बलरामपुर में डॉ चिन्मय पंड्या के करकमलों द्वारा सजल श्रद्धा-प्रखर प्रज्ञा लोकार्पण और भगवान महाकाल मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न
गायत्री मंदिर बलरामपुर में सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा लोकार्पण और भगवान महाकाल की प्राणप्रतिष्ठा एवं यज्ञशाला में आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी का प्रेरणादायी उद्बोधन
बलरामपुर
पांच दिवसीय गायत्री महायज्ञ के चतुर्थ दिवस पर आज अपरान्ह देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी बलरामपुर स्थित गायत्री मंदिर पहुँचे, जहाँ सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा श्रद्धेय के कर कमलों से संपन्न हुआ.परम श्रद्धा एवं विधि-विधान के भगवान महाकाल प्राणप्रतिष्ठा संपन्न हुई।
आदरणीय डॉ. साहब ने यज्ञशाला में परिजनों को संबोधित करते हुए सप्तऋषि परंपरा के आध्यात्मिक महत्व, मानव जीवन के निर्माण में ऋषि-चेतना की भूमिका तथा युगधर्म के रूप में सेवा, सद्भाव और संवेदनशीलता के आवश्यक तत्वों पर प्रेरणादायी उद्बोधन प्रदान किया। डॉ पंड्या ने यज्ञ के महत्व को बताते हुए कहा कि मानवता, संवेदन शीलता, और करुणा को सच्चा धर्म बताया. महाभारत काल के मुद्गल ऋषि और नेवले की कथा में कहा कि जो व्यक्ति अपनी रोटी अन्य को दे देता है वहीं महान और देवतुल्य कहलाता है.गायत्री को जन जन तक पहुंचाने की बात कही.उनका संदेश उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत स्पर्शपूर्ण एवं मार्गदर्शक सिद्ध हुआ।
उद्बोधन के पश्चात आदरणीय डॉ. साहब ने स्थानीय परिजनों एवं स्वजनों से आत्मीय भेंट-वार्ता की, उनके प्रयासों की सराहना की तथा युग निर्माण आंदोलन में सक्रिय सहभागिता के लिए प्रेरित किया।दार्शनिक टॉलस्टाय की नैतिक शिक्षा की कहानी के माध्यम से दान, सेवा और सद्बुद्धि को सच्ची संपत्ति बताया.
डॉ पंड्या ने विशिष्ट अतिथि श्रावस्ती जिला पंचायत अध्यक्ष दद्दन मिश्रा, बलरामपुर जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि श्याम मनोहर तिवारी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सिंह , नगर पालिका अध्यक्ष धीरू सिंह, डॉ कीर्ति माही, रवींद्र कुमार सिंह, घनश्याम मोदनवाल तथा हरि शंकर अग्रवाल जी को गायत्री मंत्र दुपट्टा ओढ़ाकर मां गायत्री का पंचदेव चित्र देकर सम्मान करते हुए शांतिकुंज आने को प्रोत्साहित किया. आयोजन समिति के सभी सदस्यों को मंत्र शाल भेंट किया.
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