• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • साधना की गहराइयों से आता संदेश
    • अनुभूत ज्ञान ही सच्चा ज्ञान
    • कैसे करे काल के विभिन्न आयामों का बोध
    • काठिया बाबा (Kahani)
    • कल्पवृक्ष के समान एवं पवित्र तरु है- अश्वत्थ
    • मैं निश्चिन्त हूँ (Kahani)
    • ऐसी जली भक्ति की ज्योति
    • Quotation
    • आशाएँ (kahani)
    • मातृसत्तात्मक समाज की होनी है अब वापसी
    • ध्यान क्यों व कैसे किया जाए
    • धर्म की मान्यता (Kahani)
    • इनसान के लिए दैवी वरदान है संगीत
    • VigyapanSuchana
    • Quotation
    • अभी हमें बहुत कुछ जानना शेष है।
    • Quotation
    • धर्म है मानव जाति के अस्तित्व का मूलभूत आधार
    • Quotation
    • खण्ड प्रलय आ पहुँची, अब तो बदलें
    • Quotation
    • सच्चे ज्ञानी की तलाश
    • आत्महत्या (Kahani)
    • मृदु चाँद्रायण का अतिसुगम विधि-विधान
    • मनुष्य के अधःपतन का कारण (Kahani)
    • सिद्धियों चरम आयाम तक पहुँचाने वाली अनाहत साधना
    • बुरे आदमी के पास अहंकार दीन होता है (Kahani)
    • युगपुरुष की लेखनी से- - पं. श्रीराम आचार्य वांग्मय-अमृतकलश
    • VigyapanSuchana
    • योगाभ्यास की महिमा सबने जानी व मानी
    • भिक्षुक अगले जन्म में बना साधक
    • शांति और स्वास्थ्य अब मनुष्य पाएगा रंगों में
    • Quotation
    • सच्चा कर्म वही जिसमें फल की चाह न हो
    • Quotation
    • धारावाहिक लेखमाला-1 - आपका स्वास्थ्य आयुर्वेद के मतानुसार
    • वृक्ष और भगवान शंकर (Kahani)
    • भगवान्नाम की महिमा
    • Quotation
    • ‘करो या मरो’ का समय है अब यह
    • Quotation
    • भगवान ही समर्थ हैं-सबकी सहायता कर पाने में (Kahani)
    • ब्राह्मणत्व की महान जिम्मेदारी
    • Quotation
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - परिष्कृत मनःस्थिति ही स्वर्ग है
    • Quotation
    • अपनों से अपनी बात- - वरिष्ठों-विशिष्टों से इस प्रतिकूल वेला में विशेष अपेक्षाएँ
    • मोक्ष-जीवन्मुक्ति(Kahani)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • साधना की गहराइयों से आता संदेश
    • अनुभूत ज्ञान ही सच्चा ज्ञान
    • कैसे करे काल के विभिन्न आयामों का बोध
    • काठिया बाबा (Kahani)
    • कल्पवृक्ष के समान एवं पवित्र तरु है- अश्वत्थ
    • मैं निश्चिन्त हूँ (Kahani)
    • ऐसी जली भक्ति की ज्योति
    • Quotation
    • आशाएँ (kahani)
    • मातृसत्तात्मक समाज की होनी है अब वापसी
    • ध्यान क्यों व कैसे किया जाए
    • धर्म की मान्यता (Kahani)
    • इनसान के लिए दैवी वरदान है संगीत
    • VigyapanSuchana
    • Quotation
    • अभी हमें बहुत कुछ जानना शेष है।
    • Quotation
    • धर्म है मानव जाति के अस्तित्व का मूलभूत आधार
    • Quotation
    • खण्ड प्रलय आ पहुँची, अब तो बदलें
    • Quotation
    • सच्चे ज्ञानी की तलाश
    • आत्महत्या (Kahani)
    • मृदु चाँद्रायण का अतिसुगम विधि-विधान
    • मनुष्य के अधःपतन का कारण (Kahani)
    • सिद्धियों चरम आयाम तक पहुँचाने वाली अनाहत साधना
    • बुरे आदमी के पास अहंकार दीन होता है (Kahani)
    • युगपुरुष की लेखनी से- - पं. श्रीराम आचार्य वांग्मय-अमृतकलश
    • VigyapanSuchana
    • योगाभ्यास की महिमा सबने जानी व मानी
    • भिक्षुक अगले जन्म में बना साधक
    • शांति और स्वास्थ्य अब मनुष्य पाएगा रंगों में
    • Quotation
    • सच्चा कर्म वही जिसमें फल की चाह न हो
    • Quotation
    • धारावाहिक लेखमाला-1 - आपका स्वास्थ्य आयुर्वेद के मतानुसार
    • वृक्ष और भगवान शंकर (Kahani)
    • भगवान्नाम की महिमा
    • Quotation
    • ‘करो या मरो’ का समय है अब यह
    • Quotation
    • भगवान ही समर्थ हैं-सबकी सहायता कर पाने में (Kahani)
    • ब्राह्मणत्व की महान जिम्मेदारी
    • Quotation
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - परिष्कृत मनःस्थिति ही स्वर्ग है
    • Quotation
    • अपनों से अपनी बात- - वरिष्ठों-विशिष्टों से इस प्रतिकूल वेला में विशेष अपेक्षाएँ
    • मोक्ष-जीवन्मुक्ति(Kahani)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1999 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


आत्महत्या (Kahani)

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 22 24 Last
महर्षि रमण के आश्रम के समीपवर्ती गाँव में एक अध्यापक रहते थे। एक बार अपने कौटुम्बिक जीवन से अत्याधिक क्षुब्ध होकर आत्महत्या करने की बात सोचने लगे। किसी निर्णय पर पहुँचने से पहले उन्होंने महर्षि की सम्मति जाननी चाही और पहुँच गए उनके आश्रम। महर्षि रमण आश्रमवासियों के भोजन के लिए पत्तलें बना रहे थे। दिव्यद्रष्टा ऋषि ने अध्यापक महोदय के आने का अभिप्राय समझ लिया था। प्रणाम करने के उपराँत अध्यापक बोले-भगवन्! आप इन पत्तलों को इतने परिश्रम के साथ बना रहे हैं और आश्रमवासी इनमें खाना खाकर फेंक देंगे।

महर्षि मुसकराते हुये बोले-सो तो ठीक है, वस्तु का पूर्ण उपयोग हो जाने पर उसे फेंक देना बुरा नहीं, बुरा तो तब है जब उसे अच्छी अवस्था में ही खराब करके फेंक दिया जाए। अध्यापक महोदय को महर्षि का मर्मस्पर्शी अभिप्राय समझ में आ गया और उन्होंने आत्महत्या करने का इरादा छोड़ दिया।

धनपति का जितना धन बढ़ता जाता, वह उतना ही अधिक कंजूस होता। उसकी कंजूसी में परिवार के लोग भी सहयोग करते। धनपति का इकलौता बेटा बीमार पड़ा, तो वैद्य-डॉक्टरों पर उसके रोग का कोई निदान न हो सका। गाँव के समझदार लोगों ने सेठ को सलाह दी कि वह दान-पुण्य करें, तो शायद लड़का ठीक हो जाए। गाँव के पुरोहित ने उसे गुप्तदान करने की बात कही। जिससे प्रदर्शन भी न हो और अहं को भी प्रोत्साहन न मिले। सेठजी की पत्नी ने गाँव की बूढ़ी ब्राह्मणी को अनाज में कुछ सोना छिपाकर दे दिया। ब्राह्मणी सहज भाव से पोटली बाँधकर घर को जाने लगी। इतने में सेठ ने सोचा कि अब दान तो हो ही गया। उसने अपना नौकर भेजकर वह अनाज दूगनी राशि देकर खरीद लेने को कहा।

बेचारी बुढ़िया को क्या पता था कि इसमें अनाज में कुछ स्वर्ण मुद्राएँ भी हो सकती हैं। उसने दूने पैसों के लालच में वह अनाज नौकर के हाथों बेच दिया, नौकर ने सेठ के पास जाकर जमा करा दिया। इस तरह दान की औपचारिकता कंजूस धनपति द्वारा पूरी कर दी गई। कृपणता यदि वृत्ति में बनी रहेगी, तो किसी भले कृत्य के लिए उत्साह बन पड़ना संभव नहीं है।

First 22 24 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • साधना की गहराइयों से आता संदेश
  • अनुभूत ज्ञान ही सच्चा ज्ञान
  • कैसे करे काल के विभिन्न आयामों का बोध
  • काठिया बाबा (Kahani)
  • कल्पवृक्ष के समान एवं पवित्र तरु है- अश्वत्थ
  • मैं निश्चिन्त हूँ (Kahani)
  • ऐसी जली भक्ति की ज्योति
  • Quotation
  • आशाएँ (kahani)
  • मातृसत्तात्मक समाज की होनी है अब वापसी
  • ध्यान क्यों व कैसे किया जाए
  • धर्म की मान्यता (Kahani)
  • इनसान के लिए दैवी वरदान है संगीत
  • VigyapanSuchana
  • Quotation
  • अभी हमें बहुत कुछ जानना शेष है।
  • Quotation
  • धर्म है मानव जाति के अस्तित्व का मूलभूत आधार
  • Quotation
  • खण्ड प्रलय आ पहुँची, अब तो बदलें
  • Quotation
  • सच्चे ज्ञानी की तलाश
  • आत्महत्या (Kahani)
  • मृदु चाँद्रायण का अतिसुगम विधि-विधान
  • मनुष्य के अधःपतन का कारण (Kahani)
  • सिद्धियों चरम आयाम तक पहुँचाने वाली अनाहत साधना
  • बुरे आदमी के पास अहंकार दीन होता है (Kahani)
  • युगपुरुष की लेखनी से- - पं. श्रीराम आचार्य वांग्मय-अमृतकलश
  • VigyapanSuchana
  • योगाभ्यास की महिमा सबने जानी व मानी
  • भिक्षुक अगले जन्म में बना साधक
  • शांति और स्वास्थ्य अब मनुष्य पाएगा रंगों में
  • Quotation
  • सच्चा कर्म वही जिसमें फल की चाह न हो
  • Quotation
  • धारावाहिक लेखमाला-1 - आपका स्वास्थ्य आयुर्वेद के मतानुसार
  • वृक्ष और भगवान शंकर (Kahani)
  • भगवान्नाम की महिमा
  • Quotation
  • ‘करो या मरो’ का समय है अब यह
  • Quotation
  • भगवान ही समर्थ हैं-सबकी सहायता कर पाने में (Kahani)
  • ब्राह्मणत्व की महान जिम्मेदारी
  • Quotation
  • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - परिष्कृत मनःस्थिति ही स्वर्ग है
  • Quotation
  • अपनों से अपनी बात- - वरिष्ठों-विशिष्टों से इस प्रतिकूल वेला में विशेष अपेक्षाएँ
  • मोक्ष-जीवन्मुक्ति(Kahani)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj