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Magazine - Year 1988 - Version 2

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आवेदन पत्र आने पर छाँट की जाती है और जिन्हें प्रवेश मिलना हैं, उन्हें स्वीकृति दी जाती है। स्वीकृति पाने के बाद भी किसी को अपने की तैयारी करनी चाहिए। अनावश्यक आ धमकने पर प्रवेश न मिल सकेगा। इच्छुकों की संख्या अधिक है और स्थान की कमी से शिक्षार्थी सीमित ही लिए जाते हैं। जगह भर जाने पर किसी अगले सत्र में प्रवेश मिलने की प्रतीक्षा भी की जा सकती है।

हर प्रशिक्षार्थी से यह आशा की गई है कि वे इस प्रशिक्षण से स्वयं तो लाभ उठावेंगे ही साथ ही इस आधार को अपने क्षेत्र में विकसित करने एवं शिक्षण देने की भी यथा सम्भव व्यवस्था करेंगे।

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