
साधन सिद्धि समय साध्य है।
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आध्यात्मिक साधनाएँ भी वटवृक्ष की तरह अपने क्रम से बढ़ती और परिपक्व होती हैं। बड़े कार्यों में बड़ा समय लगना, बड़ा पुरुषार्थ करना और बड़ा धैर्य रखना भी आवश्यक होता है। उतावले लोग हथेली पर सरसों जमाने के लिए आतुर रहते हैं और तुर्त−फुर्त अपनी मन चाही उपलब्धि प्राप्त करने में अधीर बने रहते हैं। इस बाल अधीरता से काम कुछ नहीं बनता। जिस कार्य के लिए जितना समय लगना चाहिए वह तो लगेगा ही।
नवजात बालक को प्रौढ़ बनने में पच्चीस वर्ष लगते हैं। बाल कक्षा में प्रवेश लेने के उपरान्त एम. ए. पास करने में 14 वर्ष लगते हैं। बोई हुई खजूर 20 वर्ष में फल देती है। माँ के पेट में 9 महीने बच्चा रहता है। इन कार्यों में आतुरता प्रदर्शित की जाय और अभीष्ट परिणाम तत्काल मिलने की अधीरता दिखाई जाय इससे क्या वरन् हड़बड़ी से उत्पन्न हुई निराशा समय पर अभीष्ट प्रतिफल मिल सकने के लिए जो प्रयास किये जाने थे उनका रास्ता भी बन्द कर देगी। आतुरता में वह सम्भावना भी नष्ट हो जाती है। जो अब नहीं तो तब लक्ष्य तक पहुँचा सकती थी।
आध्यात्मिक साधनाएं वस्तुतः चेतनात्मक क्षेत्र के शैशव को प्रौढ़ावस्था तक पहुँचाने की एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसे फलित होने में समय लगता है। उसकी धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा किये बिना गुजारा नहीं।
अभीष्ट लक्ष्य तक पहुँचने में इतना भी समय लग सकता है जो वर्तमान जीवन में शेष रहे थोड़े से समय की अपेक्षा अधिक हो। ऐसी दशा में यह नहीं सोचा जाना चाहिए। कि हमें असफल रहना पड़ेगा। आत्मा की मृत्यु कभी नहीं होती केवल चोला बदलता रहता है। इस कमीज को पहन कर भोजन न किया उस कुर्ते को पहनकर कर लिया इससे क्या बनता बिगड़ता है।
ऐसी कितनी ही घटनाएँ देखने में आती हैं जिनमें लोगों में अनायास ही अद्भुत शक्तियाँ विकसित होती देखी गई है, जबकि उन्होंने कुछ भी साधना नहीं की है। यह उनके पूर्व जन्मों के प्रयासों का प्रतिफल है। ऐसे कितने ही अतीन्द्रिय क्षमता सम्पन्न विवरण उपलब्ध हैं जिनमें इस जन्म की कोई विशेष साधनाएँ न होते हुए भी उनके अन्दर आश्चर्यजनक विशेषताएँ पाई गई।
हालैंड की यूट्रेक्ट युनिवर्सिटी के पैरासाइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो0 विलियम तेनहाफ ने कितने ही अतीन्द्रिय शक्ति का दावा करने वाले लोगों की जाँच करने की दृष्टि से उनके साथ भेंट की है। उनके शोध संग्रह में कितने ही प्रमाणों में सबसे अधिक प्रत्यक्ष उदाहरण यूट्रेक्ट नगर के एक सरल सौम्य नागरिक जेराई क्रोयसेत का है। यह 56 वर्षीय व्यक्ति अपने बेटे, पोतों के साथ साधारण आजीविका उपार्जन के घरेलू धन्धों में लगा रहता है। दिव्य दर्शन उसका न तो व्यवसाय है और न वह इस क्षेत्र में अपनी कोई शोहरत चाहता है फिर भी उसमें जो जन्मजात उपलब्धि है वह लोगों को अचम्भे में डाल देती हैं और कौतूहलों की दृष्टि से कितने ही लोग उसके छोटे से घर पर जा पहुँचते हैं और तरह−तरह की पूछ−ताछ करते हैं।
क्रोयसेत की असाधारण क्षमता की ओर इस संदर्भ में दिलचस्पी रखने वाले कितने ही शोध कर्त्ता उसके पास पहुँचे है। उसने सहज स्वभाव से सबका स्वागत किया है और उस जाँच−पड़ताल में पूरा−पूरा सहयोग दिया है। न केवल हालैंड के वरन् आस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड आदि के अतीन्द्रिय विज्ञान के सम्बन्ध में जाँच−पड़ताल करने वाले लोग उसके पास पहुँचे हैं। विलियम तेनहाफ ने तो उसके सम्बन्ध में क्रमबद्ध खोज की है और उसे सर्वसाधारण की जानकारी के लिए प्रकाशित भी किया है। उस खोज में कुछ घटनाओं को विशेष महत्व दिया गया है।
6 जनवरी सन् 1957 की बात हैं यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी में 24 दिन बाद एक लेक्चर होता था। उसके लिए आगन्तुकों की सीटें तो जमा दी गई थीं पर यह मालूम न था कि कौन दर्शक आवेगा और किस स्थान पर बैठेगा। प्रो0 तेनहाफ ने क्रोयसेत को वह लेक्चर हाल दिखाया और अन्य प्रोफेसरों की उपस्थिति में यह पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि नौ नम्बर की सीट पर 31 जनवरी की मीटिंग में कौन दर्शक बैठेगा? यह उसके भविष्य ज्ञान सम्बन्धी जानकारी की जाँच के सम्बन्ध में पूछा गया था।
क्रोयसेत कुछ देर ध्यान मग्न रहे और फिर बताना शुरू किया कि दिहेग नगर की रहने वाली एक अधेड़ महिला वहाँ बैठेगी। उसके हाथ की एक उँगली अभी−अभी डिब्बी खोलते समय कट गई है वह उस पर पट्टी बाँध रही है। यह महिला एक पशु पालक परिवार में जन्मी है जब वह छोटी थी तब उसके घर में आग लगी थी और एक कोठे में बँधे कुछ जानवर जल गये थे आदि।
वह सारा विवरण नोट कर लिया गया। वह बात गुप्त रखी गई। नियत तारीख को सचमुच ही उसी विवरण के अनुरूप एक दर्शक महिला वहाँ आ बैठी और उससे पीछे पूछ−ताछ की गई तो उसके सम्बन्ध में बताई गई बातें सभी सच निकलीं।
क्रोयसेत ने अपराधियों का और चोरियों का पता लगाने में पुलिस की अच्छी मदद की है। एक बार एक बहुमूल्य हीरों का हार चोरी होने की सूचना पुलिस में दर्ज हुई, क्रोयसेत से पूछा तो बताया वह हार चोरी नहीं गया। नाली में गिर पड़ा हैं और बहते−बहते अमुक स्थान पर जा पहुँचा है। लोग दौड़े और बताये हुए ठीक स्थान पर हार प्राप्त कर लिया गया।
नार्वे की मोयराना बस्ती में जा बसे एक डच नागरिक ने टेलीफोन से पूछा उसकी 15 वर्षीय लड़की जोर्ग हाडजेन अचानक लापता हो गई है क्या आप उसका कुछ पता बात सकते हैं। क्रोयसेत ने टेलीफोन पर ही उत्तर दिया कि वह एक झरने में डूबी पड़ी हैं। लाश को अमुक स्थान पर जाकर निकला लिया जाय वह आधी डूबी पड़ी है और आधा भाग ऊपर चमक रहा है। ढूँढ़ने पर ठीक उसी स्थान पर लाश प्राप्त कर ली गई।
लन्दन के कुख्यात अपराधी जिंजर मार्क को क्रोयसे की सहायता से पुलिस ने पकड़ा था। ऐसी−ऐसी अनेकों घटनाएँ है जिनमें उसकी अतीन्द्रिय शक्ति की यथार्थता का समर्थन किया गया है। उस व्यक्ति को यह क्षमता जन्म जात रूप से प्राप्त है इसके लिए उसने कोई विशेष साधना आदि नहीं की है। वह भोला व्यक्ति अतीन्द्रिय शक्ति के सिद्धान्तों के बारे में भी अधिक कुछ बता नहीं सकता। केवल जो कुछ वह है उसे प्रकट करने में बिना संकोच अपने को प्रस्तुत करता रहता है।
जिनने योग साधना एवं तपश्चर्या के कठोर प्रयत्नों से इन्हें पाया जगाया है उनकी बात समझ में आती हैं पर जिनने ऐसा कुछ नहीं किया फिर भी अद्भुत शक्तियाँ सम्पन्न पाया जाता है तो असमंजस उत्पन्न होता है कि जो बात सर्वसाधारण में नहीं है वहीं एक अन्य सामान्य व्यक्ति में कैसे उत्पन्न हो गई।
जिनने योग साधना एवं तपश्चर्या के कठोर प्रयत्नों से इन्हें पाया जगाया है उनकी बात समझ में आती हैं पर जिनने ऐसा कुछ नहीं किया फिर भी अद्भुत शक्तियाँ सम्पन्न पाया जाता है तो असमंजस उत्पन्न होता है कि जो बात सर्वसाधारण में नहीं है वहीं एक अन्य सामान्य व्यक्ति में कैसे उत्पन्न हो गई।