। पं. व्यंकटेश शर्मा ने यज्ञ की विधि सम्पन्न कराई। आर्थिक बोझ श्री. शंकर राव खोड़े ने उठाया। सर्व श्री. बाबूराव कानूनगा पुष्पदन्त राणा, गिरधारी लाल जोशी रामेश्वर जी बड़ोले, पुष्प बदन ओरा, नारायण राव मंडलोई, बद्रीप्रसाद वर्वे, नटवरलाल त्रिवेदी का सहयोग सराहनीय रहा। ता. 16 सितम्बर को ऊन (खरगोन) में अच्छा सामूहिक हवन हुआ। ग्राम बडोरा (कोटा) में महादेव जी के मन्दिर पर हवन हो रहा है। 26-75 आहुतियाँ हुई। 67 उपासक बन गये हैं। ग्राम नरावली सोनाखोड़ी में पं. जगन्नाथ जी द्वारा हवन चालू कराया गया है।
लखना दौन (छिन्दवाड़ा) में 10 हजार आहुतियों का हवन ता. 4 सितम्बर को हुआ। 5 लाख जप हो चुका है। 50 हजार मंत्र लिखाये जा चुके हैं। पं. महादेव प्रसाद तिवारी बड़े उत्साह से कार्य कर रहे हैं। वापी (गुजरात) में कृष्ण राव हिगजी घोण्डे के प्रयत्न से 16 सितम्बर को यज्ञ की पूर्णाहुति हुई, आगर (मालवा) से तीन मील दूर बैजनाथ महादेव के मन्दिर पर 40 दिन तक विशेष अनुष्ठान हुआ। अखंड दीपक, 11 रुद्राभिषेक अखंड रामायण पाठ, गायत्री जप, शिवमन्त्र जप, शतचंडी जप, भागवत पाठ, कीर्तन भजन, रात्रि जागरण आदि कार्यक्रम चलते रहे। पाँच कुँडों में 281535 आहुतियाँ हुई। हजारों नर-नारी दर्शन को आये थे। शाजापुर जिले में यह उत्सव अद्वितीय रहा। 1781 रु. खर्च हुए। श्री. मुन्नालाल कनेरियन कर्मयोगी तथा अन्य धर्म प्रेमियों का सहयोग बड़ा सराहनीय रहा। कोकला (कोटा) में श्रावणी पूर्णिमा को 5000 मन्त्रों का बड़े समारोह पूर्वक हवन हुआ। देवझरी स्थान पर श्रावणी कर्म बड़ी श्रद्धा पूर्वक हुआ कार्तिक वदी अमावस्या को फिर यहाँ एक बड़ा यज्ञ होगा। सर्व श्री. रामप्रताप जी ग्रामगुरु, भैरवलाल जी, शिवनारायण जी, रामकरण दाधीक, शान्तीलाल विद्यार्थी, श्रीकृष्ण जी गालव, पं. सरदार मल गौतम आदि का उत्साह सराहनीय था। मालेगाव (नासिक) में जन्माष्टमी के दिन बड़े उल्लास और आनन्द के वातावरण में पाँच हजार आहुतियों का हवन हुआ।
आश्विन मास में कम से कम 108 अच्छे सामूहिक यज्ञों की आशा है। झालावाड़ में तैयारियाँ हो रही हैं। अटरू (कोटा में तैयारी चल रही हैं। गणेश मंदिर पर एक बड़ा यज्ञ होगा। नियाना, वपावर सागौद में कार्तिक में ही बड़े बड़े यज्ञ होने जा रहे हैं। सतना (विन्ध्य प्रदेश) में श्री. आर. आर. मिश्र के प्रयत्न से ता. 13-14 नवम्बर को दूसरे सामूहिक यज्ञ होने जा रहा है। उदई पुर चपुन्ना (इटावा) में पं. विश्वेश्वर दयाल द्विवेदी आदि सज्जनों ने आस पास के 24 गाँवों में यज्ञ करने का जो संकल्प किया था वह पूरा होने पर 15,16,17 दिसम्बर को उन सबको सामूहिक यज्ञ होने जा रहा है। बरेली में श्री. चमनलाल सूरी आदि सज्जनों ने ता. 29-30 नवम्बर तथा 1-2 दिसम्बर का सामूहिक यज्ञ रखा है। रसगाँव (खरगोंन) में 24 लक्ष आहुतियों के हवन की पूर्णाहुति माघ में बसन्त पंचमी को होगी।
गायत्री परिवार के सदस्य बनाने तथा शाखाऐं स्थापित करने का कार्य करने में सभा परिजन आपस में होड़ लगाये हुए हैं। शाहजहाँपुर में 44, मनसूरपुर में 7, संधवा में 12, झाँसी में 18, दिगोंडा में 11, हापुड़ में 9, अकलेरा में 11, कल्याणपुर में 5, धरण गांव में 10, कपडवंज में 11, पेटलावड में 15, जासलपुर में 10, घुरसेना में 7, कानपुर में 27, लखनदोन में 14, रोहीशाला में 5, फर्कखाबाद में 18, सुसनेर में 22, अन्ता में 11, बीकानेर में 7, बरेली में 15, व्यावर में 20, मौडल गढ़ में 19, जोधपुर में 10, मोधरापुर में 10, गोहाड़ में 20, मुर्रा में 15, घुरट 13, धामपुर 65 धगवाँ 17, कनोद 10, जालोन 11, बारावंकी में 11, कसरावाद 1, बसेता 15, केन्द्रीय शाखा में 24 सदस्य बने हैं। यह पंक्तियाँ ता. 15 सितम्बर को लिखी जा रही है। जब तक यह अंक पहुँचेगा तब तक शाखाओं तथा सदस्यों की संख्या कम से कम इतनी ही और बढ़ चुकी होगी। नवरात्रि में इस दिशा में परिजन अधिक प्रयत्न करेंगे ऐसी आशा है। कई सज्जनों ने 240 सदस्य बनाने की कई ने घूम-घूमकर 24 शाखाऐं स्थापित करने की प्रतिज्ञा की है। परिवार का संगठन बन जाने पर इस सब का विस्तृत विवरण छापा जायगा। आशा की जाती है कि सुसंगठित गायत्री परिवार भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान एवं सूक्ष्म वातावरण में सुख शान्ति की धाराऐं प्रवाहित करने में महत्वपूर्ण भाग लेगा।
*समाप्त*