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Magazine - Year 1999 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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VigyapanSuchana

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First 28 30 Last
पूज्यवर ने अपने सभी मानसपुत्रों, अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन एवं विरासत में जो कुछ लिखा है-वह अलभ्य ज्ञानामृत (पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय सत्तर खण्डों में) अपने घर में स्थापित करना ही चाहिए। यदि आपको भगवान ने सम्पन्नता दी है, तो ज्ञानदान कर पुण्य अर्जित करें। विशिष्ट अवसरों एवं पूर्वजों की स्मृति में पूज्यवर का वाङ्मय विद्यालयों, पुस्तकालयों में स्थापित कराएँ। आपका यह ज्ञानदान अपने वाली पीढ़ियों तक को सन्मार्ग पर चलाएगा, जो भी इसे पढ़ेगा धन्य होगा।

21-अपरिमित सम्भावनाओं का आगार मानवी व्यक्तित्व

सफलता का आदत है, जीवन का अमृत।

दूसरे की सुनिये, दूसरों को देखकर प्रसन्न होइए।

चेहरे के सौंदर्य का स्रोत मन में छिपा है।

मधुरता-जीवन का नवनीत, जीवन का उद्देश्य।

जीवन संग्राम में विजयी कैसे हों?

मैं क्या हूँ अमर हो तुम, अमरत्व को पहचानो।

जीवन की श्रेष्ठता और उसका सदुपयोग।

त्याग से जीवनमुक्ति, पूर्णता की प्रार्थना।

आस्तिकता का तत्वदर्शन।

संपन्नता के चार आधार, योगशक्तियों का उद्गम

प्रधानता आत्मा को दें, मन को नहीं।

आत्मा की अनंत सामर्थ्य, हम निष्पाप बनें।

22-चेतन, अचेतन एवं सुपर चेतन मन

मनुष्य अपनी अद्भुत और रहस्यमय शारीरिक रचना को समझकर यदि, अपने जीवन की रीति-नीति बनाकर चले तो चह अपने व्यक्तित्व को ऋद्धि-सिद्ध संपन्न बना सकता है। मनुष्यजीवन में चेतन अचेतन और सुपर चेतन मन का क्या महत्व है, इसके लिए हम जानें-

विचारप्रवाहों से विनिर्मित प्रखर व्यक्तित्व।

चिंतन की धारा बदलें विचार-विज्ञान का समझें।

आत्मविश्वास की महती शक्ति−सामर्थ्य।

विचारविभ्रम के दुष्परिणाम, सुलझे विचार-सुख का द्वार।

लाख छिपायें, अन्दर के भाव छिप नहीं सकते।

शरीर मन के नियंत्रण पर चलता है, मन का गुप्त रेडियो

प्रसन्नता संपन्नता पर नीर नहीं।

तन कर खड़े रहो, जीत तुम्हारी है।

प्रिय-अप्रिय का मनोविज्ञान, आत्महीनता की महाव्याधि।

आधुनिक मनोविज्ञान का उपनयन संस्कार।

अचेतन का परिवर्धन-परिष्कार।

23-विज्ञान और अध्यात्म परस्पर पूरक

प्रकृति-जगत के अनेक ऐसे तत्व हैं, जिनका विज्ञान अभी तक समुचित ज्ञान प्राप्त नहीं कर सका है। विज्ञान का क्षेत्र जहाँ समाप्त होता है, वहीं अध्यात्म प्रारंभ होता है। एक तरह से विज्ञान और अध्यात्म दोनों परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं।

सौर मण्डल-बुध,शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति,शनि, यूरेनस, नेपच्यून, प्लूटो।

सूर्य को नाचते सत्तर हजार ने देखा।

विश्वब्रह्मांड की संक्षिप्त जन्म-कुण्डली।

आसार बताते हैं कि हिमयुग आने वाला है।

मंगल ग्रह की दुर्दशा से सबक लें।

धरती की चुंबकीयशक्ति से खिलवाड़ न करें।

डाकिया पत्र लाया, क्रेव निहारिका से।

धरती और सूरज मरने की तैयारी कर रहे हैं।

मूल्य प्रति खण्ड 125/-व सत्तर खण्डों का सेट रु. 7000/-मात्र

24- भविष्य का वैज्ञानिक धर्म धर्म

भविष्य का वही धर्म प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा, जो यथार्थवादी चिन्तन, और चिंतन का अवलम्बन और मर्यादाओं का परिपालन करने पर खरा सिद्ध होगा। इस भावी की विचारणीय बातें हैं-

समस्त दुःखों का कारण अज्ञान, सुख का स्रोत-आत्मा।

ईश्वर ज्वाला है और आत्मा चिनगारी।

समर्थ सत्ता को खोजें, हम विश्वात्मा के घटक।

सूक्ष्म जगत, प्रकृति और पुरुष के रूप में।

अणु में ही उलझे न रहें, विभु बनें।

तब, जब ज्वालामुखी फूटते हैं, विराट की एक झाँकी।

नित्य निरंतर परिवर्तनशील यह सृष्टि।

बिन्दु में सिंधु समाया, पशु-पक्षियों पर मुकदमे।

हमें आस्तिक बनाते हैं, प्रकृति के ये अपवाद।

दुनिया की आश्चर्यजनक इमारतें-आश्चर्यजनक दृष्टिकोण।

धरती पर चेतना अंतरिक्ष से उतरी, अंतर्जगत के संदेश।

वरुण देवता की अनुपम, अद्भुत सत्ता

क्रमशः.......

First 28 30 Last


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Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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