छत्तीसगढ़ प्रवास में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी द्वारा शक्तिपीठों में आरती, प्राण-प्रतिष्ठा एवं जीवन–संदेश का दिव्य प्रसार
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के अंतर्गत तृतीय दिवस के अगले चरण में हसौद स्थित चिस्दा गायत्री शक्तिपीठ पहुँचकर गायत्री मंदिर में ससम्मान आरती की तथा वहाँ उपस्थित परिजनों से आत्मीय भेंट-वार्ता की। उनके आगमन से सम्पूर्ण परिसर में श्रेष्ठ आध्यात्मिक ऊर्जा का आलोक फैल गया।
इसके उपरांत वे अगले चरण में कर्नौद गायत्री प्रज्ञापीठ पहुँचे, जहाँ उन्होंने पावन वातावरण में वेदमाता माँ गायत्री की प्रतिमा का लोकार्पण एवं प्राण-प्रतिष्ठा के मंगल क्रम को पूर्ण किया।
इस अवसर पर आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने संक्षिप्त उद्बोधन देते हुए कहा कि— मनुष्य का जीवन केवल जीने के लिए नहीं, बल्कि अपने भीतर निहित देवत्व को जगाकर मानव से महामानव बनने की दिशा में अग्रसर होने के लिए है। उन्होंने परिजनों को जीवन की श्रेष्ठता, संवेदना और सद्कर्मों को अपनाने की प्रेरणा दी।
उनके कर-कमलों से सम्पन्न यह शुभ आयोजन सभी परिजनों के लिए अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभूति बन गया।
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