• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • जीवन का अभिप्राय- दिव्य-प्रेम
    • दर्शन की प्यास
    • हमारी अदृश्य किन्तु अतिसमर्थ सूक्ष्म शक्तियाँ
    • Quotation
    • ध्यान
    • सूक्ष्म शरीर का आणविक विश्लेषण (2)
    • Quotation
    • अपनी-अपनी पात्रता
    • अध्यात्म का भावनात्मक आधार
    • Quotation
    • Quotation
    • अपमान और युक्ति का अन्तर
    • भारतीय-दर्शन का विस्तार व वैज्ञानिक विश्लेषण-(2)
    • Quotation
    • राह से भटके हुए मनुष्य
    • शब्द की सामर्थ्य मंत्र का विज्ञान- (2)
    • Quotation
    • प्रजापति ब्रह्म
    • वैराग्य की प्रथम पाठशाला
    • Quotation
    • परमार्थ के लिए आत्मोन्नति आवश्यक
    • Quotation
    • गंगा जल की महान् महिमा-2
    • Quotation
    • स्वर्ग और नरक करनी के फल हैं
    • वृत्ति शोधन से आत्मिक प्रगति
    • आओ हम-आप दोनों जियें
    • Quotation
    • सब जग एक समान
    • बिना पतवार- सिद्धि के द्वार (2)
    • Quotation
    • भूत बड़े-बड़ों ने देखा
    • Quotation
    • भूत को भूत देखता रहेगा
    • ईर्ष्या न करें, प्रेरणा ग्रहण करें।
    • Quotation
    • Quotation
    • संगीत-सत्ता और उसकी महान महत्ता
    • Quotation
    • सुन्दर वाणी
    • सदाचार की शक्ति
    • कठिनाइयों का सामना
    • खिन्नता के पाप सन्ताप से बचिए
    • Quotation
    • मारने की बात बहुत हो चुकी, कुछ जिलाने की भी हो (1)
    • Quotation
    • अनावश्यक उपालंभ
    • निष्काम कर्म-योग की शक्ति
    • अगला विदाई वर्ष और हमारा पवित्र कर्त्तव्य
    • धन की सार्थकता
    • युग-निर्माण अभियान का महान् सत्साहित्य
    • पूजा का मर्म
    • पूजा का मर्म (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • जीवन का अभिप्राय- दिव्य-प्रेम
    • दर्शन की प्यास
    • हमारी अदृश्य किन्तु अतिसमर्थ सूक्ष्म शक्तियाँ
    • Quotation
    • ध्यान
    • सूक्ष्म शरीर का आणविक विश्लेषण (2)
    • Quotation
    • अपनी-अपनी पात्रता
    • अध्यात्म का भावनात्मक आधार
    • Quotation
    • Quotation
    • अपमान और युक्ति का अन्तर
    • भारतीय-दर्शन का विस्तार व वैज्ञानिक विश्लेषण-(2)
    • Quotation
    • राह से भटके हुए मनुष्य
    • शब्द की सामर्थ्य मंत्र का विज्ञान- (2)
    • Quotation
    • प्रजापति ब्रह्म
    • वैराग्य की प्रथम पाठशाला
    • Quotation
    • परमार्थ के लिए आत्मोन्नति आवश्यक
    • Quotation
    • गंगा जल की महान् महिमा-2
    • Quotation
    • स्वर्ग और नरक करनी के फल हैं
    • वृत्ति शोधन से आत्मिक प्रगति
    • आओ हम-आप दोनों जियें
    • Quotation
    • सब जग एक समान
    • बिना पतवार- सिद्धि के द्वार (2)
    • Quotation
    • भूत बड़े-बड़ों ने देखा
    • Quotation
    • भूत को भूत देखता रहेगा
    • ईर्ष्या न करें, प्रेरणा ग्रहण करें।
    • Quotation
    • Quotation
    • संगीत-सत्ता और उसकी महान महत्ता
    • Quotation
    • सुन्दर वाणी
    • सदाचार की शक्ति
    • कठिनाइयों का सामना
    • खिन्नता के पाप सन्ताप से बचिए
    • Quotation
    • मारने की बात बहुत हो चुकी, कुछ जिलाने की भी हो (1)
    • Quotation
    • अनावश्यक उपालंभ
    • निष्काम कर्म-योग की शक्ति
    • अगला विदाई वर्ष और हमारा पवित्र कर्त्तव्य
    • धन की सार्थकता
    • युग-निर्माण अभियान का महान् सत्साहित्य
    • पूजा का मर्म
    • पूजा का मर्म (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1970 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


शब्द की सामर्थ्य मंत्र का विज्ञान- (2)

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 15 17 Last
पिछले अंक में जिस अल्ट्रा साउण्ड के ‘ट्रान्स्डूसर’ नामक अति सूक्ष्म ध्वनि कम्पन यन्त्र का विवरण दिया गया है, वह न केवल रोगों का पता लगाने में वरन् कैन्सर और टी.बी. आदि के रोगों के उपचार में भी प्रयुक्त होने लगा है। शब्द कम्पनों को एक चिमटी की आकृति में बदल कर बारीक से बारीक कीटाणुओं और विषाणुओं को भी पकड़ कर खींचा जा सकता है।

एक लड़के की आँख में पीतल का बहुत बारीक कण घुस गया। किसी भी धातु की चीमटी से धोखा हो सकता था, उस स्थिति में ध्वनि-कम्पनों द्वारा बनाई गई यह चीमटी प्रयोग में लाई गई और उससे 10 सेकिंड में ही वह टुकड़ा निकाल लिया गया। यह कार्य डॉ. नैथेनियल ब्रान्सन द्वारा सम्पन्न हुआ। डॉ. ब्रान्सन मैनहैटन (अमेरिका) में आँख कान और गले के रोगों के विशेषज्ञ हैं।

अल्ट्रासाउंड का उपयोग वियेना के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. कार्ल टी डसिक ने सर्वप्रथम 1942 में किया, यद्यपि इसकी जानकारी एक्सरे की खोज सन 1895 के कुल दो वर्ष बाद ही हो रही थी। इन दिनों इंग्लैण्ड, अमेरिका, स्वीडन तथा जापान आदि देशों में मस्तिष्कीय जानकारी के लिए अल्ट्रासाउण्ड पर विस्तृत खोजें की जा रही हैं। पश्चिम जर्मनी के ड्शल डोर्फ के डॉक्टर डब्लू ब्लाईफील्ड और डॉ. स्वेन एफर्ट ने कोई 10000 व्यक्तियों के शरीर के विभिन्न अल्ट्रासाउण्ड के चित्र उतारे ओर उनके अध्ययन के द्वारा अनेक नये तथ्यों का पता लगाया।

चिकित्सा जगत में शब्द के सूक्ष्मतम प्रयोग की यह उपलब्धियाँ यह बताती हैं कि यदि भारतीय तत्वदर्शियों ने मंत्र विद्या की इतनी जानकारी कर ली हो शब्दों के कम्पनों द्वारा विश्व निवारण, रोग निवारण अदृश्य शक्तियों का आकर्षण मनोगति द्वारा मारण-मोहन उच्चाटन आदि प्रयोग सफलतापूर्वक होते रहें तो उसे अतिशयोक्ति न माना जाये। महाभारत काल में मन्त्र प्रेरित शस्त्रों की मार होती थी, उस परमाणु बमों से भी भयंकर ऊर्जा उत्पन्न होती थी उसका बड़ा सधा हुआ उपयोग सम्भव था उस शक्ति से सैनिकों के समूहों को भी नष्ट किया जा सकता था और हजारों की भीड़ में केवल एक ही किसी व्यक्ति को मारा जा सकता था। यह सब उस शब्द विज्ञान का ही चमत्कार था, जिसकी क्षीण सी जानकारी भौतिक विज्ञान जान पाया है।

बात कहने की नहीं, अब सभी पढ़े-लिखे लोग जान गये हैं कि प्रत्येक ध्वनि को चित्रित किया जा सकता है ध्वनि कम्पनों के इस चित्रण को ‘स्पेक्ट्रोग्राफ’ कहते हैं। हम जो कुछ भी बोलते हैं उन शब्द तरंगों को ‘स्पेक्ट्रोग्राफ’ टेढ़ी-मेढ़ी लकीरों के रूप में प्रस्तुत कर देता है। न्यूयार्क (अमेरिका) की बेल टेलीफोन लैबोरेटरी के वैज्ञानिक डॉक्टर लारेन्स केर्स्टा ने अनेकों लोगों की आवाज का ‘स्पेक्ट्रोग्राफ’ खींच कर देखा तो पाया कि हर व्यक्ति के ध्वनि कम्पनों से जो रेखायें बनाते हैं, वे चाहे एक ही वाक्य बोलें, रेखाओं का प्रकार अलग-अलग तरह का होता है पर किसी व्यक्ति द्वारा एक ही वाक्य स्वस्थ, अस्वस्थ, जुकाम, अधिक या कम तापमान (टेम्परेचर) वायुदाब (प्रेशर) आदि में सदैव में अपरिवर्तित रहता है। इसका अर्थ यह हुआ कि ध्वनि तरंगों में इतनी सामर्थ्य होती है कि प्राकृतिक परिवर्तन- तूफान, वर्षा, तापमान, हवा के दबाव आदि का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। प्रत्येक अवस्था में लकीरें एक व्यक्ति की एक ही तरह की होंगी। इसी तरह प्रत्येक मंत्र का तरंगों के रूप में विस्तार एक ही तरह का होता है, लकीरों की आकृति भिन्न-भिन्न व्यक्तियों द्वारा भले ही भिन्न हो अर्थात् यदि एक व्यक्ति एक वाक्य बोलता है तो आगे बढ़ने और पीछे लौटने वाली लकीरें तो लम्बी या छोटी हो सकती हैं पर उनकी आवृत्ति एक ही तरह की होगी।

सामान्य रूप में बोली जाने वाली ध्वनि तरंगें थोड़ा आगे बढ़कर सारे विश्व भर के परमाणुओं में फैल जाती हैं।और जैसे छुई मुई को छूते ही सारी पत्तियाँ बात की बात में हलचल करती हुई मुरझा जाती हैं, उसी प्रकार यह कम्पन सारे विश्व के विस्तार को कुछ ही सेकेंडों में पार कर प्रतिक्रिया सहित वापिस लौट आता है। परावर्तित कम्पनों में उसी तरह के अनेक विचार भागे चले आते हैं, यही कारण है जब कोई क्रोध में बड़बड़ाता है तो उसी तरह के विचार दौड़े चले आते हैं पर जब कोई प्रेम और करुणाजनक शब्द बोलता है तो वैसे ही मिठास भरे कोमल विचार मस्तिष्क में चले आते हैं। इसीलिये कहा जाता है कि बोला हुआ प्रत्येक शब्द मन्त्र है मनुष्य को बहुत सम्भालकर केवल मीठा और आशयपूर्ण ही बोलना चाहिये। कड़वा, तीखा और निरर्थकता की बकवाद की प्रतिक्रिया वैसे ही तत्वों को और बढ़ा देती है, जिससे मन में अशान्ति ही बढ़ती है।

मंत्र का विज्ञान इससे भिन्न प्रकार का है। अभी तक हम जिन शब्द-तरंगों की बात करते रहे हैं, उनका आकार प्रकार विद्युत शक्ति द्वारा निश्चित और प्रयुक्त होता रहा है। प्रश्न यह उठता है कि मंत्र में जबकि किसी प्रकार की बाह्य शक्ति उन शब्द तरंगों को रूपांतरित नहीं करती तो उनसे विज्ञान की तरह के लाभ कैसे प्राप्त हो सकते हैं? इस प्रश्न का उत्तर ‘रेट्रोमीटर’ यन्त्र के आविष्कार के साथ सम्भव हो गया है। इस यन्त्र में बाहरी शक्ति स्रोत की आवश्यकता नहीं पड़ती है वरन् ध्वनि में सन्निहित ऊर्जा ही विद्युत ऊर्जा का काम करती है। ‘रेट्रोमीटर’ का आविष्कार न्यूमा ई, थामस नामक अमेरिकी वैज्ञानिक ने किया है। श्री थापस लेंगले स्थित ‘नेशनल एरोनोटिक्स एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ रिसर्च के अन्वेषक हैं। इस यन्त्र में किसी माध्यम से प्रकाश फोटोसेंस्टिव सेल में भेजकर विद्युत ऊर्जा में बदल दिया जाता है, और फिर रिसीवर यन्त्र में विद्युत ऊर्जा में बदली तरंगों को ध्वनि में बदलकर सुन लिया जाता है।

इस सिद्धाँत से यह निश्चित हो गया है कि कर्णातीत तरंगों का स्वभाव लगभग प्रकाश तरंगों जैसा ही होता है। कर्णातीत तरंगों का तरंगदैर्ध्य जितना कम होता है, यह समता उतनी ही बढ़ती है, इससे पता चलता है कि कर्णातीत तरंगों को बड़ी ही सुविधापूर्वक आवर्तित और परावर्तित किया जा सकता है। इनका व्यवहार भी प्रकाश तरंगों से ठीक उल्टा होता है, इसलिये इन तरंगों से विभिन्न प्रकार के प्रकाश स्रोतों की शक्ति को प्रतिक्रिया द्वारा आसानी से अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। ऐसा इसलिये होता है कि कर्णातीत तरंगें किसी सघन पदार्थ में तो तेजी से चलती हैं पर विरल माध्यमों में वे मन्दगति से चलने लगती हैं।

वेदों में प्रयुक्त प्रत्येक मन्त्र का कोई न कोई देवता होता है। गायत्री का देवता सविता है, अर्थात् गायत्री उपासना से जो भी लाभ यथा आरोग्य, प्राण, धन-संपत्ति पुत्र और अपनी महत्वाकाँक्षायें आदि पूर्ण होती हैं, उसकी शक्ति अथवा प्रेरणा सूर्य लोक से आती है। किसी भी मंत्र का जब उच्चारण किया जाता है, तब वह एक विशेष गति से आकाश के परमाणुओं के बीच बढ़ता हुआ, उस देवता (शक्ति-केन्द्र) तक पहुँचता है, जिसका उस मन्त्र से सम्बन्ध होता है। मन्त्र-जप के समय ऊर्जा मन को शक्ति के द्वारा प्राप्त होती है, इस शक्ति के द्वारा जप के समय की ध्वनि तरंगों को विद्युत तरंगों के रूप में प्रेक्षित किया जाता है। वह तेजी से बढ़ती हुई कुछ ही क्षणों में देव शक्ति से टकराती हैं, उससे अदृश्य सूक्ष्म-परमाणु मन्दगति से परावर्तित होने लगते हैं, उनकी दिशा ठीक उल्टी होती है। सूक्ष्म और स्थूल दोनों तरह के परमाणु दौड़ पड़ते हैं और साधक को शारीरिक लाभ और मानसिक प्रेरणायें देने लगते हैं। यह शक्ति ही मनुष्य को क्रमशः उन्नत जीवन और अनेक प्रत्याशित लाभों की ओर अग्रसर करती रहती है।

First 15 17 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • जीवन का अभिप्राय- दिव्य-प्रेम
  • दर्शन की प्यास
  • हमारी अदृश्य किन्तु अतिसमर्थ सूक्ष्म शक्तियाँ
  • Quotation
  • ध्यान
  • सूक्ष्म शरीर का आणविक विश्लेषण (2)
  • Quotation
  • अपनी-अपनी पात्रता
  • अध्यात्म का भावनात्मक आधार
  • Quotation
  • Quotation
  • अपमान और युक्ति का अन्तर
  • भारतीय-दर्शन का विस्तार व वैज्ञानिक विश्लेषण-(2)
  • Quotation
  • राह से भटके हुए मनुष्य
  • शब्द की सामर्थ्य मंत्र का विज्ञान- (2)
  • Quotation
  • प्रजापति ब्रह्म
  • वैराग्य की प्रथम पाठशाला
  • Quotation
  • परमार्थ के लिए आत्मोन्नति आवश्यक
  • Quotation
  • गंगा जल की महान् महिमा-2
  • Quotation
  • स्वर्ग और नरक करनी के फल हैं
  • वृत्ति शोधन से आत्मिक प्रगति
  • आओ हम-आप दोनों जियें
  • Quotation
  • सब जग एक समान
  • बिना पतवार- सिद्धि के द्वार (2)
  • Quotation
  • भूत बड़े-बड़ों ने देखा
  • Quotation
  • भूत को भूत देखता रहेगा
  • ईर्ष्या न करें, प्रेरणा ग्रहण करें।
  • Quotation
  • Quotation
  • संगीत-सत्ता और उसकी महान महत्ता
  • Quotation
  • सुन्दर वाणी
  • सदाचार की शक्ति
  • कठिनाइयों का सामना
  • खिन्नता के पाप सन्ताप से बचिए
  • Quotation
  • मारने की बात बहुत हो चुकी, कुछ जिलाने की भी हो (1)
  • Quotation
  • अनावश्यक उपालंभ
  • निष्काम कर्म-योग की शक्ति
  • अगला विदाई वर्ष और हमारा पवित्र कर्त्तव्य
  • धन की सार्थकता
  • युग-निर्माण अभियान का महान् सत्साहित्य
  • पूजा का मर्म
  • पूजा का मर्म (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj