मनुज देवता बने, बने यह धरती स्वर्ग समान—यही संकल्प हमारा।
‘अप्प दीपो भव :’ की प्रेरणा के साथ – डेडगांव, जिला धार (म.प्र.) में सम्पन्न हुआ दीप महायज्ञ एवं ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ का लोकार्पण
51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के अंतर्गत मध्यप्रदेश के धार जिले के डेडगांव में सायंकालीन वेला में दीप महायज्ञ एवं ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ का भव्य लोकार्पण समारोह सम्पन्न हुआ। इस पुनीत अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने गायत्री परिजनों को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य का जीवन बहुत ही सौभाग्य से हम सभी को प्राप्त हुआ है। हमें मानव जीवन के मूल्य को समझकर जीवन में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़कर समाज की सेवा करनी है।
डॉ. पंड्या जी ने कहा—
“जिसका मन निर्मल हो, उसके मुख से निकला हर शब्द मंत्र बन जाता है। ‘अप्प दीपो भव:’ – इस दिव्य मंत्र का मर्म यह है कि मनुष्य को अपने जीवन का दीपक स्वयं बनना चाहिए। दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मबल और आत्मज्ञान पर विश्वास करें।”
“हमें अपने हृदय के दीपक को प्रज्वलित करना होगा। जो गुण परमात्मा में हैं, वही प्रत्येक मानव में भी अंतर्निहित हैं। आवश्यकता है केवल उन्हें पहचानने, जगाने और जीवन में उतारने की।”
इस अवसर पर ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ का लोकार्पण भी श्रद्धा एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ, समूचा परिसर मानो दिव्यता और आत्मिक चेतना से झिलमिला उठा।
