
समर्पण से शक्ति और सुरक्षा
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(गायत्री तपोभूमि, मथुरा में 22 सितम्बर 1968 को प्रातः दिया गया प्रवचन)
देवियो और भाइयो,
आपने कठपुतली का तमाशा देखा होगा। कठपुतली तरह-तरह के नृत्य करती है। लड़के तमाशा देखकर खुश होते हैं। बाजीगर के पास कठपुतली का धागा रहता है, वह धागे को खींचकर कठपुतली को नचाता है, परन्तु बाजीगर सामने दिखाई नहीं देता। सब लोग समझते हैं कि कठपुतली स्वयं नाच रही है, स्वयं अभिनय कर रही है। कमाल बाजीगर का रहता है। अध्यात्मवादी भी बड़े-बड़े काम करता है, परन्तु उसके पीछे भी एक शक्ति काम करती है, वह दिखाई नहीं देती है। जब हवा तेज चलती है, तो धूल और पत्ते आसमान छूने लगते हैं। वह महान शक्ति जब सक्रिय होती है, तो साधारण से साधारण लोग बड़े-बड़े काम कर दिखाते हैं।
आज के लोग अपने मुहल्ले वालों को, जमाने वालों को देखकर उसी प्रकार के काम करने लगते हैं, यह कमजोर दिमाग वालों का काम है। अच्छा क्या है? बुरा क्या है? इसे बिना विचारे हवा जिधर चली, पानी जिधर बहा, उधर ही बहने लगे। बीड़ी पीने वालों को, पान खाने वालों को, तंबाकू खाने वालों को देखकर दूसरे लोग भी यही आदतें सहज ही सीखते चले जाते हैं। यही सबके मन का ढर्रा बन गया है। ज्यादातर लोगों में बुरे कामों को अपनाने की आदत होती है। यदि ऐसी ही लगन अच्छे कामों के प्रति होती तो साधारण नहीं असाधारण मनुष्य कहलाते। उनका कार्य देखकर उन्हें सम्मान मिलता, लोग अनुसरण करते और अपना जीवन धन्य बनाते। शादी में जिस प्रकार धनी लोग धन खर्च करते हैं, दूसरे लोग भी उसी प्रकार खर्च करने लगते हैं, जिससे बड़प्पन झलकता हो। यह मामूली आदमी के चिन्ह हैं।
बड़े आदमी का काम पंखे के समान होता है। हवा से पंखा नहीं चलता, पंखा हवा को चला देता है। जब पंखे का सम्बन्ध बिजली से, शक्ति से होता है, तभी हवा को भी अपने अनुरूप चला देता है, परन्तु जब बिजली से सम्बन्ध नहीं रहता है, तब वह पंखा हवा जैसी चलती है वैसे ही चलने लगता है। कमजोर व्यक्ति समाज का जैसा प्रवाह होता है, वैसे ही चलने लगता है, परन्तु प्राणवान व्यक्ति अपना सम्बन्ध समर्थ सत्ता से जोड़कर, समाज के उल्टे प्रवाह को मोड़कर, सीधा कर देता है। मैंने भी अपना सम्बन्ध बाजीगर से जोड़ लिया है। मैं बाजीगर के इशारे पर चलता हूं। मैंने बाजीगर को समर्पण कर दिया है। आप भी अपने धागे को उस बड़ी सत्ता से बांध लें तो बड़े-बड़े काम कर सकते हैं। ईश्वर के इशारे पर सारा संसार चलता है। उसी के इशारे पर सूर्य, चन्द्रमा चलते हैं। बाजीगर ने हमसे कहा—अपनी इच्छा हमारी इच्छा से मिलानी होगी। मेरे इशारे पर चलना होगा। हमने स्वीकार किया और नाता जोड़ लिया उस भगवान से जो सबको नचाता रहता है।
लोग अपनी कामनायें, इच्छायें लिए फिरते हैं। मैंने भगवान से कहा—मैं तेरी उंगली के इशारे पर नाचना चाहता हूं। बाजीगर से अपना सम्बन्ध जोड़ने वाले क्या-क्या तमाशे दिखाते हैं, यह मैं आपको बतलाता हूं। मैं छः घण्टे जप करता था और दिन भर समाज सेवा करता। मछली पानी की तेज धार में भी ऊपर की ओर ही चलती है, जबकि हाथी बह जाता है। मैं दुनिया के लोगों से अलग चलता हूं। अलग विचार करता हूं। मैं अकेला दुनिया के बारे में सोचता हूं। क्या यह चमत्कार नहीं है? मैं देख रहा हूं कि नया जमाना तेजी से दौड़ता चला आ रहा है। सारी दुनिया एक होगी, एक आचार-विचार और एक संस्कृति होगी—भारतीय संस्कृति सारी दुनिया में छा जाने वाली है। भारतीय संस्कृति का नाम इसलिए है क्योंकि वह भारत में जन्मी है। जिस प्रकार अल्जीरिया की तम्बाकू विश्व भर में पैदा होती है, पर उसका नाम अल्जीरिया की तम्बाकू ही है।
भारतीय संस्कृति भी ऋषियों की धरोहर है। वह समय तेजी से आ रहा है, जब आप सारे विश्व में इसको देखेंगे। मुझे वेद, पुराण, दर्शन, स्मृतियों का अनुवाद करना था, यह काम मेरे लिए कठिन था, परन्तु मेरे गुरु ने मेरे लिए विद्या के स्रोत खोल दिये और पहाड़ जैसा कठिन काम पूरा हो गया। यह काम बाजीगर ने किया। मैंने बाजीगर को समर्पण किया है, इसमें कुछ घाटा नहीं है। मनुष्य के दिमाग में आज हैवानों जैसी आदतें सवार हैं। मैं उन्हें बदलना चाहता हूं। भगवान ने हमको बड़े काम के लिए भेजा है। हमें उत्कृष्ट जीवन जीना चाहिए और संसार में जो गन्दगी है, उसे साफ करना चाहिए। जब मरेंगे तो लोग कहेंगे—‘‘कैसा भला आदमी था।’’ वासना-तृष्णा, लोभ-मोह के लिए नहीं जिया और समाज की सेवा करता रहा। महर्षि अरविन्द घोष, महर्षि रमण, स्वामी विवेकानन्द इन्होंने समाज के लिए काम किया उनको संसार याद करता है। महात्मा गांधी, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, समर्थ गुरु रामदास इनके अनुदान किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं हैं, सारे समाज के लिए हैं। इन्होंने अपने लिए नहीं, समाज के लिए जीवन जिया। स्वार्थी व्यक्ति और समाज अपना स्वार्थ ही सबसे महत्वपूर्ण समझता है, समाज भाड़ में जाये। आपके स्वार्थ बहुत ही छोटे हैं। आप अपने आपको भगवान से जोड़ दें यही अच्छा है। भगवान के रास्ते पर चलने वाले हमेशा नफे में रहते हैं। अगर आप दूसरे रास्तों पर चलेंगे तो आपको कोई फायदा नहीं होगा। आपके पास ढेरों शक्तियां भरी पड़ी हैं। नेपोलियन बोनापार्ट कितना बड़ा आदमी बन गया। वाल्मीकि जी, हनुमान जी, अंगुलिमाल, अम्बपाली ने अपने को भगवान से जोड़ा, तो वे असामान्य बन गये। मनुष्य भीख मांगे, यह कितने शर्म की बात है। भीख भगवान से भी नहीं मांगनी चाहिए। हम इस बार इतनी बड़ी नाव लेकर चले हैं, जिसमें अपने को ही नहीं अन्य अनेकों को भी सवार कराकर पार करता चला जा रहा हूं। आप आदर्शवादी जीवन को अपनायेंगे। भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ेंगे, तब आप नफे ही नफे में रहेंगे। आप इन बातों को जीवन में धारण करेंगे, तो आपकी भी गायत्री उपासना उसी प्रकार सफल होगी, जैसी हमारी हुई है। आप भी वैसा ही फल पावेंगे और हमारा विश्वास है कि घर-घर तक हमारा संदेश पहुंचाकर पीड़ा और पतन का निवारण करने में सहयोग करेंगे।
देवियो और भाइयो,
आपने कठपुतली का तमाशा देखा होगा। कठपुतली तरह-तरह के नृत्य करती है। लड़के तमाशा देखकर खुश होते हैं। बाजीगर के पास कठपुतली का धागा रहता है, वह धागे को खींचकर कठपुतली को नचाता है, परन्तु बाजीगर सामने दिखाई नहीं देता। सब लोग समझते हैं कि कठपुतली स्वयं नाच रही है, स्वयं अभिनय कर रही है। कमाल बाजीगर का रहता है। अध्यात्मवादी भी बड़े-बड़े काम करता है, परन्तु उसके पीछे भी एक शक्ति काम करती है, वह दिखाई नहीं देती है। जब हवा तेज चलती है, तो धूल और पत्ते आसमान छूने लगते हैं। वह महान शक्ति जब सक्रिय होती है, तो साधारण से साधारण लोग बड़े-बड़े काम कर दिखाते हैं।
आज के लोग अपने मुहल्ले वालों को, जमाने वालों को देखकर उसी प्रकार के काम करने लगते हैं, यह कमजोर दिमाग वालों का काम है। अच्छा क्या है? बुरा क्या है? इसे बिना विचारे हवा जिधर चली, पानी जिधर बहा, उधर ही बहने लगे। बीड़ी पीने वालों को, पान खाने वालों को, तंबाकू खाने वालों को देखकर दूसरे लोग भी यही आदतें सहज ही सीखते चले जाते हैं। यही सबके मन का ढर्रा बन गया है। ज्यादातर लोगों में बुरे कामों को अपनाने की आदत होती है। यदि ऐसी ही लगन अच्छे कामों के प्रति होती तो साधारण नहीं असाधारण मनुष्य कहलाते। उनका कार्य देखकर उन्हें सम्मान मिलता, लोग अनुसरण करते और अपना जीवन धन्य बनाते। शादी में जिस प्रकार धनी लोग धन खर्च करते हैं, दूसरे लोग भी उसी प्रकार खर्च करने लगते हैं, जिससे बड़प्पन झलकता हो। यह मामूली आदमी के चिन्ह हैं।
बड़े आदमी का काम पंखे के समान होता है। हवा से पंखा नहीं चलता, पंखा हवा को चला देता है। जब पंखे का सम्बन्ध बिजली से, शक्ति से होता है, तभी हवा को भी अपने अनुरूप चला देता है, परन्तु जब बिजली से सम्बन्ध नहीं रहता है, तब वह पंखा हवा जैसी चलती है वैसे ही चलने लगता है। कमजोर व्यक्ति समाज का जैसा प्रवाह होता है, वैसे ही चलने लगता है, परन्तु प्राणवान व्यक्ति अपना सम्बन्ध समर्थ सत्ता से जोड़कर, समाज के उल्टे प्रवाह को मोड़कर, सीधा कर देता है। मैंने भी अपना सम्बन्ध बाजीगर से जोड़ लिया है। मैं बाजीगर के इशारे पर चलता हूं। मैंने बाजीगर को समर्पण कर दिया है। आप भी अपने धागे को उस बड़ी सत्ता से बांध लें तो बड़े-बड़े काम कर सकते हैं। ईश्वर के इशारे पर सारा संसार चलता है। उसी के इशारे पर सूर्य, चन्द्रमा चलते हैं। बाजीगर ने हमसे कहा—अपनी इच्छा हमारी इच्छा से मिलानी होगी। मेरे इशारे पर चलना होगा। हमने स्वीकार किया और नाता जोड़ लिया उस भगवान से जो सबको नचाता रहता है।
लोग अपनी कामनायें, इच्छायें लिए फिरते हैं। मैंने भगवान से कहा—मैं तेरी उंगली के इशारे पर नाचना चाहता हूं। बाजीगर से अपना सम्बन्ध जोड़ने वाले क्या-क्या तमाशे दिखाते हैं, यह मैं आपको बतलाता हूं। मैं छः घण्टे जप करता था और दिन भर समाज सेवा करता। मछली पानी की तेज धार में भी ऊपर की ओर ही चलती है, जबकि हाथी बह जाता है। मैं दुनिया के लोगों से अलग चलता हूं। अलग विचार करता हूं। मैं अकेला दुनिया के बारे में सोचता हूं। क्या यह चमत्कार नहीं है? मैं देख रहा हूं कि नया जमाना तेजी से दौड़ता चला आ रहा है। सारी दुनिया एक होगी, एक आचार-विचार और एक संस्कृति होगी—भारतीय संस्कृति सारी दुनिया में छा जाने वाली है। भारतीय संस्कृति का नाम इसलिए है क्योंकि वह भारत में जन्मी है। जिस प्रकार अल्जीरिया की तम्बाकू विश्व भर में पैदा होती है, पर उसका नाम अल्जीरिया की तम्बाकू ही है।
भारतीय संस्कृति भी ऋषियों की धरोहर है। वह समय तेजी से आ रहा है, जब आप सारे विश्व में इसको देखेंगे। मुझे वेद, पुराण, दर्शन, स्मृतियों का अनुवाद करना था, यह काम मेरे लिए कठिन था, परन्तु मेरे गुरु ने मेरे लिए विद्या के स्रोत खोल दिये और पहाड़ जैसा कठिन काम पूरा हो गया। यह काम बाजीगर ने किया। मैंने बाजीगर को समर्पण किया है, इसमें कुछ घाटा नहीं है। मनुष्य के दिमाग में आज हैवानों जैसी आदतें सवार हैं। मैं उन्हें बदलना चाहता हूं। भगवान ने हमको बड़े काम के लिए भेजा है। हमें उत्कृष्ट जीवन जीना चाहिए और संसार में जो गन्दगी है, उसे साफ करना चाहिए। जब मरेंगे तो लोग कहेंगे—‘‘कैसा भला आदमी था।’’ वासना-तृष्णा, लोभ-मोह के लिए नहीं जिया और समाज की सेवा करता रहा। महर्षि अरविन्द घोष, महर्षि रमण, स्वामी विवेकानन्द इन्होंने समाज के लिए काम किया उनको संसार याद करता है। महात्मा गांधी, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, समर्थ गुरु रामदास इनके अनुदान किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं हैं, सारे समाज के लिए हैं। इन्होंने अपने लिए नहीं, समाज के लिए जीवन जिया। स्वार्थी व्यक्ति और समाज अपना स्वार्थ ही सबसे महत्वपूर्ण समझता है, समाज भाड़ में जाये। आपके स्वार्थ बहुत ही छोटे हैं। आप अपने आपको भगवान से जोड़ दें यही अच्छा है। भगवान के रास्ते पर चलने वाले हमेशा नफे में रहते हैं। अगर आप दूसरे रास्तों पर चलेंगे तो आपको कोई फायदा नहीं होगा। आपके पास ढेरों शक्तियां भरी पड़ी हैं। नेपोलियन बोनापार्ट कितना बड़ा आदमी बन गया। वाल्मीकि जी, हनुमान जी, अंगुलिमाल, अम्बपाली ने अपने को भगवान से जोड़ा, तो वे असामान्य बन गये। मनुष्य भीख मांगे, यह कितने शर्म की बात है। भीख भगवान से भी नहीं मांगनी चाहिए। हम इस बार इतनी बड़ी नाव लेकर चले हैं, जिसमें अपने को ही नहीं अन्य अनेकों को भी सवार कराकर पार करता चला जा रहा हूं। आप आदर्शवादी जीवन को अपनायेंगे। भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ेंगे, तब आप नफे ही नफे में रहेंगे। आप इन बातों को जीवन में धारण करेंगे, तो आपकी भी गायत्री उपासना उसी प्रकार सफल होगी, जैसी हमारी हुई है। आप भी वैसा ही फल पावेंगे और हमारा विश्वास है कि घर-घर तक हमारा संदेश पहुंचाकर पीड़ा और पतन का निवारण करने में सहयोग करेंगे।