24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ को लेकर जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां

कौशाम्बी जनपद के करारी नगर में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम 26 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक चलेगा। कार्यक्रम की तैयारियां कार्यक्रम स्थल पर समय के साथ जोर शोर से चल रही हैं। आयोजन स्थल पर साफ सफाई कार्य करते हुए और किनारों में क्यारियां बनाते हुए लिपाई का कार्य किया जा चुका है। अभी अनेक सजावटी कार्य करना शेष है जिसके लिए तेजी से कार्यकर्ता लगे हुए हैं।
गायत्री परिवार कौशाम्बी के सक्रिय परिजन इस आयोजन में अपना समय दान देकर कार्यक्रम की तैयारियां करा रहे हैं। निस्वार्थ भाव से की जा रही यह सेवा में जनपद के कार्यकर्ता बढ़ चढ़ कर भागीदारी कर रहे हैं। गांव गांव जाकर लोगों को इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है ताकि यज्ञ का पुण्य फल अधिक से अधिक जन मानस को प्राप्त हो सके। कार्यक्रम में यज्ञ के साथ ही सायंकाल 5 बजे से प्रवचन एवं संगीत का सत्र रहेगा जिसमें शांतिकुंज हरिद्वार की टोली की उपस्थिति रहेगी। कार्यक्रम का समापन 29 नवंबर को यज्ञ करने के बाद शांतिकुंज टोली की विदाई करते हुए होगा।
Recent Post

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 19 ) मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 18)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 17)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
&n...
हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश
&n...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 15)— पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:
पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 14)— समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 13)— समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:Read More
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 12)— समर्थ गुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग
समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:—
रामकृष्ण, विवेकानंद को ढूँढ़ते हुए उनके घर गए थे। शिवाजी को समर्थ गुरु रामदास ने खोजा था। चाणक्य, चंद...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 11)— जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय
जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:—
उस दिन हमने सच्चे मन से उन्हें स...