
गायत्री उपासना के अनुभव
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शीघ्र ही वेतन वृद्धि हो गई
रामगंज मंडी (कोटा) से श्रीमती कृष्णा देवी सूचित करती हैं-मेरे पतिदेव को केवल 70 रुपये प्रतिमाह मिलते थे, इतने कम वेतन में घर का खर्च भी भली भाँति नहीं चल पाता था। अचानक मुझे एक गायत्री उपासक ने वेदमाता की उपासना के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने उनकी सद्प्रेरणा से चैत्र की नवरात्रि में ही सर्व प्रथम एक लघु अनुष्ठान किया। इसी मध्य में मात्रा की विशेष कृपा से मेरे पतिदेव का वेतन 150 रुपये हो गया। माता के इस चमत्कार को कोटि-कोटि नमस्कार है।
ओला-वृष्टि से गाँव की रक्षा हुई
पलायथा (कोटा) से श्री गोपाल लाल जी लिखते हैं-श्रद्धेय आचार्य जी की प्रेरणा से 4 फरवरी से 6 फरवरी तक एक सामूहिक आयोजन किया गया था। इसके कुछ समय उपराँत ही भारी ओलों की वृष्टि ने ग्राम के चारों ओर हाहाकार मचा दिया। परंतु माता के अनुग्रह से इस ग्राम में कुछ भी हानि नहीं हुई। ग्राम के सभी नर-नारियों की इस समय से माता पर अटूट श्रद्धा है। ये सभी लोग वात्सल्यमयी माता की करुणा के आभारी हैं।
पेट का दर्द गायब हो गया
सिरगिटी (विलासपुर) के राम नारायण लाल गुप्ता माता के वात्सल्य के विषय में सूचित करते हैं-गतवर्ष से मेरे पेट में सदैव ही पीड़ा होती थी। इस रोग की काफी चिकित्सा कराई पर किसी भी प्रकार रोग निवारण नहीं हुआ। एक दिन अचानक ही अखण्ड ज्योति पत्रिका की एक प्रति मुझे प्राप्त हो गयी। इसी की प्रेरणा से मैंने गायत्री उपासना तथा हवन प्रारम्भ किया। इसके कुछ समय उपराँत मेरे पेट का दर्द बिल्कुल ठीक हो गया। ऐसी वात्सल्यमयी माँ के अनुग्रह का सदैव आभारी रहूँगा।
मोतियाबिंद समाप्त हुआ।
दिगौड़ा (टीकमगढ़) के वृजवल्लभ संज्ञा लिखते हैं- मेरी माता के एक नेत्र में 12 वर्ष से मोतियाबिंद था, इससे काफी परेशान थी। इसी मध्य में अचानक ही माता जी को आधासीसी का दर्द प्रारम्भ हो गया और दूसरी आँख भी जाती रही। लगभग सभी अनुभवी डाक्टरों ने चिकित्सा की परंतु लाभ कुछ नहीं हुआ। इसी बीच माता की कृपा से अखण्ड ज्योति का एक अंक प्राप्त हो गया। इसी के अनुसार मैंने क्वार की नवरात्रि में एक लघु अनुष्ठान किया । इसी समय माता जी की आँखों में अचानक ही ज्योति आ गयी। मैं और माता जी दोनों सदैव वेद माता गायत्री की कृपा के ऋणी हैं। मेरी तथा माता जी की उपासना नियमित रूप से चल रही है।
हवन कुण्ड से बिना जले बाहर निकल आये
दिगौड़ा (टीकमगढ़) से श्री गोविंद दास भार्गव सूचित करते हैं-श्री ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ललितपुर जिला झाँसी में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ की पूर्णाहुति बड़े उत्साह पूर्वक हुई। पूर्णाहुति के उपराँत सभी नर नारी अपने-अपने घर वापिस जाने लगे। इसी बीच में अचानक ही एक कुत्ता हवन कुण्ड में आ गिरा। यह दुर्घटना देखकर सभी लोग परेशान थे। परंतु एक पंडित जी साहस पूर्वक हवन कुण्ड में सीढ़ी लगाकर गये, तत्काल उन्होंने उस कुत्ते को बाहर निकाला। कुत्ता एवं पंडित जी पूर्ण सुरक्षित थे। यह दृश्य देखकर सभी लोग वेद माता की दया देखकर प्रसन्न चित्त थे। वह कुत्ता आज कल ब्रह्मचारी जी के साथ ही रहता है। माता का ऐसा प्रत्यक्ष अनुभव देखकर सभी जन समूह प्रभावित हुआ।
कठिन बीमारी से मुक्ति पाई
सिलवस्सा (सूरत) के श्री इंद्रबदन शुक्ला लिखते हैं-मैं सन् 54 में अचानक ही बीमार पड़ा था। मुझे पूज्य आचार्य जी का परिचय पहले से ही प्राप्त था। मैंने शीघ्र ही आचार्य जी के नाम एक पत्र लिखा, पूज्य आचार्य जी ने लिखा कि माता की उपासना करो-रक्षा कवच भेज रहे हैं, इसे धारण कर लें। मैंने ऐसा ही किया। कुछ समय उपराँत स्वास्थ्य में आशातीत सुधार हुआ। मैंने और भी अधिक निष्ठापूर्वक माता की उपासना की। कुछ ही समय में मैं बिल्कुल स्वस्थ हो गया। इसके पश्चात मथुरा विशद् गायत्री महायज्ञ में भी जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यहाँ से मैं इतना प्रभावित हो गया हूँ कि अब आत्म कल्याण का प्रयत्न करते हुए जन कल्याण के लिए भी सतत् प्रयत्नशील रह कर वेद माता का अधिक से अधिक प्रचार कर रहा हूँ। यह मुझ पर माता की ही महान अनुकम्पा है।
पेचिश से छुटकारा मिला
पयागपुर (बहरायच)से श्री मुन्नालाल जी सूचित करते हैं-मुझे काफी समय से पेचिश के दस्त हो रहे थे। धीरे-धीरे स्थिति गम्भीर ही होती गयी। सभी अनुभवी वैद्यों एवं डाक्टरों से चिकित्सा कराई परंतु दस्तों की दशा निरंतर बढ़ती ही गयी। सभी लोग मेरी हालत देखकर चिन्तित थे। ऐसे आपत्ति के समय में मैंने माता एवं यज्ञ भगवान का स्मरण किया और थोड़ी सी यज्ञ भस्म का सेवन किया। कुछ समय उपराँत ही यकायक मेरे स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। लगभग 8-10 दिन में पूर्ण स्वस्थ हो गया। मैं सदैव ही वेद माता की वात्सल्यता का कृतज्ञ हूँ।
प्रेत बाधा दूर हुई
दानापुर कैंट (पटना) के श्री त्रियुगी नारायण केसरी लिखते हैं-मेरे यहाँ एक जमींदार के लड़के को सदैव ही कभी-कभी प्रेत आकर परेशान करता था। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता था कि उसका जीवन भी खतरे में है। ऐसी दशा देखकर मुझे भी बड़ी दया आई। एक दिन अचानक ही यह घटना मेरे ही समक्ष हो गयी। मैंने तत्काल ही गायत्री मंत्र अभिमंत्रित कर जल का छींटा मारा एवं थोड़ा सा जल पिला भी दिया। अब वह प्रेत बाधा सदा के लिए दूर हो गयी है।
स्थायी नौकरी और पुत्र प्राप्ति
धरोला (शाजापुर) से श्री हनुमान प्रसाद शर्मा माता की वात्सल्यता के विषय में सूचित करते हैं-बहुत समय से नौकरी के लिए परेशान था, परंतु सफलता नहीं मिली। इसी मध्य में अचानक ही एक गायत्री-उपासक ने मुझे गायत्री-उपासना करने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने तुरंत ही साधना प्रारम्भ कर दी। कुछ समय उपराँत ही आशातीत सफलता प्राप्त हुई अर्थात् अस्थायी नौकरी मिल गयी। मैं नियमित साधना करता ही रहा। इसके फलस्वरूप मेरी नौकरी स्थायी हो गयी। इसके अतिरिक्त मेरी धर्म पत्नी को कोई संतान नहीं होती थी। मेरी यह भी कामना पूरी हो गयी। ऐसी वात्सल्यमयी माता का मैं सदैव ही कृतज्ञ रहूँगा।
विविध समाचार
कोटा में गायत्री उपासकों द्वारा बड़े यज्ञ का आयोजन किया गया, जोकि बड़े उत्साह पूर्वक सम्पन्न हुआ। इस समय नवीन गायत्री उपासक भी काफी संख्या में बनाये गये। इस यज्ञ में श्रीकृष्ण जी बाराँ वाले का प्रयत्न सराहनीय था। श्री सुदर्शन सिंह जी ने आर्थिक सहयोग दिया।
-एक दर्शक
झबुआ (म.प्र.)यहाँ श्री जगन्नाथ सिंह के नेतृत्व में अनेक अनुष्ठान की पूर्णाहुति हुयी। यद्यपि यह व्यक्तिगत कार्यक्रम था , परंतु दर्शकों में उत्साह था। गायत्री उपासकों ने आगामी कार्यक्रम के विषय में भी विचार-विमर्श किया।
-मनोहर सिंह सिसौदिया
लोदी (राजस्थान) के सभी गायत्री उपासकों ने गायत्री जयंती के पुनीत पर्व पर बड़ी धूम-धाम से यज्ञ व अनुष्ठानों का आयोजन किया। यज्ञ बड़े ही उत्साहपूर्वक समाप्त हुआ। श्री सालिग एवं श्री जय नारायण जी बी.ए. के प्रवचन भी हुए।
-अम्बालाल थानवी
करावल (ग्वालियर) में गायत्री जयंती बड़े उत्साहपूर्वक मनाई गयी। लगभग चार सौ ग्रामवासी कीर्तन करते हुए ग्राम में घूमे। स्थान-स्थान पर आरती हुई तथा प्रसाद वितरण भी हुआ। इस समय की शोभा दर्शनीय थी।
-राम स्वरूप शर्मा
राजापुर (बाराबंकी) में आषाढ़ सुदी त्रयोदशी को यज्ञ होना निश्चित हुआ है। पूर्णाहुति पूर्णिमा को होगी।
-मनोहर लाल दीक्षित
कराहल (ग्वालियर) में जिले की सभी गायत्री परिवार की शाखाओं का 6-7-8 अक्टूबर को सम्मेलन किया जायेगा। इसी समय पर 9 कुण्डों पर तीन दिन यज्ञ भी होगा। इस क्षेत्र के सभी उपासकों को हम सादर आमंत्रित करते हैं।
-प्रसादी लाल शर्मा
शामगढ़ (मनसौर) में श्री स्वामी सच्चिदानंदजी महाराज के आश्रम पर गायत्री महायज्ञ समारोह पूर्वक 9 कुण्डों की यज्ञशाला में सम्पन्न हुआ। गायत्री मंदिर में माता की बड़ी भव्य प्रतिमा की प्रतिष्ठ की गयी। मथुरा से आचार्य जी तथा स्वामी प्रेमानंदजी भी पधारे थे।
-रामकिशन शर्मा
मेड़की (शाजापुर)-परम पूज्य श्रीराम शर्मा आचार्य जी की सद्प्रेरणा से यहाँ भी 9 कुण्डों पर यज्ञ का आयोजन किया जायेगा। इसका उद्घाटन करने के लिए तपोनिष्ठ आचार्य जी पधार रहे हैं। समीपवर्ती क्षेत्र के गायत्री उपासकों को सादर निमंत्रित किया जाता है। यज्ञ में पधारने वाले सज्जनों को कार्यक्रम के प्रारम्भ होने से पूर्व ही सूचना दे देनी चाहिए।
-चम्पालाल शर्मा, पटैल
साधकों को सुविधा
जो साधक स्थिर चित्त से 24 लक्ष गायत्री अनुष्ठान करना चाहें तपोभूमि में उनके रहने तथा भोजन, वस्त्र आदि की व्यवस्था कर दी जायेगी। आने के इच्छुक सौम्य प्रकृति एवं स्थिर बुद्धि के साधक पत्र व्यवहार कर लें।