• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ईश्वर का अस्तित्व असिद्ध नहीं हैं।
    • सुख−दुख केवल तुलना शैली पर निर्भर है।
    • जीवात्मा की सत्ता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
    • जब तक तुम्हारी जड़े मजबूत हैं (kahani)
    • मानवी चेतना में सन्निहित दिव्य शक्तियाँ
    • Quotation
    • अंगदान की परम्परा भी चलेगी
    • ईश्वर को साथी बनाकर सफल जीवन जिये
    • Quotation
    • क्या नर और नारी एक दूसरे के बिना अपूर्ण हैं।
    • Quotation
    • धर्म का अन्तःकरण और आवरण
    • साधन सिद्धि समय साध्य है।
    • Quotation
    • भारतीय संस्कृति अनन्त काल तक अक्षुण्ण बनी रहेगी
    • हम सुसंस्कृत बने संस्कारवान् बनें
    • भगवन बुद्ध का अंतिम सन्देश (sandesh)
    • मनुष्यों के बीच पाई जाने वाली भिन्नता और उसका विश्लेषण
    • Quotation
    • मानवी अस्तित्व को चुनौती देने वाली समस्या की ओर से हम आँखें न मूँदे
    • फर्क केवल समझ का है (kahani)
    • सुखी दाम्पत्य जीवन इस तरह बनता है।
    • अन्तरिक्षीय सहयोग की प्रयास प्रक्रिया
    • हम सब सनकी बनते जा रहे हैं।
    • दूसरों के गुण और अपने दोष देखें
    • स्वच्छ जलवायु के बिना स्वास्थ्य रक्षा सम्भव नहीं
    • दूसरों को मरते देखकर डर के मारे−स्वयं ही मर गये हैं (kahani)
    • सम्पत्ति की खोज में जल−थल और नभ का मानवी मंथन
    • दूध पीना ही हो तो केवल गाय का पियें
    • अपव्यय की आदत जीवन को नरक बनाती है।
    • अंक और उनका मनुष्य जीवन से सम्बन्ध
    • लानत (kahani)
    • भ्रष्टता का प्रतिरोध किया ही जाना चाहिए
    • क्रियाशील श्रद्धा (kahani)
    • मनुष्य न तो सर्वोपरि है और न सर्वशक्तिमान
    • जल की बूँद (kahani)
    • सर्प उतना भयंकर नहीं जितना उसे समझा जाता हैं
    • अपनों से अपनी बात - पहला जागरण अभियान का कार्यारंभ इस प्रकार किया जाय
    • पूजित वर्चस्व
    • पूजित वर्चस्व (kavita
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ईश्वर का अस्तित्व असिद्ध नहीं हैं।
    • सुख−दुख केवल तुलना शैली पर निर्भर है।
    • जीवात्मा की सत्ता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
    • जब तक तुम्हारी जड़े मजबूत हैं (kahani)
    • मानवी चेतना में सन्निहित दिव्य शक्तियाँ
    • Quotation
    • अंगदान की परम्परा भी चलेगी
    • ईश्वर को साथी बनाकर सफल जीवन जिये
    • Quotation
    • क्या नर और नारी एक दूसरे के बिना अपूर्ण हैं।
    • Quotation
    • धर्म का अन्तःकरण और आवरण
    • साधन सिद्धि समय साध्य है।
    • Quotation
    • भारतीय संस्कृति अनन्त काल तक अक्षुण्ण बनी रहेगी
    • हम सुसंस्कृत बने संस्कारवान् बनें
    • भगवन बुद्ध का अंतिम सन्देश (sandesh)
    • मनुष्यों के बीच पाई जाने वाली भिन्नता और उसका विश्लेषण
    • Quotation
    • मानवी अस्तित्व को चुनौती देने वाली समस्या की ओर से हम आँखें न मूँदे
    • फर्क केवल समझ का है (kahani)
    • सुखी दाम्पत्य जीवन इस तरह बनता है।
    • अन्तरिक्षीय सहयोग की प्रयास प्रक्रिया
    • हम सब सनकी बनते जा रहे हैं।
    • दूसरों के गुण और अपने दोष देखें
    • स्वच्छ जलवायु के बिना स्वास्थ्य रक्षा सम्भव नहीं
    • दूसरों को मरते देखकर डर के मारे−स्वयं ही मर गये हैं (kahani)
    • सम्पत्ति की खोज में जल−थल और नभ का मानवी मंथन
    • दूध पीना ही हो तो केवल गाय का पियें
    • अपव्यय की आदत जीवन को नरक बनाती है।
    • अंक और उनका मनुष्य जीवन से सम्बन्ध
    • लानत (kahani)
    • भ्रष्टता का प्रतिरोध किया ही जाना चाहिए
    • क्रियाशील श्रद्धा (kahani)
    • मनुष्य न तो सर्वोपरि है और न सर्वशक्तिमान
    • जल की बूँद (kahani)
    • सर्प उतना भयंकर नहीं जितना उसे समझा जाता हैं
    • अपनों से अपनी बात - पहला जागरण अभियान का कार्यारंभ इस प्रकार किया जाय
    • पूजित वर्चस्व
    • पूजित वर्चस्व (kavita
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1975 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


ईश्वर का अस्तित्व असिद्ध नहीं हैं।

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


1 Last
ईश्वर दिखाई नहीं देता इसलिए उसे न माना जाय, यह कोई युक्ति नहीं हैं। अनेकों वस्तुएँ ऐसी है जो आँख से नहीं दीखती, फिर भी उन्हें अन्य आधारों से अनुभव करते और मानते हैं। कोई वस्तु नेत्रों के बहुत समीप हो तो भी वह नहीं दीखती। अपने पलक या आँखों में लगा काजल अपने को कहाँ दीखता है।

ईश्वर के अस्तित्व से केवल इस कारण इनकार करना कि वह आज के विकसित विज्ञान या बुद्धिवाद की, कसौटी पर खरा नहीं उतरता कोई कारण नहीं। प्रत्यक्ष के आधार पर तो यह भी प्रमाणित नहीं किया जा सकता कि हमारा पिता वस्तुतः कौन है। माता की साक्षी ही इसका प्रमाण मान लिया जाता है।

मानव−जीवन की अनेकों महत्वपूर्ण अवस्थाएं उस विज्ञान के आधार पर निर्भर हैं जिसे अध्यात्म विज्ञान कहते हैं। पदार्थ विज्ञान से नहीं अध्यात्म विज्ञान से ईश्वर का अस्तित्व सिद्ध होता है। ईश्वर का अवलम्बन करके ही मानव जाति की अब तक की प्रगति सम्भव हुई हैं। प्रेम, करुणा, उदारता, दान, संयम, सदाचार, पुण्यपरमार्थ जैसे सद्गुणों का विकास आस्तिकता के आधार पर ही सम्भव हो सका है और इन्हीं गुणों के द्वारा सामाजिकता की प्रवृत्ति बढ़ी हैं। यदि इस महान आदर्श का परित्याग कर दिया जाय तो व्यक्ति का आन्तरिक स्तर इस प्रकार का ही बनेगा जिससे द्वेष, घृणा, संघर्ष और आतंक का मार्ग अपनाने के लिए मन चलने लगे।

1 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • ईश्वर का अस्तित्व असिद्ध नहीं हैं।
  • सुख−दुख केवल तुलना शैली पर निर्भर है।
  • जीवात्मा की सत्ता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
  • जब तक तुम्हारी जड़े मजबूत हैं (kahani)
  • मानवी चेतना में सन्निहित दिव्य शक्तियाँ
  • Quotation
  • अंगदान की परम्परा भी चलेगी
  • ईश्वर को साथी बनाकर सफल जीवन जिये
  • Quotation
  • क्या नर और नारी एक दूसरे के बिना अपूर्ण हैं।
  • Quotation
  • धर्म का अन्तःकरण और आवरण
  • साधन सिद्धि समय साध्य है।
  • Quotation
  • भारतीय संस्कृति अनन्त काल तक अक्षुण्ण बनी रहेगी
  • हम सुसंस्कृत बने संस्कारवान् बनें
  • भगवन बुद्ध का अंतिम सन्देश (sandesh)
  • मनुष्यों के बीच पाई जाने वाली भिन्नता और उसका विश्लेषण
  • Quotation
  • मानवी अस्तित्व को चुनौती देने वाली समस्या की ओर से हम आँखें न मूँदे
  • फर्क केवल समझ का है (kahani)
  • सुखी दाम्पत्य जीवन इस तरह बनता है।
  • अन्तरिक्षीय सहयोग की प्रयास प्रक्रिया
  • हम सब सनकी बनते जा रहे हैं।
  • दूसरों के गुण और अपने दोष देखें
  • स्वच्छ जलवायु के बिना स्वास्थ्य रक्षा सम्भव नहीं
  • दूसरों को मरते देखकर डर के मारे−स्वयं ही मर गये हैं (kahani)
  • सम्पत्ति की खोज में जल−थल और नभ का मानवी मंथन
  • दूध पीना ही हो तो केवल गाय का पियें
  • अपव्यय की आदत जीवन को नरक बनाती है।
  • अंक और उनका मनुष्य जीवन से सम्बन्ध
  • लानत (kahani)
  • भ्रष्टता का प्रतिरोध किया ही जाना चाहिए
  • क्रियाशील श्रद्धा (kahani)
  • मनुष्य न तो सर्वोपरि है और न सर्वशक्तिमान
  • जल की बूँद (kahani)
  • सर्प उतना भयंकर नहीं जितना उसे समझा जाता हैं
  • अपनों से अपनी बात - पहला जागरण अभियान का कार्यारंभ इस प्रकार किया जाय
  • पूजित वर्चस्व
  • पूजित वर्चस्व (kavita
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj