गुजरात के शामली से ज्योति कलश रथ यात्रा का शुभारभ
शान्तिकुञ्ज में अखण्ड दीपक से अभिमंत्रित ज्योति कलश श्रद्धेयद्वय द्वारा गुजरात के परिजनों को दिया गया
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा से नूतन संवत्सर वर्ष का शुभारंभ है। वर्ष 2026 अखण्ड दीपक प्राकट्य की शताब्दी है, वंदनीया माताजी की जन्म शताब्दी एवं परम पूज्य गुरुदेव की साधना की शताब्दी का वर्ष है। अखण्ड दीपक की अखण्ड ज्योति को प्रचण्ड बनाने, वर्ष 2026 का स्वागत करने हेतु चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा को ज्योति कलश रथ यात्रा का शुभारम्भ परम पूज्य गुरुदेव के द्वारा प्रतिष्ठित प्रथम शक्तिपीठ शामलाजी गुजरात से अप्रैल 9, 2024 को हुआ।
शान्तिकुञ्ज में अखण्ड दीपक से अभिमंत्रित ज्योति कलश श्रद्धेयद्वय द्वारा गुजरात के परिजनों को दिया गया है, जिसे भव्य रथ में रखकर छीपड़ी (खेड़ा) 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में लिया गया। वहाँ परम आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी एवं आदरणीया शेफाली जीजी ने ज्योति कलश रथ का पूजन किया।
शामलाजी में प्रातः 9 बजे चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा को शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि आदरणीय उदय किशोर मिश्रा जी एवं गुजरात के परिजनों द्वारा ज्योति कलश रथ यात्रा का शुभारभ हुआ जो दो वर्ष गुजरात में अनवरत चलेगा। शुभारम्भ शामलाजी में भव्य आयोजन द्वारा हुआ जिसमें पूरे गुजरात से परिजन आये थे। ज्योति कलश रथ प्राचीन शामलाजी विष्णु भगवान के मंदिर में पहुँचा। मंदिर समिति के प्रमुख ट्रस्टियों के द्वारा ज्योति कलश का पूजन किया गया। शामलाजी गांव के सैकड़ों परिजनों ने बहुत ही उत्साह एवं उमंग के साथ ज्योति कलश रथ के साथ साथ ग्राम प्रदक्षिणा किए। यह यात्रा लगातार आगे गांव-गांव चलेगी।
Recent Post
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 130): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 129): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 128): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल का सूक्ष्मशरीर में परिवर्तन— सूक्ष्मीकरण
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य:
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर्या आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न हुई भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं...
