
राजा का समाधान (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
श्रावस्ती सम्राट चन्द्रचूड़ को विभिन्न धर्मों और उनके प्रवक्ताओं से बड़ा लगाव था। राज-काज से असमंजस में पड़ गए, जब धर्म शाश्वत है, तो उसके बीच मतभेद और विग्रह क्यों?
समाधान के लिए वे भगवान बुद्ध के पास गए और उनसे अपना असमंजस कह सुनाया। बुद्ध हँसे। उन्हें सत्कारपूर्वक ठहराया और दूसरे दिन प्रातःकाल उनके समाधान का वचन दिया।
दिनभर के प्रयास से एक हाथी और पाँच जन्माँध जुटा लिए गए। प्रातःकाल तथागत सम्राट को लेकर उस स्थान नर पहुँचे । किसी जन्माँध का इससे पूर्व कभी हाथी से संपर्क नहीं हुआ। उनसे कहा गया कि वह सामने खड़ा है, उसे छुओ और उसका स्वरूप बतलाओ, अंधों ने उसे टटोला और जितना जिसने स्पर्श किया, उसी के अनुरूप उसे खम्भे जैसा, रस्सी जैसा, सूप जैसा, टीले जैसा आदि बताया।
तथागत ने कहा राजन् सम्प्रदाय अपनी सीमित क्षमता के अनुरूप ही धर्म की एकाँगी व्याख्या करते हैं और अपनी मान्यता के प्रति हटी होकर झगड़ने लगते हैं।
जिस प्रकार हाथी एक है और उसका अंध विवेचन भिन्नतायुक्त । धर्म तो समता, सहिष्णुता, एकता, उदारता और सज्जनता में है। यही हाथी का समग्र रूप है। व्याख्या कोई कुछ भी करता रहे।
राजा का समाधान हो गया और वे ही प्रसन्नतापूर्वक कृतज्ञता व्यक्त करते हुए घर लौटे गये।