आज का सद्चिंतन 30 July 2018
मित्रो ! "आज तो ब्राह्मणबीज ही इस धरती पर से समाप्त हो गया है। मेरे बेटो ! तुम्हें फिर से ब्राह्मणत्व को जगाना और उसकी गरिमा का बखान कर स्वयं जीवन में उसे उतारकर जन-जन को उसे अपनाने को प्रेरित करना होगा। यदि ब्राह्मण जाग गया तो सतयुग सुनिश्चित रूप से आकर रहेगा।"
"यह जो कलियुग दिखाई देता है, मानसिक गिरावट से आया है। मनुष्य की अधिक संग्रह करने की, संचय की वृत्ति ने ही वह स्थिति पैदा की है जिससे ब्राह्मणत्व समाप्त हो रहा है। प्रत्येक के अंदर का वह पशु जाग उठा है, जो उसे मानसिक विकृति की ओर ले जा रहा है। आवश्यकता से अधिक संग्रह मन में विक्षोभ, परिवार में कलह तथा समाज में विग्रह पैदा करता है। कलियुग मनोविकारों का युग है एवं ये मनोविकार तभी मिटेंगे जब ब्राह्मणत्व जागेगा।"
"ब्राह्मण सूर्य की तरह तेजस्वी होता है, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी चलता रहता है। वह कहीं रुकता नहीं, कभी आवेश में नहीं आता तथा लोभ, मोह पर सतत नियंत्रण रखता है। ब्राह्मण शब्द ब्रह्मा से बना है तथा समाज का शीर्ष माना गया है। कभी यह शिखर पर था तो वैभव गौण व गुण प्रधान माने जाते थे। जलकुंभी की तरह छा जाने वाला यही ब्राह्मण सतयुग लाता था। आज की परिस्थितियाँ इसलिए बिगड़ीं कि ब्राह्मणत्व लुप्त हो गया। भिखारी बनकर, अपने पास संग्रह करने की वृत्ति मन में रखकर उसने अपने को पदच्युत कर दिया है। उसी वर्ण को पुनः जिंदा करना होगा एवं वे लोकसेवी समुदाय में से ही उभर कर आयेंगे, चाहे जन्म से वे किसी भी जाति के हों।"
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