
अंक और उनका मनुष्य जीवन से सम्बन्ध
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अंक सामान्यतया गणित संबंधी कार्यों में प्रयुक्त होते हैं। उनका प्रयोजन उतने ही क्षेत्र में सीमित माना जाता है। किन्तु कभी−कभी ऐसे विलक्षण संयोग सामने आते हैं; जिनसे प्रतीत होता है कि उनका क्रम मनुष्य जीवन को भी प्रभावित करता है। कोई अंक किसी के लिए शुभ और किसी के लिए अशुभ साबित होता है यद्यपि इसका कुछ कारण समझ में नहीं आता। इसी प्रकार घटनाक्रमों की एक जैसी पुनरावृत्ति में कई बार अंकों की अद्भुत पुनरावृत्ति पाई जाती हैं। पंचांग कर्त्ता बताते हैं कि अमुक क्रम से ग्रह−नक्षत्र अपने चक्र में घूम कर यथा स्थान आते रहते हैं और जो पंचाँग उपस्थित होता है।
फिर भी यह तो एक आश्चर्यजनक बात ही है कि कई अंक किसी व्यक्ति विशेष को अच्छे या बुरे आधार लेकर सामने आयें। अंकों के हिसाब से घटनाक्रमों की पुनरावृत्ति भी कई बार ऐसी ही विलक्षण होती है जिन्हें मात्र संयोग न कह कर कुछ रहस्यमय कारण होने की बात सोचनी पड़ती हैं।
कुछ विशेष तिथियाँ न जाने कैसा अज्ञात प्रभाव लेकर आती हैँ; जिनका व्यक्ति विशेष पर कुछ विलक्षण प्रभाव पड़ता है। वे तिथियाँ जब भी आती हैं तब कुछ विचित्र संयोग बिठा देती हैं। नैपोलियन और ड्यूक आफ विलिंगडन के जीवन क्रम में तारीखों की दृष्टि से अद्भुत समता है, दोनों 15 अगस्त 1760 को जन्मे। दोनों के पिताओं की मृत्यु उनके सोलहवें वर्ष में हुई। ड्यूक को जिस दिन जनरल का पद मिला उसी दिन नेपोलियन की नियुक्ति लेफ्टिनेंट पद पर हुई। आश्चर्य है कि वे दोनों मरे भी एक ही दिन।
हिटलर और नैपोलियन के जीवन में भी तिथियों संबन्धी ऐसी ही समता है। वर्षों की दृष्टि से 129 वर्ष का अन्तर जरूर है, पर उनके क्रिया−कलापों में कितनी ही घटनाएँ पुनरावृत्ति जैसी हैं। नैपोलियन 20 अप्रैल 1760 में जन्मा और हिटलर 29 अप्रैल 1879 को। फ्राँस में राज्य−क्रान्ति 1789 में हुई और जर्मनी में 1918 को, नैपोलियन ने 1804 में सत्ता हथियायी और हिटलर ने 1933 में। नैपोलियन ने रूप पर हमला 1812 में किया था और हिटलर ने 1941 में। वियना संधि 1815 में हुई और जर्मन संधि 1944 में। यह ऐसे संयोग हैं जिनके आधार पर हिटलर को नैपोलियन का दूसरा संस्करण कहा जा सकता है।
अमेरिका के दो राष्ट्रपतियों में भी ऐसी विलक्षण समता है। अब्राहमलिंकन 1860 में राष्ट्रपति चुने गये और केनेडी 1960 में। दोनों की हत्याएं शुक्रवार के दिन हुई और उन दुर्घटनाओं के समय दोनों की ही पत्नियाँ साथ थीं। लिंकन का हत्यारा जान बिल्किस बूथ 1839 में पैदा हुआ था। इन दोनों हत्यारों की अदालत द्वारा कोई सजा सुनने से पूर्व की हत्या हो गई। ये दोनों ही दक्षिण अमेरिका में जन्मे थे। लिंकन के निजी सचिव ने उन्हें उस दिन नाट्य ग्रह न जाने की सलाह दी थी, जिसे उन्होंने नहीं माना। ठीक ऐसा ही केनेडी के साथ हुआ। उनके निजी सचिव उलास ने उन्हें उस यात्रा पर न जाने के लिए कहा था। जिन्हें उन्होंने भी नहीं माना और उसी तरह गोली के शिकार हुए जिस तरह की लिंकन मरे थे।
तिथियों का कुछ विचित्र संयोग देखिये−चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान घनिष्ठ मित्र थे वे दोनों एक ही दिन जन्मे और एक ही दिन मरे भी।
महाकवि शेक्सपियर के लिये 23 अप्रैल जन्म देने भी आई और वही 23 अप्रैल उन्हें उठा भी ले गई।
विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता के जीवन में अक्टूबर मास महत्वपूर्ण घटनायें प्रस्तुत करता रहा। वे 24 अक्टूबर 1867 में जन्मी 22 अक्टूबर 1865 को उनसे विवेकानन्द को अपना समर्पण दिया। 20 अक्टूबर को उन्होंने महर्षि अरविंद से महत्वपूर्ण भेंट की और 13 अक्टूबर 1611 में वह संसार छोड़कर चली गई।
वीर सावरकर के जीवन में फरवरी मास अशुभ रहा। हेग के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने उन्हें 25 फरवरी 1611 को सजा दी और ठीक 55 वर्ष बाद 26 फरवरी 1966 को उनकी मृत्यु हो गई।
लोकमान्य तिलक के जीवन की महत्वपूर्ण घटनायें मंगलवार को घटित होती रही हैं। उनका केशरी पत्र मंगलवार को प्रकाशित हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में वे मंगल को पकड़े गये और जमानत पर भी मंगल के दिन ही छूटे। मंगलवार से मुकदमा चला और जेल से छूटने का दिन भी वही बार था।
शुक्रवार को लोग शोक दिवस मानते हैं। ईसा, सुकरात, गाँधी, लिंकन, केनेडी आदि कितने ही महापुरुषों को शुक्रवार ने उदरस्थ किया है।
किन्हीं के जीवन में कुछ अंकों की विशेष महत्ता रही है। प्रिंस विस्मार्क को 3 का अंक कुछ विलक्षण संयोग लाता रहा। उनने अपने तीन नाम रखे लाएन वर्ग-शोवासेनी और विस्मार्क। उन्हें तीन उपाधियाँ मिलीं प्रिंस, ड्यूक तथा काउण्ट। वे तीन कालेजों में पढ़े। उनके तीन बेटे हुए। वे तीन देशों में राजदूत रहे।वह तीन युद्धों में लड़ने गये। इनमें तीन घोड़े गँवाये। तीन बार इन पर घातक आक्रमण हुए। तीन बार उन्होंने त्याग पत्र दिये।
लालबहादुर शास्त्री के लिए 10 के अंक से कुछ अनोखे संबन्ध थे। वे अंग्रेजी वर्ष के दसवें महीने अक्टूबर में जन्मे। उनने मन्त्रित्व आदि 10 महत्वपूर्ण पद सँभाले। उनके दिल्ली निवास स्थान का नम्बर 10 था। उनकी मृत्यु 10 तारीख को हुई। रोमन लिपि में लालबहादुर शब्द लिखने में 10 अक्षर ही प्रयुक्त होते हैं।
साइप्रस के शासनाध्यक्ष मकरिआस के लिए 13 का अंक कुछ ऐसे ही संयोग लाता रहा। वे 23 अगस्त 1913 को जन्मे। 13 वर्ष की आयु में चर्च में भर्ती हुए। 13 नवम्बर 1946 में उनने प्रोस्ट दीक्षा ली। 23 जून 1948 में वे विशप बने तथा राजगद्दी पर बैठे। 13 मार्च 1952 में यूनान के राजा ने उनका अभिनन्दन किया। 13 दिसम्बर 1959 को वे राष्ट्र पति चुने गये।
प्रधान मंत्री इन्दिरा गाँधी के लिए 13 का अंक महत्वपूर्ण रहा है। उन्हें 13 महीने की जेल भुगतनी पड़ी। उनका असली नाम प्रियदर्शिनी है जिसे रोमन लिपि में लिखने पर 13 अक्षर प्रयुक्त होते हैं। उन्हें 49 वर्ष की आयु में प्रधान मंत्री पद मिला। इन 4 और 9 का जोड़ 13 होता है। उनके चुनाव में कुल संसदीय मतदान 526 का था। जिसमें से उन्हें 355 मत मिले। जो 38 प्रतिशत हुआ इन दोनों संख्याओं के प्रयुक्त होने वाले अंकों का जोड़ 13-13 ही होता है।
संसार कितना विचित्र और विलक्षण है इसके रहस्यमय परत क्रमशः ही खुले और खुलते जा रहे हैं। मानवी बुद्धि प्रकृति के रहस्यों को धीरे धीरे ही जानने समझने लायक बनी है और बनती चली जा रही हैं। अंकों का क्या कुछ सम्बन्ध मनुष्य जीवन के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों से भी हैं यह तथ्य की यथार्थता कभी न कभी स्पष्ट होकर ही रहेगी।